SaleHardback
Yuddh Aur Buddha
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मधु कांकरिया
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मधु कांकरिया
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789326352321
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
158
युद्ध और बुद्ध –
वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया की कहानियाँ हमारे समय का यथार्थ उजागर करती हैं। वे जिस किसी कथ्य में भी जाती हैं, उसमें बहुत गहरे अन्दर तक पैठ कर पाठकों को जानकारियाँ उपलब्ध कराती हैं। कहानी का सत्य अपने असली रूप में हमारे समक्ष स्वतः आने लगता है।
उनकी शीर्षक कहानी ‘युद्ध और बुद्ध’ को ही लें। यह कहानी कश्मीर में फैले आतंकवाद पर लिखी है। सीमा पार से प्रायोजित यह आतंकवाद कश्मीरियों के घर-घर में इस क़दर फैलाया गया था कि हमारी फ़ौज को भी अपनी पहचान छिपाकर उनके बीच रहना बसना पड़ता था, ऑपरेशन को सफल अंजाम तक पहुँचाने के लिए विभिन्न जानकारियाँ जुटानी पड़ती थीं।
स्थिति इतनी भयावह हो चुकी थी कि अपने छोटे तीन बच्चों की जान बचाने के लिए एक माँ को ख़ुद अपने बड़े बेटे के सीमा पार से आने की मुखबरी फ़ौज को करनी पड़ती है। एक माँ का दर्द पाठक को हृदय तक तब झकझोरकर रख देता है जब वह उसके लिए लाये गये उसकी पसन्द के दस लेनमचूसों से आठ निकालकर एक फ़ौजी को दिखलाती है और कहती है—इंकाउंटर से पहले उसने केवल दो लेमनचूस खाये थे।
मधु कांकरिया के अपने समय की कुछ चुनिन्दा कालजयी कहानियों का यह संग्रह पाठकों को निश्चय ही पसन्द आयेगा।
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Description
युद्ध और बुद्ध –
वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया की कहानियाँ हमारे समय का यथार्थ उजागर करती हैं। वे जिस किसी कथ्य में भी जाती हैं, उसमें बहुत गहरे अन्दर तक पैठ कर पाठकों को जानकारियाँ उपलब्ध कराती हैं। कहानी का सत्य अपने असली रूप में हमारे समक्ष स्वतः आने लगता है।
उनकी शीर्षक कहानी ‘युद्ध और बुद्ध’ को ही लें। यह कहानी कश्मीर में फैले आतंकवाद पर लिखी है। सीमा पार से प्रायोजित यह आतंकवाद कश्मीरियों के घर-घर में इस क़दर फैलाया गया था कि हमारी फ़ौज को भी अपनी पहचान छिपाकर उनके बीच रहना बसना पड़ता था, ऑपरेशन को सफल अंजाम तक पहुँचाने के लिए विभिन्न जानकारियाँ जुटानी पड़ती थीं।
स्थिति इतनी भयावह हो चुकी थी कि अपने छोटे तीन बच्चों की जान बचाने के लिए एक माँ को ख़ुद अपने बड़े बेटे के सीमा पार से आने की मुखबरी फ़ौज को करनी पड़ती है। एक माँ का दर्द पाठक को हृदय तक तब झकझोरकर रख देता है जब वह उसके लिए लाये गये उसकी पसन्द के दस लेनमचूसों से आठ निकालकर एक फ़ौजी को दिखलाती है और कहती है—इंकाउंटर से पहले उसने केवल दो लेमनचूस खाये थे।
मधु कांकरिया के अपने समय की कुछ चुनिन्दा कालजयी कहानियों का यह संग्रह पाठकों को निश्चय ही पसन्द आयेगा।
About Author
मधु कांकरिया -
जन्म : 23 मार्च, 1957।
शिक्षा : एम.ए. (अर्थशास्त्र), कम्प्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा ।
प्रकाशन कृतियाँ : उपन्यास : खुले गगन के लाल सितारे, सलाम आखिरी, पत्ता खोर, सेज पर संस्कृत, सूखते चिनार; कहानी-संग्रह : बीतते हुए, और अन्त में ईसु, चिड़िया ऐसे मरती है, भरी दोपहरी के अँधेरे (प्रतिनिधि कहानियाँ); सामाजिक विमर्श : अपनी धरती अपने लोग ।
'रहना नहीं देश विराना है' पर प्रसार भारती द्वारा टेलीफ़िल्म का निर्माण ।
सम्मान : कथाक्रम पुरस्कार (2008), हेमचन्द्र स्मृति साहित्य सम्मान (2009), अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच द्वारा समाज गौरव सम्मान (2009), विजय वर्मा कथा सम्मान (2012)।
सम्पर्क : एच-602, ग्रीन वुड कॉम्पलेक्स, नज़दीक चकला बस स्टॉप, अँधेरी-कुर्ला रोड, अँधेरी पूर्व, मुम्बई-93
मो : 09167735950
ई-मेल : madhu.kankaria07@gmail.com
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