Zero Road 563

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Satrah Kahaniyan 188

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Zero Road

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नासिरा शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नासिरा शर्मा
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789357759182 Category
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368

ज़ीरो रोड –
हिन्दी की प्रख्यात कथा-लेखिका नासिरा शर्मा का नवीनतम उपन्यास है ‘ज़ीरो रोड’। इसका कथानक इलाहाबाद के ठहरे और पिछड़े मोहल्ले ‘चक’ से शुरू होकर दुबई जैसे अत्याधुनिक व्यापारिक नगर की रफ़्तार की ओर हमें ले जाता है। यह वह नगर है जहाँ लगभग सौ राष्ट्रों के लोग अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए रेगिस्तान में जमा हुए हैं। दरअसल ये अपनी मर्ज़ी से यहाँ नहीं आये हैं बल्कि अपने हालात से उखड़े वे लोग हैं जो बम-संस्कृति से खदेड़े गये हैं, निराश्रित हैं और अपने ख़्वाब एवं ख़याल को ढूँढ़ते, फिर से जीने के लिए कमर कसे हैं।
ताज्जुब तो यह है कि इन्सानों ने जिस धरती को भौतिक सुख-सुविधाओं से सजाया है उसी की हर राह शून्य पर जाकर समाप्त होती है। साँसों का गणित और जीवन के आयाम जो भी हों, एक यथार्थ सामने है कि ज़ालिम और ज़ुल्म सहनेवाले दोनों ही ज़ीरो रोड पर एक-दूसरे के सामने ख़ुद को खड़ा पाते हैं।
संसार के मानचित्र पर खड़े विभिन्न देश, भाषा, धर्म, रंग के लोग एक ही अनुभव से गुज़र रहे हैं। सबके अन्दर एक ही राग है जिसे पीड़ा कहा जा सकता है। और उसी पीड़ा को पकड़ने की कोशिश नासिरा जी ने इस उपन्यास में की है जो किसी एक का नहीं, सबका सच है–’ज़ीरो रोड’।

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Description

ज़ीरो रोड –
हिन्दी की प्रख्यात कथा-लेखिका नासिरा शर्मा का नवीनतम उपन्यास है ‘ज़ीरो रोड’। इसका कथानक इलाहाबाद के ठहरे और पिछड़े मोहल्ले ‘चक’ से शुरू होकर दुबई जैसे अत्याधुनिक व्यापारिक नगर की रफ़्तार की ओर हमें ले जाता है। यह वह नगर है जहाँ लगभग सौ राष्ट्रों के लोग अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए रेगिस्तान में जमा हुए हैं। दरअसल ये अपनी मर्ज़ी से यहाँ नहीं आये हैं बल्कि अपने हालात से उखड़े वे लोग हैं जो बम-संस्कृति से खदेड़े गये हैं, निराश्रित हैं और अपने ख़्वाब एवं ख़याल को ढूँढ़ते, फिर से जीने के लिए कमर कसे हैं।
ताज्जुब तो यह है कि इन्सानों ने जिस धरती को भौतिक सुख-सुविधाओं से सजाया है उसी की हर राह शून्य पर जाकर समाप्त होती है। साँसों का गणित और जीवन के आयाम जो भी हों, एक यथार्थ सामने है कि ज़ालिम और ज़ुल्म सहनेवाले दोनों ही ज़ीरो रोड पर एक-दूसरे के सामने ख़ुद को खड़ा पाते हैं।
संसार के मानचित्र पर खड़े विभिन्न देश, भाषा, धर्म, रंग के लोग एक ही अनुभव से गुज़र रहे हैं। सबके अन्दर एक ही राग है जिसे पीड़ा कहा जा सकता है। और उसी पीड़ा को पकड़ने की कोशिश नासिरा जी ने इस उपन्यास में की है जो किसी एक का नहीं, सबका सच है–’ज़ीरो रोड’।

About Author

नासिरा शर्मा - 1948 में इलाहाबाद में जन्मी नासिरा शर्मा को साहित्य के संस्कार विरासत में मिले। फ़ारसी भाषा साहित्य में एम.ए. करने के अतिरिक्त हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, पश्तो भाषाओं पर उनकी गहरी पकड़ है। इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान तथा भारत के राजनीतिज्ञों और प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों के साथ उन्होंने जो साक्षात्कार किये, बहुत चर्चित हुए। ईरानी युद्धबन्दियों पर जर्मन व फ्रेंच दूरदर्शन के लिए बनी फ़िल्मों में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। सर्जनात्मक लेखन के साथ ही वे स्वतन्त्र पत्रिकारिता में भी संलग्न रहीं। प्रकाशन : सात नदियाँ एक समुन्दर, शाल्मली, ठीकरे की मँगनी, ज़िन्दा मुहावरे, अक्षयवट, कुइयाँजान (उपन्यास)। शामी काग़ज़, पत्थरगली, इब्ने मरियम, संगसार, सबीना के चालीस चोर, ख़ुदा की वापसी, दूसरा ताजमहल, इन्सानी नस्ल, बुतख़ाना (कहानी संग्रह)। जहाँ फ़ौव्वारे लहू रोते हैं (रिपोर्ताज़)। राष्ट्र और मुसलमान, औरत के लिए औरत (लेखसंग्रह)। दहलीज़, पत्थरगली, सबीना के चालीस चोर, प्लेटफार्म नं. सेवेन (नाटक)। किताब के बहाने (आलोचना)। अफ़ग़ानिस्तान: बुज़कशी का मैदान, मरजीना का देश इराक़ (अध्ययन)। इनके अतिरिक्त बाल साहित्य और नवसाक्षरों के लिए अनेक पुस्तकें। शाहनामा-ए-फ़िरदौसी, बर्निंग पायर, काली छोटी मछली, इकोज़ ऑफ़ ईरानियन रेवुल्यूशन : प्रोटेस्ट पोएट्री (अनुवाद)। कुछ कहानियों पर टेलीफ़िल्म और सीरियल भी।

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