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प्रस्तुत पुस्तक “साख्यिकी” छात्र-छात्राओं एवं विद्वानों की इस ज्ञान पिपासा को कम करने के क्रम में एक प्रयास है। इस पुस्तक के माध्यम से सांख्यिकीय ज्ञान को सरल ढंग से सीखाने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक स्नातक, स्नातकोत्तर, UGC-NET, SET एवं अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए एक उपयुक्त सहयोगी साबित होगा। पुस्तक में भाषा की सरलता का ध्यान रखा गया है। साथ ही उदाहरणों की सहायता से संबंधित तथ्यों को समझाने की चेष्टा की गई है।
इस पुस्तक में कुल बारह अध्याय हैं, जिनकी सहायता से सांख्यिकी के विभिन्न संप्रत्ययों को सरलतापूर्वक प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश की गई है। यथा, अध्याय 1. मनोविज्ञान शोध का अर्थ एवं स्वरूप, अध्याय 2. आवृति वितरण एवं ग्राफ द्वारा आवृत्ति दिखाना, अध्याय 3. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप, अध्याय परिवर्तनीयता या विचलनशीलता के मापक (माप), अध्याय 5. सामान्य वितरण, अध्यावर्ग नरीक्षण सह सम्बन्ध, अध्याय 8. माध्य की मानक त्रुटि, अध्याय 9 सांख्यिकी की विश्वसनीयता अध्याय 10 प्रसरण-विश्लेषण, अध्याय 11. अप्रचतिक सांख्यिकी, अध्याय 12. प्रतिगमन और भविष्यकथन।
आशा है प्रस्तुत पुस्तक छात्र-छात्राओं की सांख्यिकी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा। लेकिन, सपस्त को शिक्षकों और जागरूक छात्र-छात्राओं से पुस्तक सकती है। सभी विद्वान, वे पुसी भी तरह की त्रुटि में हमें अवगत कराने का कष्ट करें ताकि उन त्रुटियों को आगामी संमें जा सके।
प्रस्तुत पुस्तक “साख्यिकी” छात्र-छात्राओं एवं विद्वानों की इस ज्ञान पिपासा को कम करने के क्रम में एक प्रयास है। इस पुस्तक के माध्यम से सांख्यिकीय ज्ञान को सरल ढंग से सीखाने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक स्नातक, स्नातकोत्तर, UGC-NET, SET एवं अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए एक उपयुक्त सहयोगी साबित होगा। पुस्तक में भाषा की सरलता का ध्यान रखा गया है। साथ ही उदाहरणों की सहायता से संबंधित तथ्यों को समझाने की चेष्टा की गई है।
इस पुस्तक में कुल बारह अध्याय हैं, जिनकी सहायता से सांख्यिकी के विभिन्न संप्रत्ययों को सरलतापूर्वक प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश की गई है। यथा, अध्याय 1. मनोविज्ञान शोध का अर्थ एवं स्वरूप, अध्याय 2. आवृति वितरण एवं ग्राफ द्वारा आवृत्ति दिखाना, अध्याय 3. केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप, अध्याय परिवर्तनीयता या विचलनशीलता के मापक (माप), अध्याय 5. सामान्य वितरण, अध्यावर्ग नरीक्षण सह सम्बन्ध, अध्याय 8. माध्य की मानक त्रुटि, अध्याय 9 सांख्यिकी की विश्वसनीयता अध्याय 10 प्रसरण-विश्लेषण, अध्याय 11. अप्रचतिक सांख्यिकी, अध्याय 12. प्रतिगमन और भविष्यकथन।
आशा है प्रस्तुत पुस्तक छात्र-छात्राओं की सांख्यिकी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा। लेकिन, सपस्त को शिक्षकों और जागरूक छात्र-छात्राओं से पुस्तक सकती है। सभी विद्वान, वे पुसी भी तरह की त्रुटि में हमें अवगत कराने का कष्ट करें ताकि उन त्रुटियों को आगामी संमें जा सके।
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