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Ek Poorv Mein Bahut Se Poorv
Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Vinod Kumar Shukla
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Hind Yugm
Author:
Vinod Kumar Shukla
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹199 ₹198
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Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Hindi, New Releases & Pre-orders, SwaDesi
Page Extent:
144
भारतीय साहित्य संसार में किंवदंती की हैसियत पा चुके विनोद कुमार शुक्ल की कविता से परिचय ‘मनुष्य होने के अकेलेपन में मनुष्य की प्रजाति’ से परिचय है। इस काव्य-संसार से गुज़रना अपेक्षा से कुछ अधिक और अनिर्वचनीय पा लेने के सुख सरीखा है। यह आस्वाद आस्वादक को बहुत वक़्त तक विकल, चुप और प्रतिबद्ध रखता है। इससे गुज़रकर पृथ्वी में सहयोग और सहवास के अर्थ खुलते हैं और एकांत और सार्वभौमिकता के भी। इस काव्य-संसार में अपने आरंभ से ही कुछ संसार स्पर्श कर बहुत संसार स्पर्श कर लेने की चाह का वरण है और घर और संसार को अलग-अलग नहीं देख पाने की दृष्टि। पहाड़ों, जंगलों, पेड़ों, वनस्पतियों, तितलियों, पक्षियों, जीव-जंतुओं, समुद्र, नक्षत्रों और भाषाओं से उस परिचय के लिए जिसमें अपरिचित भी उतने ही आत्मीय हैं, जितने कि परिचित : विनोद कुमार शुक्ल के इस नवीनतम कविता-संग्रह ‘एक पूर्व में बहुत से पूर्व’ का पाठ एक अनिवार्य और समयानुकूल पाठ है।
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Description
भारतीय साहित्य संसार में किंवदंती की हैसियत पा चुके विनोद कुमार शुक्ल की कविता से परिचय ‘मनुष्य होने के अकेलेपन में मनुष्य की प्रजाति’ से परिचय है। इस काव्य-संसार से गुज़रना अपेक्षा से कुछ अधिक और अनिर्वचनीय पा लेने के सुख सरीखा है। यह आस्वाद आस्वादक को बहुत वक़्त तक विकल, चुप और प्रतिबद्ध रखता है। इससे गुज़रकर पृथ्वी में सहयोग और सहवास के अर्थ खुलते हैं और एकांत और सार्वभौमिकता के भी। इस काव्य-संसार में अपने आरंभ से ही कुछ संसार स्पर्श कर बहुत संसार स्पर्श कर लेने की चाह का वरण है और घर और संसार को अलग-अलग नहीं देख पाने की दृष्टि। पहाड़ों, जंगलों, पेड़ों, वनस्पतियों, तितलियों, पक्षियों, जीव-जंतुओं, समुद्र, नक्षत्रों और भाषाओं से उस परिचय के लिए जिसमें अपरिचित भी उतने ही आत्मीय हैं, जितने कि परिचित : विनोद कुमार शुक्ल के इस नवीनतम कविता-संग्रह ‘एक पूर्व में बहुत से पूर्व’ का पाठ एक अनिवार्य और समयानुकूल पाठ है।
About Author
विनोद कुमार शुक्ल (जन्म : 1937) भारतीय-हिंदी साहित्य के एक अत्यंत समादृत हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कविता और कथा में स्वयं को बरतते हुए एक ऐसी अभूतपूर्व भाषा संभव की जिसमें अचरज, सुख और सरोकार साथ-साथ चलते हैं—पठनीयता को बाधित किए बग़ैर। उनके दस कविता-संग्रह, चार कहानी-संग्रह, छह उपन्यास प्रकाशित हैं। संसार की लगभग सभी बड़ी भाषाओं में उनकी रचनाएँ अनूदित हो चुकी हैं। वे रंगमंच और सिनेमा में उतरकर प्रशंसित-पुरस्कृत हो चुकी हैं। ‘गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ेलोशिप’, ‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ (म.प्र. शासन), ‘हिंदी गौरव सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान), ‘रज़ा पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान’, ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’ तथा ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ प्राप्त विनोद कुमार शुक्ल को अंतरराष्ट्रीय साहित्य में उपलब्धि के लिए वर्ष 2023 के प्रतिष्ठित पेन/नाबोकोव पुरस्कार (PEN/Nabokov Award) से सम्मानित किया गया है।
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