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Yahudi Ki Ladki (PB)
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जब-जब पारसी थिएटर का ज़िक्र होता है, आगा हश्र कश्मीरी का नाम अपने आप ज़बान पर आ जाता है। आगा हश्र कश्मीरी उर्दू और हिन्दी—दोनों ही रंगमंचों पर समान रूप से छाए रहे हैं और अब वे नाटक की दुनिया में क्लासिक बन चुके हैं। ‘यहूदी की लड़की’ आगा हश्र का एक बहुचर्चित नाटक है। एक पुरानी फ़िल्म ‘यहूदी’ की पटकथा इसी नाटक पर आधारित है। इस नाटक के माध्यम से आगा हश्र कश्मीरी ने यहूदियों पर होनेवाले रोमनों के अत्याचार को उभारकर धर्मान्धतावाद, सत्ता के अहंकार तथा मानवीय भावनाओं की विजय का मनोरम आख्यान प्रस्तुत किया है। आज जबकि साम्प्रदायिकता अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई है और सत्ता का दमन-चक्र तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है, इस नाटक की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
जब-जब पारसी थिएटर का ज़िक्र होता है, आगा हश्र कश्मीरी का नाम अपने आप ज़बान पर आ जाता है। आगा हश्र कश्मीरी उर्दू और हिन्दी—दोनों ही रंगमंचों पर समान रूप से छाए रहे हैं और अब वे नाटक की दुनिया में क्लासिक बन चुके हैं। ‘यहूदी की लड़की’ आगा हश्र का एक बहुचर्चित नाटक है। एक पुरानी फ़िल्म ‘यहूदी’ की पटकथा इसी नाटक पर आधारित है। इस नाटक के माध्यम से आगा हश्र कश्मीरी ने यहूदियों पर होनेवाले रोमनों के अत्याचार को उभारकर धर्मान्धतावाद, सत्ता के अहंकार तथा मानवीय भावनाओं की विजय का मनोरम आख्यान प्रस्तुत किया है। आज जबकि साम्प्रदायिकता अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई है और सत्ता का दमन-चक्र तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है, इस नाटक की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
About Author
आग़ा हश्र काश्मीरी
पूरा नाम : आग़ा मुहम्मद शाह हश्र
जन्म : 4 अप्रैल, 1879 को बनारस में।
शिक्षा : स्कूल में सिर्फ़ छठी कक्षा तक पढ़ पाए। स्वाध्याय से फ़ारसी, अरबी, उर्दू, अंग्रेज़ी तथा हिन्दी आदि विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
प्रमुख कृतियाँ : पहला नाटक 'आफ़ताबे-मुहब्बत' नाम से सन् 1897 में फ्रैंडज क्लब, बनारस के लिए लिखा। उसके बाद लगभग पच्चीस नाटक और लिखे, जिनमें सर्वाधिक चर्चित हुए—‘यहूदी की लड़की’, ‘रूस्तम-ओ-सोहराब’, ‘असीरे-हिर्स’, ‘सैदे-हवस’ और ‘ख़ूबसूरत बला’।
आग़ा हश्र ने अपनी दो नाटक कम्पनियाँ बनाईं—'दी ग्रेट एल्फ्रेड थिएट्रिकल कंपनी' तथा 'इंडियन शेक्सपियर थिएट्रिकल कंपनी ऑफ़ लाहौर'। सन् 1934 में उन्होंने 'हश्र पिक्चर्स' नाम से अपनी एक फ़िल्म कंपनी भी स्थापित की। उन्होंने चार फ़िल्मों (‘शीरीं-फ़र्हाद’, ‘यहूदी की लड़की’, ‘औरत का प्यार’ तथा ‘चंडीदास’) की पटकथाएँ भी लिखीं।
निधन : 28 अप्रैल, 1935 को लाहौर में।
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