Bangladesh Se Kyon Bhag Rahe Hain Hindu (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Salam Azad
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Salam Azad
Language:
Hindi
Format:
Hardback

159

Save: 20%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.13 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126730100 Category
Category:
Page Extent:

जनगणना के मुताबिक़ 1974 से 1991 के बीच प्रतिदिन औसतन 475 लोग, यानी प्रतिवर्ष 1,73,375 हिन्दू नागरिक हमेशा के लिए देश छोड़कर चले जाने को लाचार हुए। यदि हिन्दू समुदाय का कोई नागरिक यह देश छोड़कर न जाता तो आज बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी कोई तीन करोड़ होती। लेकिन हिन्दू इस देश को छोड़कर क्यों जा रहे हैं? हिन्दुओं के देश-त्याग के मूलतः पाँच कारण इस पुस्तक में रेखांकित किए गए हैं। ये हैं—साम्प्रदायिक उत्पीड़न, साम्प्रदायिक हमले, शत्रु अर्पित सम्पत्ति क़ानून, देवोत्तर सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा और सरकारी नौकरियों में हिन्दुओं की उपेक्षा एवं भेदभाव। पुस्तक के अन्त में हिन्दुओं के देश-त्याग के आँकड़ों का विवेचन किया गया है और साम्प्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए कुछ प्रस्ताव-कुछ सुझाव दिए गए हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bangladesh Se Kyon Bhag Rahe Hain Hindu (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

जनगणना के मुताबिक़ 1974 से 1991 के बीच प्रतिदिन औसतन 475 लोग, यानी प्रतिवर्ष 1,73,375 हिन्दू नागरिक हमेशा के लिए देश छोड़कर चले जाने को लाचार हुए। यदि हिन्दू समुदाय का कोई नागरिक यह देश छोड़कर न जाता तो आज बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी कोई तीन करोड़ होती। लेकिन हिन्दू इस देश को छोड़कर क्यों जा रहे हैं? हिन्दुओं के देश-त्याग के मूलतः पाँच कारण इस पुस्तक में रेखांकित किए गए हैं। ये हैं—साम्प्रदायिक उत्पीड़न, साम्प्रदायिक हमले, शत्रु अर्पित सम्पत्ति क़ानून, देवोत्तर सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा और सरकारी नौकरियों में हिन्दुओं की उपेक्षा एवं भेदभाव। पुस्तक के अन्त में हिन्दुओं के देश-त्याग के आँकड़ों का विवेचन किया गया है और साम्प्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए कुछ प्रस्ताव-कुछ सुझाव दिए गए हैं।

About Author

सलाम आज़ाद

जन्म : 10 जुलाई, 1964 को बांग्लादेश के विक्रमपुर ज़िले के दामला गाँव में।

शिक्षा : सर जे.सी. बोस इंस्टीट्यूशन के मेधावी छात्र रहे। बाद में गाइबाँधा गवर्नमेंट कॉलेज और ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाई-लिखाई की।

कुछ समय तक पत्रकारिता करने के बाद सम्प्रति बांग्लादेश की एक ग़ैर-सरकारी संस्था ‘एमिटी फ़ॉर पीस’ में कार्यरत।

प्रमुख कृतियाँ : बांग्ला में—‘विज्ञानी जगदीश चन्द्र बसु : जीवन ओ गवेषणा’, ‘रवीन्द्रनाथ जे भावे लिखतेन जेमन करे लिखतेन’, ‘देश त्याग : साम्प्रतिक भावना’, ‘महापुरुष विशुद्धानन्द महाथेरो’, ‘रवीन्द्रनाथ के लेखा जगदीश चन्द्र बसु पत्रावली’, ‘श्वेतपत्र’, ‘विश्वकविर सोनार बांग्ला’, ‘शान्तिवाहिनी ओ शान्ति चुक्ति’, ‘पार्वत्य चट्टग्राम प्रसंग’, ‘चुक्ति उत्तर पार्वत्य चट्टग्राम ओ आदिवासी प्रसंग’, ‘नजरुल स्मारक ग्रन्थ’, ‘जीवनानन्द दास स्मारक ग्रन्थ’, ‘बांग्लादेशेर बिपन्न संखालघु’, ‘बंगबन्धु जेनेभा ओ अन्यान्य’, ‘अन्नदा शंकर राय बांग्लादेश ओ बंगबंधु’, ‘आदिवासीदेर भाषा’, ‘मानवाधिकार प्रसंगे रवीन्द्रनाथ’, ‘रवीन्द्र भुवने बंगलादेश’, ‘तसलीमा नसरीन ओ अन्यान्य’, ‘बांगलादेशेर आदिवासी अस्तित्वेर संकट’, ‘बंगलादेशे मदरसा शिक्षा’; अंग्रेज़ी में—‘एट्रोसिटीज़ ऑन द माइनोरिटीज़ इन बंगलादेश’, ‘कंट्रीब्यूशन ऑफ़ इंडिया इन द वार ऑफ़ लेबरेशन ऑफ़ बंगलादेश’।

हिन्दी में अनूदित—‘बांग्लादेश से क्यों भाग रहे हैं हिन्दू’, ‘शर्मनाक’, ‘देश-विभाजन की कहानियाँ’, ‘टूटा मठ’, ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’, ‘कल्पना चकमा’, ‘नो-मैन्स लैंड’, ‘बांग्लादेश के पीड़ित अल्पसंख्यक’, ‘युद्ध शिशु’।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bangladesh Se Kyon Bhag Rahe Hain Hindu (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED