SaleOmnibus/Box Set (Hardback)
Narendra Kohli (Set Of 2 Books) :- Sagalkot | Samaaj Jisme Main Rehta Hu
Publisher:
Penguin
| Author:
Narendra Kohli
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Hardback)
₹798 ₹599
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Availiblity | |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Page Extent:
520
- सागलकोट:- भारतीय लेखकों में नरेन्द्र कोहली कालजयी कथाकार व व्यंग्यकार के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने मिथकीय पात्रों को एक नवीन ध्वनि व चिन्तन प्रदान किया है। उनका लेखकीय जीवन अथक परिश्रम से परिपूर्ण और शाश्वत मानवीय संवेदना से सम्पन्न है। अभ्युदय, अगस्त्य कथा, महासमर, हिडिम्बा, कुन्ती, शिखण्डी आदि कालजयी रचनाओं के माध्यम से वे हिन्दी भाषा के सरल, बौद्धिक व जनप्रिय लेखकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। हिन्दी साहित्य में नरेन्द्र कोहली आधुनिक तुलसीदास व व्यास परम्परा की श्रेणी में अग्रणी माने जाते हैं। इसी क्रम में सुभद्रा उनका नवीनतम उपन्यास है। सुभद्रा महाभारतकालीन एक ऐसा पात्र है जो जितना मिथकीय है उतना ही समकालीन भी। स्वावलम्बी, प्रखर, तेजमयी और स्वतन्त्र विचारों की धनी सुभद्रा की गाथा उसके निरन्तर आत्मिक विकास की शुभेच्छाओं को कई चरणों में व्यक्त करती है। रथ का सारथ्य करती कोमल तरुणी सुभद्रा का परिचय इतिहास में अपने सुकोमल पुत्र अभिमन्यु को रणभूमि में जाने की आज्ञा देने वाली वीर क्षत्राणी के रूप में दिया जाता है। पाण्डुपुत्र अर्जुन द्वारा किये गये अपने हरण को वह बिना किसी असावधानी के स्वीकार करते हुए समय की अनेक अनिश्चित धाराओं में बहती जाती है। सुभद्रा एक अक्षुण्ण स्त्री की ऐसी कथा है जो मानवीय भावनाओं और मान्यताओं को स्वीकार करने के लिए कृष्ण की सहायता से चैतन्य भाव में स्वयं के भीतर की यात्रा करती है और असत्य व आभासी सत्यों की उन चेष्टाओं को समझने का प्रयास करती है जो न कभी विलुप्त होती हैं न पूर्णतः सापेक्|
- समाज, जिसमें मैं रहता हूँ :- नरेंद्र कोहली जितना अपने लेखन की कथावस्तु और प्रवाह के लिए जाने जाते हैं, उतना ही अपने विचारों की स्पष्टता के लिए भी जाने जाते हैं। वह अक्सर सुनता है कि लोग उससे बात करने से डरते हैं। पता नहीं वह आगे क्या कहेगा. उनका मानना है कि ‘हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।’ समाज ‘ऐसा’ कहता है, लेकिन ज्यादातर लोगों में इसे सुनने की हिम्मत नहीं होती। अधिकांश लोग वही बोलते हैं जो दूसरे सुनना चाहते हैं। लेकिन ये छोटी-छोटी बातें, जिन्हें हम ज्यादा महत्व नहीं देते या जरूरी नहीं समझते, हमारे व्यक्तित्व का आईना होती हैं। समाज, जिसमें मैं रहता हूँ, लेखक की उसी विचारधारा को दर्शाता है। नरेंद्र कोहली के लेखन और जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का यह संस्मरण रोचक भी है और गंभीर भी। इसमें व्यंग्य भी है और शिष्टता भी। यह जीवन का भी सत्य है, और जीवन का भी। कोहली की सशक्त लेखनी ने इसे और अधिक गहन और जीवंत बना दिया है।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “Narendra Kohli (Set Of 2 Books) :- Sagalkot | Samaaj Jisme Main Rehta Hu” Cancel reply
Description
- सागलकोट:- भारतीय लेखकों में नरेन्द्र कोहली कालजयी कथाकार व व्यंग्यकार के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने मिथकीय पात्रों को एक नवीन ध्वनि व चिन्तन प्रदान किया है। उनका लेखकीय जीवन अथक परिश्रम से परिपूर्ण और शाश्वत मानवीय संवेदना से सम्पन्न है। अभ्युदय, अगस्त्य कथा, महासमर, हिडिम्बा, कुन्ती, शिखण्डी आदि कालजयी रचनाओं के माध्यम से वे हिन्दी भाषा के सरल, बौद्धिक व जनप्रिय लेखकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। हिन्दी साहित्य में नरेन्द्र कोहली आधुनिक तुलसीदास व व्यास परम्परा की श्रेणी में अग्रणी माने जाते हैं। इसी क्रम में सुभद्रा उनका नवीनतम उपन्यास है। सुभद्रा महाभारतकालीन एक ऐसा पात्र है जो जितना मिथकीय है उतना ही समकालीन भी। स्वावलम्बी, प्रखर, तेजमयी और स्वतन्त्र विचारों की धनी सुभद्रा की गाथा उसके निरन्तर आत्मिक विकास की शुभेच्छाओं को कई चरणों में व्यक्त करती है। रथ का सारथ्य करती कोमल तरुणी सुभद्रा का परिचय इतिहास में अपने सुकोमल पुत्र अभिमन्यु को रणभूमि में जाने की आज्ञा देने वाली वीर क्षत्राणी के रूप में दिया जाता है। पाण्डुपुत्र अर्जुन द्वारा किये गये अपने हरण को वह बिना किसी असावधानी के स्वीकार करते हुए समय की अनेक अनिश्चित धाराओं में बहती जाती है। सुभद्रा एक अक्षुण्ण स्त्री की ऐसी कथा है जो मानवीय भावनाओं और मान्यताओं को स्वीकार करने के लिए कृष्ण की सहायता से चैतन्य भाव में स्वयं के भीतर की यात्रा करती है और असत्य व आभासी सत्यों की उन चेष्टाओं को समझने का प्रयास करती है जो न कभी विलुप्त होती हैं न पूर्णतः सापेक्|
- समाज, जिसमें मैं रहता हूँ :- नरेंद्र कोहली जितना अपने लेखन की कथावस्तु और प्रवाह के लिए जाने जाते हैं, उतना ही अपने विचारों की स्पष्टता के लिए भी जाने जाते हैं। वह अक्सर सुनता है कि लोग उससे बात करने से डरते हैं। पता नहीं वह आगे क्या कहेगा. उनका मानना है कि ‘हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।’ समाज ‘ऐसा’ कहता है, लेकिन ज्यादातर लोगों में इसे सुनने की हिम्मत नहीं होती। अधिकांश लोग वही बोलते हैं जो दूसरे सुनना चाहते हैं। लेकिन ये छोटी-छोटी बातें, जिन्हें हम ज्यादा महत्व नहीं देते या जरूरी नहीं समझते, हमारे व्यक्तित्व का आईना होती हैं। समाज, जिसमें मैं रहता हूँ, लेखक की उसी विचारधारा को दर्शाता है। नरेंद्र कोहली के लेखन और जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का यह संस्मरण रोचक भी है और गंभीर भी। इसमें व्यंग्य भी है और शिष्टता भी। यह जीवन का भी सत्य है, और जीवन का भी। कोहली की सशक्त लेखनी ने इसे और अधिक गहन और जीवंत बना दिया है।
About Author
नरेन्द्र कोहली का जन्म 6 जनवरी 1940, सियालकोट ( अब पाकिस्तान ) में हुआ । दिल्ली विश्वविद्यालय से 1963 में एम.ए. और 1970 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की । शुरू में पीजीडीएवी कॉलेज में कार्यरत फिर 1965 से मोतीलाल नेहरू कॉलेज में । बचपन से ही लेखन की ओर रुझान और प्रकाशन किंतु नियमित रूप से 1960 से लेखन । 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण कालिक स्वतंत्र लेखन। कहानी¸ उपन्यास¸ नाटक और व्यंग्य सभी विधाओं में अभी तक उनकी लगभग सौ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी जैसी प्रयोगशीलता¸ विविधता और प्रखरता कहीं और देखने को नहीं मिलती। उन्होंने इतिहास और पुराण की कहानियों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखा है और बेहतरीन रचनाएँ लिखी हैं। महाभारत की कथा को अपने उपन्यास "महासमर" में समाहित किया है । सन 1988 में महासमर का प्रथम संस्करण 'बंधन' वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ था । महासमर प्रकाशन के दो दशक पूरे होने पर इसका भव्य संस्करण नौ खण्डों में प्रकाशित किया है । प्रत्येक भाग महाभारत की घटनाओं की समुचित व्याख्या करता है। इससे पहले महासमर आठ खण्डों में ( बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध) था, इसके बाद वर्ष 2010 में भव्य संस्करण के अवसर पर महासमर आनुषंगिक (खंड-नौ) प्रकाशित हुआ । महासमर भव्य संस्करण के अंतर्गत ' नरेंद्र कोहली के उपन्यास (बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध,आनुषंगिक) प्रकाशित हैं । महासमर में 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' के बारे में वर्णन है, लेकिन स्त्री के त्याग को हमारा पुरुष समाज भूल जाता है।जरूरत है पौराणिक कहानियों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझा जाये। इसी महासमर के अंतर्गततीन उपन्यास 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' हैं जो स्त्री वैमर्शिक दृष्टिकोण से लिखे गये हैं ।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “Narendra Kohli (Set Of 2 Books) :- Sagalkot | Samaaj Jisme Main Rehta Hu” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Harivansh Rai Bachchan Ki Sampuran Aatmkatha (Set Of 4)
Save: 20%
Set of 3 Madhykalin Bharat ka Brihatt Itihas Part 1 ,2 & 3
Save: 15%
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.