vaishali ki Nagarvadhu

Publisher:
Empty canvas Publishers
| Author:
Acharya Chatursen
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Empty canvas Publishers
Author:
Acharya Chatursen
Language:
Hindi
Format:
Paperback

340

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789390594085 Category
Category:
Page Extent:
474

यह उपन्यास एक बौद्धकालीन ऐतिहासिक कृति है। लेखक के अनुसार इसकी रचना के क्रम में उन्हें आर्य, बौद्ध, जैन और हिंदुओं के साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन करना पड़ा जिसमें उन्हें 10 वर्षों का समय लगा। यह उपन्यास कोई एक-दो महीनों में पूर्ण नहीं हुआ बल्कि आचार्य शास्त्री ने इत्मीनान से इसके लेखन में 1939-1947 तक कि नौ वर्षों की अवधि लगाई। इस उपन्यास के केंद्र में ‘वैशाली की नगरवधू’ के रूप में इतिहास-प्रसिद्ध वैशाली की, सौंदर्य की साक्षात प्रतिमा तथा स्वाभिमान और आत्मबल से संबलित ‘अम्बपाली’ है जिसने अपने जीवनकाल में सम्पूर्ण भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को प्रभावित किया था। उपन्यास में अम्बपाली की कहानी तो है किंतु उससे अधिक बौद्धकालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक स्थितियों का चित्रण उपलब्ध है और यही उपन्यासकार का लक्ष्य भी है। विभिन्न संस्कृतियों यथा जैन और बौद्ध और ब्राह्मण के टकराव के साथ-साथ तत्कालीन विभिन्न गणराज्यों यथा काशी, कोशल तथा मगध एवं वैशाली के राजनीतिक संघर्षों का विवरण भी इस कृति में उपलब्ध है। उपन्यास की नायिका फिर भी अम्बपाली ही है जो आदि से अंत तक उपन्यास में छाई हुई है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “vaishali ki Nagarvadhu”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

यह उपन्यास एक बौद्धकालीन ऐतिहासिक कृति है। लेखक के अनुसार इसकी रचना के क्रम में उन्हें आर्य, बौद्ध, जैन और हिंदुओं के साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन करना पड़ा जिसमें उन्हें 10 वर्षों का समय लगा। यह उपन्यास कोई एक-दो महीनों में पूर्ण नहीं हुआ बल्कि आचार्य शास्त्री ने इत्मीनान से इसके लेखन में 1939-1947 तक कि नौ वर्षों की अवधि लगाई। इस उपन्यास के केंद्र में ‘वैशाली की नगरवधू’ के रूप में इतिहास-प्रसिद्ध वैशाली की, सौंदर्य की साक्षात प्रतिमा तथा स्वाभिमान और आत्मबल से संबलित ‘अम्बपाली’ है जिसने अपने जीवनकाल में सम्पूर्ण भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को प्रभावित किया था। उपन्यास में अम्बपाली की कहानी तो है किंतु उससे अधिक बौद्धकालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक स्थितियों का चित्रण उपलब्ध है और यही उपन्यासकार का लक्ष्य भी है। विभिन्न संस्कृतियों यथा जैन और बौद्ध और ब्राह्मण के टकराव के साथ-साथ तत्कालीन विभिन्न गणराज्यों यथा काशी, कोशल तथा मगध एवं वैशाली के राजनीतिक संघर्षों का विवरण भी इस कृति में उपलब्ध है। उपन्यास की नायिका फिर भी अम्बपाली ही है जो आदि से अंत तक उपन्यास में छाई हुई है।

About Author

आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गाँव औरंगाबाद चंडोक (अनूपशहर के पास) में हुआ था। उनके पिता पंडित केवाल राम ठाकुर थे और माता नन्हीं देवी थीं। उनका जन्म का नाम चतुर्भुज था। अपनी प्राथमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने राजस्थान के जयपुर के संस्कृत कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने वर्ष 1915 में आयुर्वेद और शास्त्री में आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आयुर्वेद विद्यापीठ से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि भी प्राप्त की।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “vaishali ki Nagarvadhu”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED