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Punya Pravah (राष्ट्र, धर्म और संस्कृति विमर्श)
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Jeevan S. Rajak
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹400 ₹200
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1-4 Days
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Book Type |
---|
Category: Hindi
Page Extent:
256
भारत भूमि पवित्र भूमि है। देवों की जन्म स्थली है। भारतवर्ष की अद्यतन सनातन परंपरा युगों-युगों से मानव जाति के कल्याण की सूत्रधार और श्रेष्ठ जीवन की पथ-प्रदर्शक रही है। हमारी आध्यात्मिक और दार्शनिक संस्कृति में जीवन मूल्यों का निरूपण बहुत ही सुन्दरतम रूप में किया गया है। इसमें संदेह नहीं है कि भारतवर्ष में कई वि देशी जातियाँ आईं और यहाँ आकर बस गईं। देश के मूल नि वासियों के आचार-विचार, रहन-सहन आदि पर उनका प्रभाव भी पड़ा, किंतु भारतीय संस्कृति का मूल आधार और मूल स्व रूप कभी नहीं बदला। भारत अनादि काल से हिन्दुओं का देश है। संस्कृति राष्ट्र के अस्तित्व का मूल आधार है। संस्कृति के उदयास्त से ही राष्ट्र का उदयास्त होता है। भारतवर्ष की महानता और उत्थान का मूल कारण भी भारतीय संस्कृति का सर्वात्मना पालन है।
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Description
भारत भूमि पवित्र भूमि है। देवों की जन्म स्थली है। भारतवर्ष की अद्यतन सनातन परंपरा युगों-युगों से मानव जाति के कल्याण की सूत्रधार और श्रेष्ठ जीवन की पथ-प्रदर्शक रही है। हमारी आध्यात्मिक और दार्शनिक संस्कृति में जीवन मूल्यों का निरूपण बहुत ही सुन्दरतम रूप में किया गया है। इसमें संदेह नहीं है कि भारतवर्ष में कई वि देशी जातियाँ आईं और यहाँ आकर बस गईं। देश के मूल नि वासियों के आचार-विचार, रहन-सहन आदि पर उनका प्रभाव भी पड़ा, किंतु भारतीय संस्कृति का मूल आधार और मूल स्व रूप कभी नहीं बदला। भारत अनादि काल से हिन्दुओं का देश है। संस्कृति राष्ट्र के अस्तित्व का मूल आधार है। संस्कृति के उदयास्त से ही राष्ट्र का उदयास्त होता है। भारतवर्ष की महानता और उत्थान का मूल कारण भी भारतीय संस्कृति का सर्वात्मना पालन है।
About Author
डॉ. जीवन एस. रजक मध्य प्रदेश
राज्य प्रशासनिक सेवा केअधिकारी (संयुक्त कलेक्टर) हैं। इसके साथ ही आपकी
पहचानएक सुपरिचित युवा कवि एवं लेखक के रूप में भी है। भारतीयसंस्कृति, दर्शन
एवं धर्म के अध्येता, चिंतक एवं विचारक के रूप मेंआपकी लेखनी प्रवहमान रहती है।
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के छोटे से गाँव अमरावद में जनमेडॉ. रजक जीव
विज्ञान में स्नातक, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, हिंदी साहित्य एवं
वनस्पतिविज्ञान में स्नातकोत्तर हैं। इसके साथ ही आपने आपदा प्रबंधन में
डिप्लोमा और पी.एच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति
अच्छी न होने के कारण आपको चिकित्सा पाठ्यक्रम एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई बीच में
छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा, किंतु परिश्रम पथ से डिगे बिना आपने अथक प्रयासों
से सफलताओं की एक नई शृंखला का निर्माण किया। राज्य प्रशासनिक सेवा में चयनित
होने से पूर्व आपने उप पुलिस अधीक्षक, सहायक वन संरक्षक, वाणिज्यिक कर अधिकारी,
वन क्षेत्रपाल, वाणिज्यिक कर निरीक्षक, आबकारी उप निरीक्षक, मंडी निरीक्षक,
सीनियर ऑडिटर और रेलवे गुड्स गार्ड जैसे शासकीय पदों पर चयनित होने में सफलता
प्राप्त की।
डॉ. जीवन एस रजक के अभी तक तीन काव्य-संग्रह ‘अहसास’, ‘अंतर्मन’ और‘तुम्हारे न
होने से’ प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षाओं के
अभ्यर्थियों के लिए दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान एवं लोक प्रशासन विषय पर भी आपकी
एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। सामाजिक, समसामयिक विषयों सहित राष्ट्र, धर्म,
दर्शन एवं संस्कृति पर आपका लेखन सतत जारी है।
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