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Kya-kya dekha is Ayodhyaa ne…

Publisher:
Manjul
| Author:
Pandit Vijayshanker Mehta
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback

198

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ISBN:
SKU 9789355437532 Categories , Tag
Page Extent:
140

सारी दुनिया अब तक अयोध्या को अपने-अपने हिसाब से जान चुकी है, जान रही है। जो अयोध्या कभी भारतीय मन के अवचेतन में बसी हुई थी, वह आज अंतरराष्ट्रीय अंतरचेतना का विषय हो गई है। इस पुस्तक में श्रीराम के वनगमन के पहले, वनगमन के बाद और रामराज के साथ अयोध्या में क्या हुआ था, कौन-कौन लोग भूमिका में थे, इस पर चिंतन किया गया है। तीन पात्रों के माध्यम से यह पुस्तक अयोध्या के दर्शन करवाएगी : 1. लक्ष्मणजी ने अयोध्या को किस प्रकार देखा – समझा 2. श्रीराम की दृष्टि में अयोध्या 3. सीताजी ने अयोध्या को कैसे जिया इन तीनों ने जो-जो और जिस प्रकार से अयोध्या को देखा, उसे वे स्वयं सुना रहे हैं। यही इस पुस्तक का भाव है। हम सब अयोध्या को इतिहास के पृष्ठों में ढूंढते हैं। पा भी लेते हैं। लेकिन चलिए, इस पुस्तक में श्रीराम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ कुछ अनूठे दृश्य, नए विचार, जो आज हमारे जीवन के लिए बड़े काम के हैं, उन्हें देखने-समझने का प्रयास करते हैं। वह अयोध्या तो बाहर बसी है, पर एक अयोध्या हमारे भीतर भी है। उसी अयोध्या में हम सारे पात्र पाएंगे, यदि इस पुस्तक से ठीक से गुजर जाएं।

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Description

सारी दुनिया अब तक अयोध्या को अपने-अपने हिसाब से जान चुकी है, जान रही है। जो अयोध्या कभी भारतीय मन के अवचेतन में बसी हुई थी, वह आज अंतरराष्ट्रीय अंतरचेतना का विषय हो गई है। इस पुस्तक में श्रीराम के वनगमन के पहले, वनगमन के बाद और रामराज के साथ अयोध्या में क्या हुआ था, कौन-कौन लोग भूमिका में थे, इस पर चिंतन किया गया है। तीन पात्रों के माध्यम से यह पुस्तक अयोध्या के दर्शन करवाएगी : 1. लक्ष्मणजी ने अयोध्या को किस प्रकार देखा – समझा 2. श्रीराम की दृष्टि में अयोध्या 3. सीताजी ने अयोध्या को कैसे जिया इन तीनों ने जो-जो और जिस प्रकार से अयोध्या को देखा, उसे वे स्वयं सुना रहे हैं। यही इस पुस्तक का भाव है। हम सब अयोध्या को इतिहास के पृष्ठों में ढूंढते हैं। पा भी लेते हैं। लेकिन चलिए, इस पुस्तक में श्रीराम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ कुछ अनूठे दृश्य, नए विचार, जो आज हमारे जीवन के लिए बड़े काम के हैं, उन्हें देखने-समझने का प्रयास करते हैं। वह अयोध्या तो बाहर बसी है, पर एक अयोध्या हमारे भीतर भी है। उसी अयोध्या में हम सारे पात्र पाएंगे, यदि इस पुस्तक से ठीक से गुजर जाएं।

About Author

पं. विजयशंकर मेहता - धर्म व अध्यात्म के प्रति नई सोच, पैनी दृष्टि और बेजोड़ वाकशैली के धनी पं. विजयशंकर मेहता देश - दुनिया में जीवन प्रबंधन गुरु के रूप में जाने जाते हैं। कथा - प्रवचनों की सतत यात्रा में गोल्डन बुक आफॅ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक का सफर कर चुके हैं। एक रंगकर्मी, बैंककर्मी और देश के अग्रणी हिंदी समाचार-पत्र दैनिक भास्कर में लेखक-संपादक के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने के बाद वर्ष 2008 में अध्यात्म यात्रा आरंभ की। जीवन से जुड़े पांच प्रमुख उद्देश्यों को लेकर 'जीवन प्रबंधन समूह' की स्थापना करते हुए कथा - प्रवचनों का सिलसिला शुरू किया। सतत परिश्रम के पर्याय, अपने अनुचरों के लिए प्रेरणास्वरूप पं. मेहता व्याख्यान - प्रवचन के क्षेत्र में कई अनूठे कीर्तिमान गढ़ चुके हैं। वर्ष 2009 में पाकिस्तान के आठ नगरों में नौ दिन में 13 व्याख्यान देकर लोप्रियता स्थापित की।
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