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लीडिंग फ़्रॉम द बैक वर्तमान संदर्भ में नेतृत्व के प्रति हमारी सोच और दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम है . . . यह किताब सभी को अवश्य पढ़नी चाहिए’ ―राम चरण, यूएसए के फॉर्च्यून 100 कंपनियों के सीईओ और बोर्ड के सलाहकार
क्या आप एक ऐसे नेतृत्व मॉडल की तलाश में हैं जिसे समझना आसान हो, अमल में लाना सरल और जो आपको अद्भुत परिणाम भी दे? यदि हाँ, तो लीडिंग फ़्रॉम द बैक आपके लिए ही है! इस पुस्तक में आपको एक ‘सुपरस्टार’ लीडर बनने की सभी आवश्यक सीखें मिलेंगी। इससे आप सीखेंगे कि अपनी टीम के सदस्यों से सम्मान कैसे पाएँ और असंभव को संभव करने में उनकी मदद कैसे करें। नेतृत्व के ढेरों सिद्धांतों और नियमों को पढ़ने के बजाय तीन चरणों का यही मॉडल पर्याप्त है जिसके पास अद्भुत सफलताओं का एक प्रामाणिक इतिहास रहा है।
यह रोचक दृष्टांत एक युवा मैनेजर, शिव कुंद्रा के करियर में आने वाली कठिनाइयों के बारे में है, जिसके कार्य करने की शैली, उसके नेतृत्व की क्षमता और सफलता पाने में बाधा डालती है। लेखक एक कहानी के माध्यम से, लीडिंग फ़्रॉम द बैक के आकर्षक सिद्धांत से अवगत कराते हैं।
लीडिंग फ़्रॉम द बैक वर्तमान संदर्भ में नेतृत्व के प्रति हमारी सोच और दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम है . . . यह किताब सभी को अवश्य पढ़नी चाहिए’ ―राम चरण, यूएसए के फॉर्च्यून 100 कंपनियों के सीईओ और बोर्ड के सलाहकार
क्या आप एक ऐसे नेतृत्व मॉडल की तलाश में हैं जिसे समझना आसान हो, अमल में लाना सरल और जो आपको अद्भुत परिणाम भी दे? यदि हाँ, तो लीडिंग फ़्रॉम द बैक आपके लिए ही है! इस पुस्तक में आपको एक ‘सुपरस्टार’ लीडर बनने की सभी आवश्यक सीखें मिलेंगी। इससे आप सीखेंगे कि अपनी टीम के सदस्यों से सम्मान कैसे पाएँ और असंभव को संभव करने में उनकी मदद कैसे करें। नेतृत्व के ढेरों सिद्धांतों और नियमों को पढ़ने के बजाय तीन चरणों का यही मॉडल पर्याप्त है जिसके पास अद्भुत सफलताओं का एक प्रामाणिक इतिहास रहा है।
यह रोचक दृष्टांत एक युवा मैनेजर, शिव कुंद्रा के करियर में आने वाली कठिनाइयों के बारे में है, जिसके कार्य करने की शैली, उसके नेतृत्व की क्षमता और सफलता पाने में बाधा डालती है। लेखक एक कहानी के माध्यम से, लीडिंग फ़्रॉम द बैक के आकर्षक सिद्धांत से अवगत कराते हैं।
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