Bharat Vibhajan Ki Antah Katha

Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
PRIYAMVAD
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback

315

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days
16 People watching this product now!

In stock

ISBN:
SKU 9789353490171 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
592

आजादी के सुनहरे भविष्य के लालच में देश की जनता ने विभाजन का जहरीला घूँट पी तो लिया, पर इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया कि क्या भारत का बँटवारा इतना ही जरूरी था? आखिर ऐसे क्या कारण थे, जिनकी वजह से देश दो टुकड़ों में बँट गया? ब्रिटेन की छलपूर्ण नीति? मुस्लिम लीग की फूटनीति? भारतीय जनता में दृढ़ता और सामथ्र्य का अभाव? कांग्रेस की गैर-जिम्मेदाराना भूमिका? या फिर गांधीजी की अहिंसा? कौन थे इसके लिए जिम्मेदार? हिंदू-मुसलमान एक-साथ क्यों नहीं रह सके? तब देश का शीर्षस्थ नेतृत्व क्या कर रहा था? क्या थी भूमिका उनकी? कहाँ थे इस विभाजन के बीज?… प्रख्यात कथाकार प्रियंवद ने इस पुस्तक में ऐसे तमाम सवालों के जवाब खोजने का श्रम किया है|

0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bharat Vibhajan Ki Antah Katha”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have to be logged in to be able to add photos to your review.

Description

आजादी के सुनहरे भविष्य के लालच में देश की जनता ने विभाजन का जहरीला घूँट पी तो लिया, पर इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया कि क्या भारत का बँटवारा इतना ही जरूरी था? आखिर ऐसे क्या कारण थे, जिनकी वजह से देश दो टुकड़ों में बँट गया? ब्रिटेन की छलपूर्ण नीति? मुस्लिम लीग की फूटनीति? भारतीय जनता में दृढ़ता और सामथ्र्य का अभाव? कांग्रेस की गैर-जिम्मेदाराना भूमिका? या फिर गांधीजी की अहिंसा? कौन थे इसके लिए जिम्मेदार? हिंदू-मुसलमान एक-साथ क्यों नहीं रह सके? तब देश का शीर्षस्थ नेतृत्व क्या कर रहा था? क्या थी भूमिका उनकी? कहाँ थे इस विभाजन के बीज?… प्रख्यात कथाकार प्रियंवद ने इस पुस्तक में ऐसे तमाम सवालों के जवाब खोजने का श्रम किया है|

About Author

प्रियंवद समकालीन कथा-साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिंदी-जगत को कई श्रेष्ठ उपन्यास और कहानी-संग्रह दिए हैं। ‘वे वहाँ कैद हैं’, ‘परछाईं नाच’, ‘छुट्टी के दिन का कोरस’, ‘धर्मस्थल’ आदि उनकी चर्चित कृतियाँ हैं। कहानीकार और उपन्यासकार होने के साथ-साथ प्रियंवद ‘अकार’ पत्रिका के संपादक भी हैं और ‘संगमन’ के संयोजक भी। उनकी कहानियों पर ‘अनवर’ व ‘खरगोश’ नामक फिल्में भी बनी हैं। उनका एक रूप श्रेष्ठ इतिहासकार का भी है। ‘भारत विभाजन की अंतःकथा’ और ‘भारतीय राजनीति के दो आख्यान’ उनकी बहुचर्चित इतिहास-पुस्तकें हैं|
0 reviews
0
0
0
0
0

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bharat Vibhajan Ki Antah Katha”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have to be logged in to be able to add photos to your review.

YOU MAY ALSO LIKE…

Recently Viewed