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AUOPANIVESHIK BHARAT KI JUNUNI MAHILAYEN
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Ravindranath Tagore (Set Of 2 Books) :- Geetanjali | 41 Anmol Kahaniyan
Publisher:
Medha Publishing House | Sakshi Prakashan
| Author:
Ravindranath Tagore
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)
₹374 ₹281
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499
- गीतांजलि: ‘गीतांजलि’ महान् रचनाकार नोबल पुरस्कार विजेता कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर का प्रसिद्ध महाकाव्य है। एक शताब्दी पूर्व जब इसकी रचना हुई, तब भी यह एक महाकाव्य था और एक शताब्दी के बाद भी यह महाकाव्य है तथा आनेवाली शताब्दियों में भी यह एक महाकाव्य ही रहेगा। इस महाकाव्य की उपयुक्तता तब तक रहेगी जब तक मानव सभ्यता जीवित है।
उन्नीसवीं सदी में विश्व साहित्य के क्षेत्र में भारतीयों की पहचान इस महाकाव्य के माध्यम से हुई। यह महाकाव्य हर भारतीय की अनुभूतियों से अंतरंग रूप से जुड़ा है। यह अपने आप में एक अनूठा महाकाव्य है, जो साधारण व्यक्ति से लेकर प्रकांड विद्वान् के लिए समान रूप से प्रेरणादायी है। इस काव्य की रचना न किसी विशेष समाज, प्रांत या देश विशेष के लिए है। यह महाकाव्य मानव संस्कृति एवं सभ्यता के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
किसी महाकाव्य का अनुवाद दूसरी भाषा में करना तथा उसी भाषा में उसका शाब्दिक अर्थ मात्र करना काफी नहीं होता। अनुवाद से पूर्व यह आवश्यक है कि उस महाकाव्य में अंतर्निहित भावों को समझकर सम्यक् रूप में उसका मंथन किया जाए।
गीतांजलि, जिसका अनुवाद विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं एवं सभी भारतीय भाषाओं में हो चुका है, ऐसे महाकाव्य का फिर से अनुवाद करने का साहस जुटाना अपने आप में अत्यंत प्रशंसनीय कार्य है। - 41 अनमोल कहानियाँ: प्रसिद्ध भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित “41 अनमोल कहानियाँ”, कालजयी लघु कहानियों का एक संग्रह है जो अपनी गहराई, सामाजिक टिप्पणी और ज्वलंत चरित्रों से पाठकों को मंत्रमुग्ध करती रहती है। मुंशी प्रेमचंद, हिंदी साहित्य की सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक, अपनी कहानी के माध्यम से मानव स्वभाव और समाज की जटिलताओं को चित्रित करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
“41 अनमोल कहानियाँ” में, पाठकों को कथाओं की एक समृद्ध टेपेस्ट्री से रूबरू कराया जाता है, जो ग्रामीण जीवन, सामाजिक मुद्दों, पारिवारिक गतिशीलता और मानवीय स्थिति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का पता लगाती है। प्रत्येक कहानी लेखक के समाज के गहन अवलोकन का प्रतिबिंब है, जो अक्सर आम लोगों के दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
प्रेमचंद के लेखन की विशेषता इसकी सादगी और प्रासंगिकता है, जो इसे सभी उम्र और पृष्ठभूमि के पाठकों के लिए सुलभ बनाती है। उनकी कहानियों में सार्वभौमिक अपील है, जो उन मुद्दों को संबोधित करती है जो समकालीन समय में भी प्रासंगिक बने हुए हैं। वे 20वीं सदी के शुरुआती भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
एक उत्कृष्ट कहानीकार के रूप में, प्रेमचंद की सम्मोहक कथाएँ गढ़ने और भारतीय समाज के सार को चित्रित करने की क्षमता ने “41 अनमोल कहानियाँ” को एक प्रतिष्ठित साहित्यिक कृति बना दिया है। यह संग्रह अपनी स्थायी प्रासंगिकता और भारतीय साहित्य की दुनिया में अपने योगदान के लिए मनाया जाता है।
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Description
- गीतांजलि: ‘गीतांजलि’ महान् रचनाकार नोबल पुरस्कार विजेता कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर का प्रसिद्ध महाकाव्य है। एक शताब्दी पूर्व जब इसकी रचना हुई, तब भी यह एक महाकाव्य था और एक शताब्दी के बाद भी यह महाकाव्य है तथा आनेवाली शताब्दियों में भी यह एक महाकाव्य ही रहेगा। इस महाकाव्य की उपयुक्तता तब तक रहेगी जब तक मानव सभ्यता जीवित है।
उन्नीसवीं सदी में विश्व साहित्य के क्षेत्र में भारतीयों की पहचान इस महाकाव्य के माध्यम से हुई। यह महाकाव्य हर भारतीय की अनुभूतियों से अंतरंग रूप से जुड़ा है। यह अपने आप में एक अनूठा महाकाव्य है, जो साधारण व्यक्ति से लेकर प्रकांड विद्वान् के लिए समान रूप से प्रेरणादायी है। इस काव्य की रचना न किसी विशेष समाज, प्रांत या देश विशेष के लिए है। यह महाकाव्य मानव संस्कृति एवं सभ्यता के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
किसी महाकाव्य का अनुवाद दूसरी भाषा में करना तथा उसी भाषा में उसका शाब्दिक अर्थ मात्र करना काफी नहीं होता। अनुवाद से पूर्व यह आवश्यक है कि उस महाकाव्य में अंतर्निहित भावों को समझकर सम्यक् रूप में उसका मंथन किया जाए।
गीतांजलि, जिसका अनुवाद विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं एवं सभी भारतीय भाषाओं में हो चुका है, ऐसे महाकाव्य का फिर से अनुवाद करने का साहस जुटाना अपने आप में अत्यंत प्रशंसनीय कार्य है। - 41 अनमोल कहानियाँ: प्रसिद्ध भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित “41 अनमोल कहानियाँ”, कालजयी लघु कहानियों का एक संग्रह है जो अपनी गहराई, सामाजिक टिप्पणी और ज्वलंत चरित्रों से पाठकों को मंत्रमुग्ध करती रहती है। मुंशी प्रेमचंद, हिंदी साहित्य की सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक, अपनी कहानी के माध्यम से मानव स्वभाव और समाज की जटिलताओं को चित्रित करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
“41 अनमोल कहानियाँ” में, पाठकों को कथाओं की एक समृद्ध टेपेस्ट्री से रूबरू कराया जाता है, जो ग्रामीण जीवन, सामाजिक मुद्दों, पारिवारिक गतिशीलता और मानवीय स्थिति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का पता लगाती है। प्रत्येक कहानी लेखक के समाज के गहन अवलोकन का प्रतिबिंब है, जो अक्सर आम लोगों के दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
प्रेमचंद के लेखन की विशेषता इसकी सादगी और प्रासंगिकता है, जो इसे सभी उम्र और पृष्ठभूमि के पाठकों के लिए सुलभ बनाती है। उनकी कहानियों में सार्वभौमिक अपील है, जो उन मुद्दों को संबोधित करती है जो समकालीन समय में भी प्रासंगिक बने हुए हैं। वे 20वीं सदी के शुरुआती भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
एक उत्कृष्ट कहानीकार के रूप में, प्रेमचंद की सम्मोहक कथाएँ गढ़ने और भारतीय समाज के सार को चित्रित करने की क्षमता ने “41 अनमोल कहानियाँ” को एक प्रतिष्ठित साहित्यिक कृति बना दिया है। यह संग्रह अपनी स्थायी प्रासंगिकता और भारतीय साहित्य की दुनिया में अपने योगदान के लिए मनाया जाता है।
About Author
‘गीतांजलि’ गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर (1861-1941) की सर्वाधिक प्रशंसित और पठित पुस्तक है ! इसी पर उन्हें 1913 में विश्वप्रसिद्द नोबेल पुरस्कार भी मिला ! इसके बाद अपने पुरे जीवनकाल में वे भारतीय साहित्याकाश पर छाए रहे ! साहित्य की विभिन्न विधाओं, संगीत और चित्रकला में सतत सृजनरत रहते हुए उन्होंने अंतिम साँस तक सरस्वती की साधना की और भारतवासियों के लिए ‘गुरुदेव’ के रूप में प्रतिष्ठित हुए ! प्रकृति, प्रेम, इश्वर के प्रति निष्ठा, आस्था और मानवतावादी मूल्यों के प्रति समर्पण भाव से संपन्न ‘गीतांजलि’ के गीत पिछली एक सदी से बांग्लाभाषी जनों की आत्मा में बसे हुए हैं ! विभिन्न भाषाओँ में हुए इसके अनुवादों के माध्यम से विश्व-भर के सहृदय पाठक इसका रसास्वादन कर चुके हैं ! प्रतुत अनुवाद हिंदी में अब तक उपलब्ध अन्य अनुवादों से इस अर्थ में भिन्न है कि इसमें मूल बांग्ला रचनाओं की गीतात्मकता को बरक़रार रखा गया है, जो इन गीतों का अभिन्न हिस्सा है ! इस गेयता के कारण आप इन गीतों को याद रख सकते हैं, गा सकते हैं !.
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