Pracheen Bhartiya Sikke

Publisher:
Motilal Banarsidass Publishers
| Author:
Shiv Swarup Sahay
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Motilal Banarsidass Publishers
Author:
Shiv Swarup Sahay
Language:
Hindi
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Paperback

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प्राचीन सिक्कों के सम्बन्ध में भारतीय साहित्य अत्यन्त हो न्यून एवं छिटपुट सूचनाएँ देता है। साथ ही उत्खनन से भी इस पर बहुत कम प्रकाश पड़ता है। अतः इसके विषय में भारतीय और विदेशी विद्वानों ने उपलब्ध सामग्रियों की व्याख्या पर आधारित भिन्न-भिन्न मत प्रतिपादित किया है। भारतीय तथा विदेशी अध्येताओं ने तो भारत के प्राचीन বिরুল আ भारतीय तथा कुछ ने विदेशी सिक्कों के अनुकरण पर सि किया है। सामान्यतः सिक्कों की अलग-अलग ऐतिहासिकता का सर्वांगीण विवेचन, काल विशेष के सिक्कों की विशेषताएँ, उन पर पूर्व सिक्कों का प्रभाव, उनमें अपनाई गई नवीनताएँ तथा उनके द्वारा आगे के काल में दी गई विशेषताओं आदि पर व्यापक विचार न किए जाने से एक अध्येता को बहुत कुछ जानना शेष रह जाता है। इसी अभाव को पूरा करने के लिए तथा इसके प्राविधिकता का ज्ञान नहीं कर पाता, उसकी पूर्ति का यहाँ प्रयास किया गया है। प्रस्तुत संस्करण में पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारतीय सिक्के तथा दक्षिण भारतीय सिक्के के अध्यायों में बहुत कुछ नई सामग्रियाँ जोड़ी गई हैं।

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Description

प्राचीन सिक्कों के सम्बन्ध में भारतीय साहित्य अत्यन्त हो न्यून एवं छिटपुट सूचनाएँ देता है। साथ ही उत्खनन से भी इस पर बहुत कम प्रकाश पड़ता है। अतः इसके विषय में भारतीय और विदेशी विद्वानों ने उपलब्ध सामग्रियों की व्याख्या पर आधारित भिन्न-भिन्न मत प्रतिपादित किया है। भारतीय तथा विदेशी अध्येताओं ने तो भारत के प्राचीन বिরুল আ भारतीय तथा कुछ ने विदेशी सिक्कों के अनुकरण पर सि किया है। सामान्यतः सिक्कों की अलग-अलग ऐतिहासिकता का सर्वांगीण विवेचन, काल विशेष के सिक्कों की विशेषताएँ, उन पर पूर्व सिक्कों का प्रभाव, उनमें अपनाई गई नवीनताएँ तथा उनके द्वारा आगे के काल में दी गई विशेषताओं आदि पर व्यापक विचार न किए जाने से एक अध्येता को बहुत कुछ जानना शेष रह जाता है। इसी अभाव को पूरा करने के लिए तथा इसके प्राविधिकता का ज्ञान नहीं कर पाता, उसकी पूर्ति का यहाँ प्रयास किया गया है। प्रस्तुत संस्करण में पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारतीय सिक्के तथा दक्षिण भारतीय सिक्के के अध्यायों में बहुत कुछ नई सामग्रियाँ जोड़ी गई हैं।

About Author

डॉ शिवस्वरूप सहाय, श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के प्राचीन इतिहास, संस्कृत एवं पुरातत्त्व विभाग के अवकाश प्राप्त रीडर हैं।

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