Aviral Dhara

Publisher:
Self Published
| Author:
Nikhil Nayak
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback

194

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Page Extent:
64

“अविरल धारा” पुस्तक, निखिल नायक की कविताओं का पहला संग्रह है। वे पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। जीवन की व्यस्ततम पृष्ठभूमि में भी उनकी लेखनी से कविताओं की अविरल धारा बहती ही रही। उनकी ज्यादातर कविताएँ मानवीय मनोदशा व आध्यात्मिक विचारों का चित्रण हैं। कुछ कविताओं में जीवन को देखने का नजरिया है, तो कुछ में घटनाओं का भावनात्मक प्रस्तुतीकरण है। कुछ कविताएँ देशभक्ति, इतिहास और वीररस से परिपूर्ण हैं। कुछ अंग्रेजी कविता या लेख से प्रेरित भावनाओं का काव्य रूपांतरण हैं।

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  1. अखिलेश नेमा, करेली जिला नरसिंहपुर मप्र

    सभी रचनाएं बहुत ही उत्कृष्ट हैं गंभीर चिंतन है,प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन है
    केदारनाथ की भीषण तबाही का सजीव दृश्य,रिश्तो को झूठा कहने वाले लोगों पर कटाक्ष, और हर रिश्ते में उस परम प्रभु के दर्शन , कितना उत्कृष्ट चिंतन है। वीर सैनिकों का मातृभूमि के प्रति समर्पण पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि मे लिखी यह पंक्तियां-
    ” *होती ना सहज ही प्राप्त विजय*,
    *हर मूल्य चुकाना पड़ता है*,
    *घर की दहिलीजे लॉघ*
    *विपद को गले लगाना पड़ता है*।
    सर्वोत्तम पंक्तियां हैं।
    फिर हनुमनथप्पा, अटल जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हो या पथिक को निरंतर चलते रहने की प्रेरणा हो या कल्पना और स्वप्न के अतीत व्योम में निर्बाध व सतत मन् की उड़ान हो,,सभी बहुत ही सुंदर रचनाएं हैं।
    साधु पुरुषों के सानिध्य में प्राप्त संतोष की अनुभूति को समुद्र की लहरें, सूरज की किरणे,चंदन की शीतलता और गीली मिट्टी की खुशबू से उपमा करना एक अभिनव चिंतन है।जो मन को सहज ही सुख व शांति की अनुभूति कराता है .
    लोनाबला के टाइगर पॉइंट में अवलोकित धुंध से घिरे पर्वत के दृश्य को देख न पाना किंतु सूर्य के आलोक से यह धुंध अवश्य मिटेगी ऐसी आशा रखते हुए यह संदेश देना कि मन के तिमिर को ज्ञान के आलोक से मिटाया जा सकता है, वास्तव में मन से हारे हुए युवाओं के लिए एक पथ प्रदर्शन है
    *मैं कौन हूं* आत्म दर्शन की एक श्रेष्ठ अभिव्यक्ति है।
    *तू है कि नहीं*,अंग्रेजी कविता का सुंदर काव्यानुवाद के द्वारा गर्भावास में की गई मां के अस्तित्व की कल्पना अद्वितीय एवं पाठकों के लिए पूर्णतया नई अनुभूति हो सकती है।
    राष्ट्र की ऊर्जा युवा शक्ति आज की विषम परिस्थितियों से जूझ रहा है इसलिए वह क्रोधित है, अधीर है, वह विकास मार्ग में प्रत्येक बाधक तत्वों को हटाना चाहता है!
    और शासको का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर आकर्षित करना चाहता है, युवाओं की ओर से अभिव्यक्ति व प्रतिनिधित्व करने वाली रचना है।
    *मदिरापान* रचना तो इतनी गजब है कि बिल्कुल कुछ अंतिम पंक्तियों में ही जब भाव अपनी दिशा उस परमात्मा की ओर मोड़ देते हैं तब जाकर इस कविता का रहस्य उद्घाटन होता है।
    मनुष्य के जीवन चक्र की तुलना बीज के जीवन चक्र से करना मित्र की क्षति के लिए अश्वपूर्ण भावान्जली है।
    *जज्बा* धैर्य रखना सिखाती है.।
    *जुस्तजू* कविता की सबसे सुंदर पंक्तियां जो संदेश देती हैं~’
    द्वन्द्व शांति का मार्ग नहीं*
    *चंडी की रक्त बिपाशा है*
    *मिट पाएगी प्यास कभी क्या*
    *मानव की यह जिज्ञासा है*

    *सत्य की खोज*, *इच्छा*, *बहना है* दार्शनिक रचनाएं हैं.
    *मैं तुमसे मिलूंगा* यह कविता तो कई अर्थों व भावों को प्रकट करती है- जाकी रही भावना जैसी!
    अनुपम प्राकृतिक दृश्य से परिपूर्ण *बारिश*, खट्टी मीठी *यादें*, सूर्य की उपयोगिता ही उसका चमकना है,जलना नहीं,जन्म मृत्यु की सुंदरता की सीख देती रचना *गुड़हल का फूल* विभिन्न उदाहरण द्वारा* दान* को परिभाषित करना मानव को दान का वास्तविक अर्थ समझाती है व संदेश देती है।
    सभी रचनाएं अपने शीर्षक के औचित्य को भली प्रकार से प्रकट करने वाली हैं, जीवन की सार्थकता का संदेश देने वाली है,आत्मदर्शन कराने वाली है।वास्तव में
    *अविरल धारा* निखिल का एक उत्तम सृजन संग्रह है । जो आपके *अविरल व अद्वितीय चिंतन* का प्रमाण है।
    इसी तरह और लिखते रहिये…..
    आपके उज्जवल भविष्य के लिए और साहित्य की निरंतर सेवा करने के लिए कोटि-कोटि शुभकामनाएं.

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Description

“अविरल धारा” पुस्तक, निखिल नायक की कविताओं का पहला संग्रह है। वे पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। जीवन की व्यस्ततम पृष्ठभूमि में भी उनकी लेखनी से कविताओं की अविरल धारा बहती ही रही। उनकी ज्यादातर कविताएँ मानवीय मनोदशा व आध्यात्मिक विचारों का चित्रण हैं। कुछ कविताओं में जीवन को देखने का नजरिया है, तो कुछ में घटनाओं का भावनात्मक प्रस्तुतीकरण है। कुछ कविताएँ देशभक्ति, इतिहास और वीररस से परिपूर्ण हैं। कुछ अंग्रेजी कविता या लेख से प्रेरित भावनाओं का काव्य रूपांतरण हैं।

About Author

निखिल नायक पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के सतना जिले में हुआ है और वही से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की है। अभियांत्रिकी की उच्च शिक्षा भोपाल और मुंबई के विश्वविद्यालयों से प्राप्त की है और वर्तमान में पुणे की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं। स्वजनों और अनेक महान कवियों की रचनाओं ने उन्हें आंतरिक संवेदना के नए आयामों से परिचित कराया और फिर जीवन की व्यस्ततम पृष्ठभूमि में भी उनकी लेखनी से कविताओं की अविरल धारा बहती ही रही।
वे पिछले लगभग एक दशक से कविता लेखन कर रहे हैं और मुक्त-छंद शैली के कवि है। उनकी ज्यादातर कविताएँ मानवीय मनोदशा व आध्यात्मिक विचारों का चित्रण हैं। कुछ कविताओं में जीवन को देखने का नजरिया है, तो कुछ में घटनाओं का भावनात्मक प्रस्तुतीकरण है। कुछ कविताएँ देशभक्ति, इतिहास और वीर-रस से परिपूर्ण हैं। कुछ अंग्रेजी कविता या लेख से प्रेरित भावनाओं का काव्य रूपांतरण हैं।
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    सभी रचनाएं बहुत ही उत्कृष्ट हैं गंभीर चिंतन है,प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन है
    केदारनाथ की भीषण तबाही का सजीव दृश्य,रिश्तो को झूठा कहने वाले लोगों पर कटाक्ष, और हर रिश्ते में उस परम प्रभु के दर्शन , कितना उत्कृष्ट चिंतन है। वीर सैनिकों का मातृभूमि के प्रति समर्पण पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि मे लिखी यह पंक्तियां-
    ” *होती ना सहज ही प्राप्त विजय*,
    *हर मूल्य चुकाना पड़ता है*,
    *घर की दहिलीजे लॉघ*
    *विपद को गले लगाना पड़ता है*।
    सर्वोत्तम पंक्तियां हैं।
    फिर हनुमनथप्पा, अटल जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हो या पथिक को निरंतर चलते रहने की प्रेरणा हो या कल्पना और स्वप्न के अतीत व्योम में निर्बाध व सतत मन् की उड़ान हो,,सभी बहुत ही सुंदर रचनाएं हैं।
    साधु पुरुषों के सानिध्य में प्राप्त संतोष की अनुभूति को समुद्र की लहरें, सूरज की किरणे,चंदन की शीतलता और गीली मिट्टी की खुशबू से उपमा करना एक अभिनव चिंतन है।जो मन को सहज ही सुख व शांति की अनुभूति कराता है .
    लोनाबला के टाइगर पॉइंट में अवलोकित धुंध से घिरे पर्वत के दृश्य को देख न पाना किंतु सूर्य के आलोक से यह धुंध अवश्य मिटेगी ऐसी आशा रखते हुए यह संदेश देना कि मन के तिमिर को ज्ञान के आलोक से मिटाया जा सकता है, वास्तव में मन से हारे हुए युवाओं के लिए एक पथ प्रदर्शन है
    *मैं कौन हूं* आत्म दर्शन की एक श्रेष्ठ अभिव्यक्ति है।
    *तू है कि नहीं*,अंग्रेजी कविता का सुंदर काव्यानुवाद के द्वारा गर्भावास में की गई मां के अस्तित्व की कल्पना अद्वितीय एवं पाठकों के लिए पूर्णतया नई अनुभूति हो सकती है।
    राष्ट्र की ऊर्जा युवा शक्ति आज की विषम परिस्थितियों से जूझ रहा है इसलिए वह क्रोधित है, अधीर है, वह विकास मार्ग में प्रत्येक बाधक तत्वों को हटाना चाहता है!
    और शासको का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर आकर्षित करना चाहता है, युवाओं की ओर से अभिव्यक्ति व प्रतिनिधित्व करने वाली रचना है।
    *मदिरापान* रचना तो इतनी गजब है कि बिल्कुल कुछ अंतिम पंक्तियों में ही जब भाव अपनी दिशा उस परमात्मा की ओर मोड़ देते हैं तब जाकर इस कविता का रहस्य उद्घाटन होता है।
    मनुष्य के जीवन चक्र की तुलना बीज के जीवन चक्र से करना मित्र की क्षति के लिए अश्वपूर्ण भावान्जली है।
    *जज्बा* धैर्य रखना सिखाती है.।
    *जुस्तजू* कविता की सबसे सुंदर पंक्तियां जो संदेश देती हैं~’
    द्वन्द्व शांति का मार्ग नहीं*
    *चंडी की रक्त बिपाशा है*
    *मिट पाएगी प्यास कभी क्या*
    *मानव की यह जिज्ञासा है*

    *सत्य की खोज*, *इच्छा*, *बहना है* दार्शनिक रचनाएं हैं.
    *मैं तुमसे मिलूंगा* यह कविता तो कई अर्थों व भावों को प्रकट करती है- जाकी रही भावना जैसी!
    अनुपम प्राकृतिक दृश्य से परिपूर्ण *बारिश*, खट्टी मीठी *यादें*, सूर्य की उपयोगिता ही उसका चमकना है,जलना नहीं,जन्म मृत्यु की सुंदरता की सीख देती रचना *गुड़हल का फूल* विभिन्न उदाहरण द्वारा* दान* को परिभाषित करना मानव को दान का वास्तविक अर्थ समझाती है व संदेश देती है।
    सभी रचनाएं अपने शीर्षक के औचित्य को भली प्रकार से प्रकट करने वाली हैं, जीवन की सार्थकता का संदेश देने वाली है,आत्मदर्शन कराने वाली है।वास्तव में
    *अविरल धारा* निखिल का एक उत्तम सृजन संग्रह है । जो आपके *अविरल व अद्वितीय चिंतन* का प्रमाण है।
    इसी तरह और लिखते रहिये…..
    आपके उज्जवल भविष्य के लिए और साहित्य की निरंतर सेवा करने के लिए कोटि-कोटि शुभकामनाएं.

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