![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 15%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 15%
Shrimad Bhagvaddarshan
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹450 ₹383
Save: 15%
In stock
Ships within:
In stock
Page Extent:
प्रस्तुत धर्मग्रन्थ ‘श्रीमद् भगदर्शन में श्रीमद् समन्द है। ‘दर्शन’ शब्द द्वि-अर्थी है। प्रथम अर्थ धर्म के स्वाध्याय के फलस्वरूप अपने यावत् मानसकोश में सृष्टि के प्रत्येक अयु में व्याप्त परम भगवान विष्णु का साक्षात्कार (दर्शन) करना है। द्वितीय अर्थसृष्टि का सर्वन स्थिति और ससंहार (उद्भव स्थिति और प्रलय अथवा रचना, रक्षा और विनाश करने वाले अनादि अनन्य अखण्ड-अछेप- अभेध-असीम-अच्युत-अचिन्त्य-सत्यसन्ती सर्व सर्वतमान परब्रहा परमात्मा के सम्बन्ध में दर्शन-अवधारणा संकल्प अभिमत-मत है। ग्रन्थ का अध्ययन करने से परत्रा परमात्मा के पवित्र नाम-रूप-लीलाओं के रूप में प्रवाहमान निर्मल और अविरल सलिल में निमन्दन करने का सुदुर्लभ पावन अवसर सुलभ होता है। ग्रन्य में स्वस्थ मन, स्वस्थ तन और आध्यात्मिक योग विषयों का पृथक् पृथक् प्रकरणों में सम्यक् निरूपण किया गया है।
प्रस्तुत धर्मग्रन्थ ‘श्रीमद् भगदर्शन में श्रीमद् समन्द है। ‘दर्शन’ शब्द द्वि-अर्थी है। प्रथम अर्थ धर्म के स्वाध्याय के फलस्वरूप अपने यावत् मानसकोश में सृष्टि के प्रत्येक अयु में व्याप्त परम भगवान विष्णु का साक्षात्कार (दर्शन) करना है। द्वितीय अर्थसृष्टि का सर्वन स्थिति और ससंहार (उद्भव स्थिति और प्रलय अथवा रचना, रक्षा और विनाश करने वाले अनादि अनन्य अखण्ड-अछेप- अभेध-असीम-अच्युत-अचिन्त्य-सत्यसन्ती सर्व सर्वतमान परब्रहा परमात्मा के सम्बन्ध में दर्शन-अवधारणा संकल्प अभिमत-मत है। ग्रन्थ का अध्ययन करने से परत्रा परमात्मा के पवित्र नाम-रूप-लीलाओं के रूप में प्रवाहमान निर्मल और अविरल सलिल में निमन्दन करने का सुदुर्लभ पावन अवसर सुलभ होता है। ग्रन्य में स्वस्थ मन, स्वस्थ तन और आध्यात्मिक योग विषयों का पृथक् पृथक् प्रकरणों में सम्यक् निरूपण किया गया है।
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.