“एक बेहतरीन किताब आपको कई प्रकार के अनुभव देती हैं और अंत में थोड़ा उदास भी कर देती है, उसे पढ़ते हुए आप अनेक जीवन की यात्रा कर लेते हैं।”
– विलियम स्टायरन
इतवार वाले अख़बार की सभी कहानियाँ घोंट के पी ली जाती थीं और गर्मी की छुट्टियों की प्रतीक्षा भी इसी कारण होती कि दुकान से किराए पर कॉमिक्स लाकर पढ़ी जाए। सिलेबस के बाहर किताबों की अलबेली दुनिया थी जो बहुत आकर्षक थी। मोटू पतलू, चाचा चौधरी, नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, पिंकी आदि कब जीवन का अटूट हिस्सा बन जाते थे, पता ही नहीं चलता और मैं इनके साथ इनकी अनोखी दुनिया की रोमांचक यात्राएँ करती।
कल्पना को नई उड़ान, शब्दों को गहन आकार, संप्रेषण को जादुई बना देती हैं ये किताबें।
कॉमिक्स से उपन्यास तक की यात्रा जीवन के चटपटे अनुभव लिए हुए है। इन उपन्यासों के चरित्र कभी हँसाते हैं, तो कभी रुलाते हैं तो कभी माथे पर हाथ फेरते अपने से हो जाते हैं।
आज इस भागदौड़ के जीवन में प्रतियोगिता चरम पर है। नन्ही कलियाँ खिलते ही समय की तेज़ हवा से जूझना शुरू कर देती हैं। जब अभिभावक की व्यस्तता उन्हें एकाकीपन देने लगे तो इन किताबों से सच्चा और अच्छा मित्र कौन ही होगा?
बचपन की आदतें बड़े होने तक मज़बूत हो जाती हैं। एक सपना देखा है कि अपने साथ के और आसपास के नन्हे फ़रिश्तों को किताबों की दुनिया से परिचित करवाऊँ ताकि वो भविष्य का एक सुनहरा अध्याय लिखने के योग्य हों, सुनागरिक हों।
एक छोटा सा पुस्तकालय किसी पवित्र धार्मिक स्थल से कम नहीं होता। बंधे बंधाए पाठ्यक्रम के बाहर की दुनिया को देखने का ऐनक हैं ये कहानियों की किताबें, जो हमारे बच्चों को मिलनी ही चाहिए।
एक सपना है ‘लाइब्रेरी’ जो जागती आँखों से देखा है और एकदिन ज़रूर पूरा होगा। हमारा अबोध भविष्य जब हाथों में सुयोग्य पुस्तक थामें पल्लवित होगा तो निश्चय ही वो स्वयं के साथ देश परिवार को भी सुवासित करेगा।
उपहार हो, दंड हो, प्रशंसा हो, पुस्तक है सदा के लिए!!
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गरिमा तिवारी
लेखिका शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। कविता, कहानी की दुनिया में विचरती हैं। अलग-अलग मंच से इनके कई लेख साझा हुए हैं। हरियाणा सरकार की पत्रिका ‘हरिगंधा’ में भी इनका लेख प्रकाशित हो चुका है। सोशल मीडिया पर यह एक जाना पहचाना नाम हैं।