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Krantidoot Vol 5 (Basanti Chola)
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₹499 ₹374
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Weight | 330 g |
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रूही : एक पहेली’ और ‘मैं मुन्ना हूँ’ के बाद क्रांतिदूत के नाम से दस पुस्तकों की सीरीज लिखने वाले डॉ मनीष श्रीवास्तव जी एक समृद्ध कलम के धनि हैं। क्रांतिदूत शृंखला क्रांतिदूतों के सुने-अनसुने व छूटे हुए पक्षों को बताने का प्रयास करती है।अभी जब हम भारत की “आजादी के अमृत महोत्सव” को बड़े ही गर्व से मना रहें हैं ऐसे समय मे क्रांतिदूत शृंखला का आना सोने में सुहागा का काम कर रहा है।इस शृंखला की जो पाँच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं वो क्रांतिदूत (भाग-1) झाँसी फाइल्स,क्रांतिदूत (भाग-2)काशी,क्रांतिदूत (भाग-3)मित्र मेला, क्रांतिदूत (भाग-4), ग़दर और क्रांतिदूत (भाग-5) बसंती चोला। मनीष जकार्ता में रहते हुए भी भारतीय साहित्य,संस्कृति व इतिहास से इतनी गूढ़ता से जुड़े हुए हैं ऐसा इनकी पुस्तकों को पढ़ने से भान होता है।आजादी के अमृत महोत्सव पर उनका यह संकलन हम सभी के लिए एक सुन्दर सौगात है।
रूही : एक पहेली’ और ‘मैं मुन्ना हूँ’ के बाद क्रांतिदूत के नाम से दस पुस्तकों की सीरीज लिखने वाले डॉ मनीष श्रीवास्तव जी एक समृद्ध कलम के धनि हैं। क्रांतिदूत शृंखला क्रांतिदूतों के सुने-अनसुने व छूटे हुए पक्षों को बताने का प्रयास करती है।अभी जब हम भारत की “आजादी के अमृत महोत्सव” को बड़े ही गर्व से मना रहें हैं ऐसे समय मे क्रांतिदूत शृंखला का आना सोने में सुहागा का काम कर रहा है।इस शृंखला की जो पाँच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं वो क्रांतिदूत (भाग-1) झाँसी फाइल्स,क्रांतिदूत (भाग-2)काशी,क्रांतिदूत (भाग-3)मित्र मेला, क्रांतिदूत (भाग-4), ग़दर और क्रांतिदूत (भाग-5) बसंती चोला। मनीष जकार्ता में रहते हुए भी भारतीय साहित्य,संस्कृति व इतिहास से इतनी गूढ़ता से जुड़े हुए हैं ऐसा इनकी पुस्तकों को पढ़ने से भान होता है।आजादी के अमृत महोत्सव पर उनका यह संकलन हम सभी के लिए एक सुन्दर सौगात है।
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