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The Hogwarts Library Box (Set Of 3) Paperback
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Krantidoot (Mitramela) -3
Publisher:
Sarb Bhasa Trust
| Author:
Dr. Manish Shrivastava
| Language:
English
| Format:
Hardback
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ISBN:
Categories: Hindi, PIRecommends, SwaDesi
Page Extent:
127
उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण शृंखला के रूप में, आपके समक्ष प्रस्तुत है क्रांतिदूत, भाग-3 (मित्रमेला) की एक अनसुनी दास्ताँ! अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीवन गाथा, क्रांतिदूतों के विचारों और चरित्रों को सर्वप्रधान रखते हुए उन्हें पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास है। क्रांतिदूत शृंखला के लेखक डॉ मनीष श्रीवास्तव का प्रयास यह है कि पाठकगण भगत सिंह को पढ़ें तो उनके तथाकथित नास्तिक या वामपंथी वाले रूप की जगह आपको केवल भगत सिंह दिखायी दें। सान्याल साहब का नाम केवल काकोरी से जोड़कर ना देखा जाए। बिस्मिल साहब आर्यसमाजी भर ही ना दिखें और अशफाक़ मात्र एक मुसलमान क्रांतिदूत की तरह सामने ना आयें। सावरकर साहब, आज़ाद साहब, सान्याल साहब, गेंदालाल जी, शांति नारायण जी, करतार सिंह, क्रांतिदूत होने के साथ एक आम इंसान भी थे। वे हँसते थे, रोते थे, मज़ाक भी करते थे, आपस में लड़ते- झगड़ते भी थे।
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उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण शृंखला के रूप में, आपके समक्ष प्रस्तुत है क्रांतिदूत, भाग-3 (मित्रमेला) की एक अनसुनी दास्ताँ! अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीवन गाथा, क्रांतिदूतों के विचारों और चरित्रों को सर्वप्रधान रखते हुए उन्हें पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास है। क्रांतिदूत शृंखला के लेखक डॉ मनीष श्रीवास्तव का प्रयास यह है कि पाठकगण भगत सिंह को पढ़ें तो उनके तथाकथित नास्तिक या वामपंथी वाले रूप की जगह आपको केवल भगत सिंह दिखायी दें। सान्याल साहब का नाम केवल काकोरी से जोड़कर ना देखा जाए। बिस्मिल साहब आर्यसमाजी भर ही ना दिखें और अशफाक़ मात्र एक मुसलमान क्रांतिदूत की तरह सामने ना आयें। सावरकर साहब, आज़ाद साहब, सान्याल साहब, गेंदालाल जी, शांति नारायण जी, करतार सिंह, क्रांतिदूत होने के साथ एक आम इंसान भी थे। वे हँसते थे, रोते थे, मज़ाक भी करते थे, आपस में लड़ते- झगड़ते भी थे।
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