Yaar Papa । यार पापा [ दिव्य प्रकाश दुबे का नया उपन्यास

Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Divya Prakash Dubey
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Hind Yugm
Author:
Divya Prakash Dubey
Language:
Hindi
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Paperback

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224

हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

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हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

About Author

दिव्य प्रकाश दुबे ने अब तक छह बेस्ट सेलर किताबें—‘शर्तें लागू’, ‘मसाला चाय’, ‘मुसाफ़िर Cafe’, ‘अक्टूबर जंक्शन’, ‘इब्नेबतूती’ और ‘आको-बाको’—लिखी हैं। ‘स्टोरीबाज़ी’ नाम से कहानियाँ सुनाते हैं। दिव्य प्रकाश आवाज़ की दुनिया का एक जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं। Audible के लिए ‘पिया मिलन चौक’, ‘दिल लोकल’ और ‘दो दुनी प्यार’ जैसे मशहूर शो प्रस्तुत कर चुके हैं। हाल ही में आई मणिरत्नम की मशहूर फ़िल्म शृंखला ‘पोन्नियिन सेल्वन 1’ और ‘पोन्नियिन सेल्वन 2’ के संवाद लिख चुके हैं। दस साल कॉरपोरेट दुनिया में मार्केटिंग तथा एक लीडिंग चैनल में कंटेंट एडिटर के रूप में कुछ साल माथापच्ची करने के बाद अब वह एक फ़ुलटाइम लेखक हैं। मुंबई में रहते हैं। कई नए लेखकों के साथ ‘रायटर्स रूम’ के अंतर्गत फ़िल्म, वेब सीरीज़ और ऑडियो शो विकसित करते हैं। ‘यार पापा’ इनकी सातवीं किताब है।

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