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पार्थ सारथी – एक कविता

मैं पार्थ बन तुम्हारी हर बात मान लूं।
तुम कृष्ण बन मेरे सारथी बन जाओ ना।।

मैं लाख तुम्हारी बातों पर प्रश्न चिन्ह सा अड़ा रहूं।
तुम सरल सा उत्तर देकर मेरी व्यथा सुलझाओ ना।।

मैं पार्थ बन तुम्हारी हर बात ……..

मैं गर खो जाऊं जीवन के इस युद्ध प्रांगण में।
तुम मेरे जीवन रथ को संभाले रास्ता दिखलाओ ना।।

जो उलझ जाऊं सही गलत के संकट में।
तुम बिना अस्त्र उठाए मुझको जीत दिलाओ ना।।

मैं पार्थ बन तुम्हारी हर बात मान लूं।
तुम कृष्ण बन मेरे सारथी बन जाओ ना।।

About the Poet:

ज्योति तलरेजा: नवयुवती जो कविताओं के मध्य रहना पसंद करती है

Twitter account: @JyotiTalreja15

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