Kashi Ki Golakdhandhari : Evam Anya Jasoosi Kahaniyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Gopalram Gahmari
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Prabhat Prakashan
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Gopalram Gahmari
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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गोपाल राम गहमरी हिंदी के पहले जासूसी कथाकार थे। उन्होंने हिंदी कथा को कल्पना, रहस्य-रोमांच, चमत्कार, ऐयारी से हटाकर जमीनी धरातल प्रदान किया। जीवन, घटनाएँ, अपराध, रोजमर्रा की जिंदगी की समस्याओं को वे कथा-जगत में लेकर आए। कथा के माध्यम से जीवन की जीवंत कहानियाँ उन्होंने पेश कीं। वे न केवल उम्दा कथाकार थे, बल्कि संपादक, कविता में खड़ी बोली के हिमायती भी थे। उनके संस्मरणों में हिंदी साहित्य के बनते इतिहास को पढ़ सकते हैं। हिंदी की पहली आलोचना पत्रिका ‘समालोचक’ का संपादन उन्होंने सन 1902 में किया। उनकी कहानियाँ अपने भूगोल और विषय के साथ भाषा का बर्ताव करती हैं। हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, बांग्ला भाषा में वे समर्थ थे। बांग्ला से ढेरों उपन्यासों का अनुवाद किया। मंडला नरेश के साथ श्रीलंका की यात्रा की और यात्रा-वृत्तांत भी लिखा। आइए, उनकी इन कहानियों से गुजरें, जो आज से सौ साल पहले लिखी गई थीं।

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Description

गोपाल राम गहमरी हिंदी के पहले जासूसी कथाकार थे। उन्होंने हिंदी कथा को कल्पना, रहस्य-रोमांच, चमत्कार, ऐयारी से हटाकर जमीनी धरातल प्रदान किया। जीवन, घटनाएँ, अपराध, रोजमर्रा की जिंदगी की समस्याओं को वे कथा-जगत में लेकर आए। कथा के माध्यम से जीवन की जीवंत कहानियाँ उन्होंने पेश कीं। वे न केवल उम्दा कथाकार थे, बल्कि संपादक, कविता में खड़ी बोली के हिमायती भी थे। उनके संस्मरणों में हिंदी साहित्य के बनते इतिहास को पढ़ सकते हैं। हिंदी की पहली आलोचना पत्रिका ‘समालोचक’ का संपादन उन्होंने सन 1902 में किया। उनकी कहानियाँ अपने भूगोल और विषय के साथ भाषा का बर्ताव करती हैं। हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, बांग्ला भाषा में वे समर्थ थे। बांग्ला से ढेरों उपन्यासों का अनुवाद किया। मंडला नरेश के साथ श्रीलंका की यात्रा की और यात्रा-वृत्तांत भी लिखा। आइए, उनकी इन कहानियों से गुजरें, जो आज से सौ साल पहले लिखी गई थीं।

About Author

गोपालराम गहमरी—जन्म : पौष कृष्ण, आठ, गुरुवार, संवत् 1923, (सन् 1866), बारा, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश । शिक्षा : नार्मल परीक्षा, प्रथम श्रेणी। संपादन : भारत भूषण (बंबई साप्ताहिक, 1893), सहकारी संपादक : साहित्य सरोज (मेरठ, पाक्षिक, 01 दिसंबर 1895), गुप्तकथा (प्रथम हिंदी जासूसी मासिक पत्र, मेरठ), बिहार बंधु (पटना, 1907 से 1909 तक), स्थानापन्न संपादक : भारतमित्र (कलकत्ता, साप्ताहिक) में 1899 में कुछ माह तक। सहकारी संपादक : वेंकटेश्वर समाचार-पत्र (बंबई 1897 से 1899), दैनिक हिंदोस्थान (कालाकाँकर, 1889 से 1890), व्यापार सिंधु (मासिक बंबई)। 1892 में पुन: बंबई गए और इस पत्र का केवल एक मास तक संपादन किया। जासूस : मासिक पत्र, 1900 से 1939 तक अपने गाँव गहमर से प्रकाशित किया। हिंदी में जासूसी उपन्यासों के जनक। रचनाएँ : दो सौ से ऊपर मौलिक जासूसी, सामाजिक उपन्यासों का सृजन। करीब इतने ही बांग्ला से अनुवाद। बांग्ला से पहली बार कहानी 'हीरे का मोल' का अनुवाद। रवींद्रनाथ टैगोर की कृति 'चित्रांगदा' का भी हिंदी में सबसे पहले अनुवाद। देश दशा, जन्मभूमि, बभ्रुवाहन और वनवीर (नाटक)। सोना शतक व वसंत विकास (काव्य)। प्लेग का वक्तव्य और रंग की बातें (व्यंग्य विनोद)। भाषा ज्ञान : हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी । स्मृतिशेष : 20 जून, 1946, बनारस।

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