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अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद मेरे पिता | Amar Shaheed Swami Shraddhanand Mere Pita
Publisher:
Pengiun
| Author:
Indra Vachaspati
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹199 ₹198
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Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Hindi, New Releases & Pre-orders
Page Extent:
208
अमर महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का नाम नवीन भारत के निर्माताओं में बहुत ऊँचा है।है पंजाब के एक छोटे-सेप्रदेशदे तलवन मेंजन्म लेकर आप महर्षिदयानंद की जगाई ज्योति को लेकर आगे बढ़े और पहलेहिमालय की उपत्यका मेंगुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करके, संन्यास लेनेके बाद, महात्मा गाँधी के साथ स्वाधीनता-युद्ध के प्रमुख सेनानी बने। स्वामीजी का जीवन किसी भी महाकाव्य के नायक सेकम रोमांचपूर्णनहीं है।है पत्नी के स्वर्गवास के बाद आपका हिमालय के घनेजंगलों मेंगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करना, भा रत की अध्यात्म ज्योति को पुनपुर्जीवित करनेके लिए अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अकेलेयुद्ध करतेहुए प्राण-त्याग करनेकी कहानी किसी भी उपन्यास से अधिक रोचक और प्रेरणाप्रद है
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Description
अमर महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का नाम नवीन भारत के निर्माताओं में बहुत ऊँचा है।है पंजाब के एक छोटे-सेप्रदेशदे तलवन मेंजन्म लेकर आप महर्षिदयानंद की जगाई ज्योति को लेकर आगे बढ़े और पहलेहिमालय की उपत्यका मेंगुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करके, संन्यास लेनेके बाद, महात्मा गाँधी के साथ स्वाधीनता-युद्ध के प्रमुख सेनानी बने। स्वामीजी का जीवन किसी भी महाकाव्य के नायक सेकम रोमांचपूर्णनहीं है।है पत्नी के स्वर्गवास के बाद आपका हिमालय के घनेजंगलों मेंगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करना, भा रत की अध्यात्म ज्योति को पुनपुर्जीवित करनेके लिए अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अकेलेयुद्ध करतेहुए प्राण-त्याग करनेकी कहानी किसी भी उपन्यास से अधिक रोचक और प्रेरणाप्रद है
About Author
इन्द्र विद्यावाचस्पति एक प्रसिद्ध पत्रकार, राष्ट्रीय कार्यकर्ता और भारती यता के समर्थक थे। पिता की इच्छा इन्द्र जी को बैरिस्टर बनाने की थी । विदेशदे जानेके कई अवसर भी आए। पर इंद्र जी नेइस ओर ध्यान न देकदे र गुरुकुल कांगड़ी मेंपहलेविद्यार्थी और अध्यापक बनना पसंदसं किया। इन्होंनेक्रां तिकारी गतिविधियों मेंभी भाग लिया और गांधी जी के नमक सत्याग्रह के समय जेल की या त्रा भी की।
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