Faiz Ahmed Faiz

Publisher:
Penguin
| Author:
Prakash Pandit
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Penguin
Author:
Prakash Pandit
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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फ़ैज़ अहमद फै़ज़ उर्दू के बहुत ही जाने-माने कवि थे। आधुनिक उर्दू शायरी को उन्होंने एक नई ऊँचाई दी। इस पुस्तक में उनकी जीवनी एवं शायरी दी गई है। फै़ज़ अहमद फै़ज़ की उर्दू कविता दुआ का बलोची अनुवाद बलोच कवि गुल खान नासिर द्वारा किया गया। 20वीं सदी का वो महान् उर्दू शायर जिसने सरकारी तमगों और पुरस्कारों के लिए नहीं, जिसने शराब की चाशनी में डूबती-नाचती महबूबाओं के लिए नहीं, जिसने मज़ारों और बेवफ़ाईयों के लिए नहीं बल्कि अपने इंसान होने के एहसास, समाज और देश के लिए, एक सही और बराबरी की व्यवस्था वाले लोकतंत्र के लिए इंकलाब को अपने कलम की स्याही बनाया और ज़ुल्म-ओ-सितम में जी रहे लोगों को वो दिया जो बंदूकों और तोपखानों से बढ़कर था। फ़ैज़ की कविताओं में जितना ज़िंदा वो सच है जिसमें हम जी रहे हैं, उतना ही ज़िंदा वो हौसला है जिसकी बदौलत आदम-ओ-हव्वा की औलादें अपने वर्तमान को बदल सकती हैं।

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Description

फ़ैज़ अहमद फै़ज़ उर्दू के बहुत ही जाने-माने कवि थे। आधुनिक उर्दू शायरी को उन्होंने एक नई ऊँचाई दी। इस पुस्तक में उनकी जीवनी एवं शायरी दी गई है। फै़ज़ अहमद फै़ज़ की उर्दू कविता दुआ का बलोची अनुवाद बलोच कवि गुल खान नासिर द्वारा किया गया। 20वीं सदी का वो महान् उर्दू शायर जिसने सरकारी तमगों और पुरस्कारों के लिए नहीं, जिसने शराब की चाशनी में डूबती-नाचती महबूबाओं के लिए नहीं, जिसने मज़ारों और बेवफ़ाईयों के लिए नहीं बल्कि अपने इंसान होने के एहसास, समाज और देश के लिए, एक सही और बराबरी की व्यवस्था वाले लोकतंत्र के लिए इंकलाब को अपने कलम की स्याही बनाया और ज़ुल्म-ओ-सितम में जी रहे लोगों को वो दिया जो बंदूकों और तोपखानों से बढ़कर था। फ़ैज़ की कविताओं में जितना ज़िंदा वो सच है जिसमें हम जी रहे हैं, उतना ही ज़िंदा वो हौसला है जिसकी बदौलत आदम-ओ-हव्वा की औलादें अपने वर्तमान को बदल सकती हैं।

About Author

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ प्रसिद्ध शायर थे, जिन्हें अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंकलाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। 1963 में उन्हें सोवियत रशिया से लेनिन शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था।

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