SaleHardback
Zhund
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
शरण कुमार लिम्बाले, अनुवाद - दामोदर खड़से
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
शरण कुमार लिम्बाले, अनुवाद - दामोदर खड़से
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9789350723159
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
208
सवर्ण और दलित समुदाय के स्वभाव के ताने-बाने में बुना यह उपन्यास मूल रूप से जाति और मानवीय सम्बन्धों पर आधारित है । मानवीय सम्बन्धों के विविध पहलुओं को इस उपन्यास में उजागर किया गया है। सामाजिक संघर्ष के साथ मानवीय सम्बन्धों का विवित्र रसायन इस उपन्यास में व्यक्त हुआ है। जाति छिपाकर रहने वाले दलित शिक्षक आनन्द काशीकर के सम्बन्ध में नारायण पडवल का आत्मीय प्रेम और तिरस्कार इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। आनन्द काशीकर की जाति जब तक मालूम नहीं होती, तब तक उससे होने वाला मानवीय व्यवहार अलग तरह का है। जाति प्रकट होने पर सब कुछ बदल जाता है। दो समुदायों के बीच विद्वेष पैदा करने वाली, देश की एकता में दरार डालने वाली, सामाजिक सद्भाव नष्ट करने वाली और मानवीयता के चेहरे पर कालिख पोतने वाली हरकतें जगजाहिर हैं। इस दिशा में विचार करने के लिए ‘झुंड’ एक सार्थक प्रयास है। उपन्यास का अन्त पाठकों के लिए अमानुष जाति-व्यवस्था का उपकार और मानवीयता का प्रखर अहसास कराने वाला है । आशा है समाज-व्यवस्था को समझने में ‘झुंड’ उपन्यास मददगार साबित होगा।
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Description
सवर्ण और दलित समुदाय के स्वभाव के ताने-बाने में बुना यह उपन्यास मूल रूप से जाति और मानवीय सम्बन्धों पर आधारित है । मानवीय सम्बन्धों के विविध पहलुओं को इस उपन्यास में उजागर किया गया है। सामाजिक संघर्ष के साथ मानवीय सम्बन्धों का विवित्र रसायन इस उपन्यास में व्यक्त हुआ है। जाति छिपाकर रहने वाले दलित शिक्षक आनन्द काशीकर के सम्बन्ध में नारायण पडवल का आत्मीय प्रेम और तिरस्कार इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। आनन्द काशीकर की जाति जब तक मालूम नहीं होती, तब तक उससे होने वाला मानवीय व्यवहार अलग तरह का है। जाति प्रकट होने पर सब कुछ बदल जाता है। दो समुदायों के बीच विद्वेष पैदा करने वाली, देश की एकता में दरार डालने वाली, सामाजिक सद्भाव नष्ट करने वाली और मानवीयता के चेहरे पर कालिख पोतने वाली हरकतें जगजाहिर हैं। इस दिशा में विचार करने के लिए ‘झुंड’ एक सार्थक प्रयास है। उपन्यास का अन्त पाठकों के लिए अमानुष जाति-व्यवस्था का उपकार और मानवीयता का प्रखर अहसास कराने वाला है । आशा है समाज-व्यवस्था को समझने में ‘झुंड’ उपन्यास मददगार साबित होगा।
About Author
शरणकुमार लिंबाले
जन्म : 1 जून 1956
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.
हिन्दी में प्रकाशित किताबें : अक्करमाशी (आत्मकथा) 1991, देवता आदमी (कहानी संग्रह) 1994, दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र (समीक्षा) 2000, नरवानर (उपन्यास) 2004, दलित ब्राह्मण (कहानी संग्रह) 2004, हिन्दू (उपन्यास) 2004, बहुजन (उपन्यास) 2009, दलित साहित्य : वेदना और विद्रोह (सम्पादन) 2010, झुण्ड (उपन्यास) 2012, प्रज्ञासूर्य : डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर 2013, ग़ैर-दलित (समीक्षा) 2017, दलित पैन्थर ( सम्पादन ) 2019, यल्गार ( काव्य ) 2020, गर्व से कहो (उपन्यास) 2020, सनातन (उपन्यास) 2021, रामराज्य (उपन्यास) 2022 ।
ई-मेल : sharankumarlimbale@gmail.com
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