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Adhunik Prayavaraniya Manovigyan (Modern Environmental Psychology)
Publisher:
Motilal Banarsidass Publishers
| Author:
Dr. Vikas Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Motilal Banarsidass Publishers
Author:
Dr. Vikas Kumar
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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Category: Hindi
Page Extent:
320
पर्यावरणीय मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के क्षेत्र में उभरती हुई नवीन शाखा है, जिसके अंतर्गत पर्यावरण और मानव व्यवहार के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव व्यवहार, पर्यावरण द्वारा प्रभावित होता है और पर्यावरण भी मानव व्यवहार द्वारा प्रभावित होता है। ऐसे में इस विषय का अध्ययन-अध्यापन अपने-आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
आधुनिक पर्यावरणीय मनोविज्ञान’ एक बहु उपयोगो पुस्तक है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों पर आधारित है। इस पुस्तक में कुल तेरह (13) अध्याय है, जिसमें पर्यावरण और मानव व्यवहार के हरेक पहलुओं को समाविष्ट किया गया है। संशोधित और अद्यतन पाठ्य सामग्री से युक्त यह पुस्तक विद्यार्थियों के साथ-साथ प्राध्यापकों के लिए भी काफी उपयोगी है।
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Description
पर्यावरणीय मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के क्षेत्र में उभरती हुई नवीन शाखा है, जिसके अंतर्गत पर्यावरण और मानव व्यवहार के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव व्यवहार, पर्यावरण द्वारा प्रभावित होता है और पर्यावरण भी मानव व्यवहार द्वारा प्रभावित होता है। ऐसे में इस विषय का अध्ययन-अध्यापन अपने-आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
आधुनिक पर्यावरणीय मनोविज्ञान’ एक बहु उपयोगो पुस्तक है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों पर आधारित है। इस पुस्तक में कुल तेरह (13) अध्याय है, जिसमें पर्यावरण और मानव व्यवहार के हरेक पहलुओं को समाविष्ट किया गया है। संशोधित और अद्यतन पाठ्य सामग्री से युक्त यह पुस्तक विद्यार्थियों के साथ-साथ प्राध्यापकों के लिए भी काफी उपयोगी है।
About Author
डॉ विकास कुमार ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, झारखंड से मनोविज्ञान विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा, जूनियर रिसर्च फेलोशिप के साथ उत्तीर्णता प्राप्त की, साथ ही कालांतर में सीनियर रिसर्च फेलोशिप हेतु भी चयनित हुए। इन्होंने समाज मनोविज्ञान के. क्षेत्र में विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग से पीएच डी की उपाधि भी प्राप्त की। इनके कई शोध-पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। अभी तक इनकी मनोविज्ञान विषय में स्वास्थ मनोविज्ञान तथा बाल विकास, अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र नामक दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं; साथ ही हिन्दी कथा-साहित्य में जीवन का यथार्थ, बड़े घर की दावत और डॉ साहब की नेमप्लेट नामक तीन कहानी-संग्रह भी प्रकाशित हो चुकी हैं और अब तक पचास से अधिक कहानियाँ आजकल, समकालीन भारतीय साहित्य, अक्षर पर्व आदि कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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