Gerbaaz

Publisher:
Penguin HIND POCKET BOOKS
| Author:
Bhagwant Anmol
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback

269

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ISBN:
SKU 9780143463696 Category
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Page Extent:
192

मैं राघव, एक होनहार युवक जो सपने भी देखता है और उन्हें पूरा करने की चाहत भी रखता है। जिसे कच्ची उमर से ही एक साथी की तमन्ना है जिसके साथ दुनियाभर की ख़ुशियाँ अपने दामन में समेट ले, लेकिन . . . यही नहीं कर पाता मैं।
ऐसा नहीं था कि मैं बिलकुल नहीं बोल पाता। पर हकलाहट ऐसा मर्ज़, जो भोगे वो ही समझे। जहाँ पर जज न किया जाए, वहाँ पर तो ठीक बोल लेते, लेकिन जहाँ कोई ज़रूरी बात हो, नया व्यक्ति हो, या फिर जज किया जा रहा हो, वहाँ ऐसी मानसिकता बन जाती कि आवाज़ निकलती ही नहीं, जीभ जैसे चिपक जाए। दाँत किटकिटाने लगें, शरीर अकड़-सा जाए। आवाज़ न निकले।
फिर मैंने अपने हारे हुए दिल की सुनी और वही करने की ठानी जो किसी नकारा कर गुज़रना चाहिए। लेकिन, दस मंज़िली इमारत से कूदते वक्त जो उसने मेरा हाथ थामा तो किस्मत मुस्कुरा उठी जैसे!
परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं, मायने रखती है, उम्मीद! बमुश्किल एक शब्द बोल पाने से लेकर जीवन का मर्म समझने तक की मार्मिक एवं प्रेरक कहानी है, गेरबाज़।

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Description

मैं राघव, एक होनहार युवक जो सपने भी देखता है और उन्हें पूरा करने की चाहत भी रखता है। जिसे कच्ची उमर से ही एक साथी की तमन्ना है जिसके साथ दुनियाभर की ख़ुशियाँ अपने दामन में समेट ले, लेकिन . . . यही नहीं कर पाता मैं।
ऐसा नहीं था कि मैं बिलकुल नहीं बोल पाता। पर हकलाहट ऐसा मर्ज़, जो भोगे वो ही समझे। जहाँ पर जज न किया जाए, वहाँ पर तो ठीक बोल लेते, लेकिन जहाँ कोई ज़रूरी बात हो, नया व्यक्ति हो, या फिर जज किया जा रहा हो, वहाँ ऐसी मानसिकता बन जाती कि आवाज़ निकलती ही नहीं, जीभ जैसे चिपक जाए। दाँत किटकिटाने लगें, शरीर अकड़-सा जाए। आवाज़ न निकले।
फिर मैंने अपने हारे हुए दिल की सुनी और वही करने की ठानी जो किसी नकारा कर गुज़रना चाहिए। लेकिन, दस मंज़िली इमारत से कूदते वक्त जो उसने मेरा हाथ थामा तो किस्मत मुस्कुरा उठी जैसे!
परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं, मायने रखती है, उम्मीद! बमुश्किल एक शब्द बोल पाने से लेकर जीवन का मर्म समझने तक की मार्मिक एवं प्रेरक कहानी है, गेरबाज़।

About Author

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखक भगवंत अनमोल उन चुनिन्दा लेखकों में से हैं, जिन्हें हर वर्ग के पाठकों ने अपनाया। उनकी किताबें बिक्री के नए आयाम छूती हैं, तो अकादमिक जगत में भी हाथों-हाथ ली जाती हैं, साथ ही साहित्यिक जगत द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित भी होती हैं। भगवंत नए विषयों पर लिखते रहे हैं। उनका उपन्यास ज़िन्दगी 5-5 किन्नर विमर्श पर है जो दैनिक जागरण नील्सन बेस्टसेलर लिस्ट में दर्ज रहा, और कर्नाटक विश्वविद्यालय में परास्नातक पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। इसे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा “बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया। उनके दो अन्य लोकप्रिय उपन्यास बाली उमर और प्रमेय हैं। प्रमेय से हिन्दी में साइंस फिक्शन लिखने का ट्रेंड शुरू हुआ और यह उपन्यास “साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया। भगवंत अनमोल पेशे से सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं जो नौकरी छोड़कर कानपुर में स्पीच थेरेपी देते हैं। गेरबाज़ उनका चौथा उपन्यास है।
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