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Vaapasi Ke Naakhoon

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नरेंद्र नागदेव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नरेंद्र नागदेव
Language:
Hindi
Format:
Hardback

99

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Book Type

Availiblity

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SKU 8126307897 Category
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Page Extent:
150

वापसी के नाखून –
‘वापसी के नाखून’ हिन्दी के एक विशिष्ट और प्रतिष्ठित कथाकार नरेन्द्र नागदेव की बहुचर्चित वारह कहानियों का संकलन है।
ये कहानियाँ मूल्य-विघटन के इस दौर में, स्नेहिल मानवीय सम्बन्धों पर हावी होते निर्मम भौतिकतावाद और इस टकराहट से उत्पन्न धीमी आँच में झुलसती संवेदनाओं की कहानियाँ हैं।
नरेन्द्र नागदेव की कहानियों के पात्र दो धरातलों पर एक साथ संघर्षरत दिखते हैं—एक तरफ़ अपने और अपने बीच तथा दूसरी तरफ़ अपने और बाहरी परिवेश के बीच। सही अर्थों में आधुनिक मनुष्य की यही नियति है।
‘वापसी के नाखून’ की कहानियों में कथ्य का सुनियोजित संयोजन है—सम्भवतः कथाकार के वास्तुशिल्पी होने के प्रभाव में प्रस्तुतीकरण में अतियथार्थवादी बिम्बों को भी हम सर्वत्र देख पाते हैं। ये दरअसल उत्तर आधुनिकता के अक्स हैं, जो इन कहानियों को नया सन्दर्भ देते हैं।
इस संग्रह में संकलित सभी कहानियों की विशेषता यह है कि ये कहानियाँ निरन्तर झूलती-सी चलती हैं—वर्तमान और अतीत के बीच, कल्पना और यथार्थ के बीच, सही और ग़लत के बीच, बनते और बिगड़ते सम्बन्धों के बीच अपनी आत्मीयता, सहज संवेदनशीलता तथा स्मृति सम्पन्नता के साथ।
मोहक भाषा, शिल्प की महीन बुनावट, रचनाक निजी स्पर्श तथा जीवन्तता से भरे हुए कहानी संग्रह को प्रस्तुत करते हुए ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

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Description

वापसी के नाखून –
‘वापसी के नाखून’ हिन्दी के एक विशिष्ट और प्रतिष्ठित कथाकार नरेन्द्र नागदेव की बहुचर्चित वारह कहानियों का संकलन है।
ये कहानियाँ मूल्य-विघटन के इस दौर में, स्नेहिल मानवीय सम्बन्धों पर हावी होते निर्मम भौतिकतावाद और इस टकराहट से उत्पन्न धीमी आँच में झुलसती संवेदनाओं की कहानियाँ हैं।
नरेन्द्र नागदेव की कहानियों के पात्र दो धरातलों पर एक साथ संघर्षरत दिखते हैं—एक तरफ़ अपने और अपने बीच तथा दूसरी तरफ़ अपने और बाहरी परिवेश के बीच। सही अर्थों में आधुनिक मनुष्य की यही नियति है।
‘वापसी के नाखून’ की कहानियों में कथ्य का सुनियोजित संयोजन है—सम्भवतः कथाकार के वास्तुशिल्पी होने के प्रभाव में प्रस्तुतीकरण में अतियथार्थवादी बिम्बों को भी हम सर्वत्र देख पाते हैं। ये दरअसल उत्तर आधुनिकता के अक्स हैं, जो इन कहानियों को नया सन्दर्भ देते हैं।
इस संग्रह में संकलित सभी कहानियों की विशेषता यह है कि ये कहानियाँ निरन्तर झूलती-सी चलती हैं—वर्तमान और अतीत के बीच, कल्पना और यथार्थ के बीच, सही और ग़लत के बीच, बनते और बिगड़ते सम्बन्धों के बीच अपनी आत्मीयता, सहज संवेदनशीलता तथा स्मृति सम्पन्नता के साथ।
मोहक भाषा, शिल्प की महीन बुनावट, रचनाक निजी स्पर्श तथा जीवन्तता से भरे हुए कहानी संग्रह को प्रस्तुत करते हुए ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

About Author

नरेन्द्र नागदेव - जन्म: उज्जैन (म.प्र.)। आरम्भिक शिक्षा: उज्जैन में। सर जे.जे. कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर; मुम्बई से 1966 में ऑकिटेक्चर में डिग्री। नयी दिल्ली में आर्किटेक्ट की हैसियत से कई महत्तवपूर्ण इमारतों की डिज़ाइन तथा इंटीरिअर डिज़ाइन से सम्बद्ध। 1978 से 1981 के बीच विदेश में आर्किटेक्ट तथा विस्तृत यूरोप भ्रमण। प्रकाशित कृतियाँ: 'तमाशबीन', 'उसी नाव में', 'बीमार आदमी का इक़रारनामा' (कहानी-संग्रह), 'अन्वेषी' (उपन्यास)। चित्रकला: ऑल इंडिया फ़ाइन आर्ट्स सोसायटी, नयी दिल्ली का वार्षिक पुरस्कार। अखिल भारतीय कालिदास प्रदर्शनी, उज्जैन में दो बार पुरस्कृत। नयी दिल्ली में चार एकल प्रदर्शनियाँ। पुरस्कार: कादम्बिनी कहानी प्रतियोगिता-'83 में प्रथम पुरस्कार। उपन्यास 'अन्वेषी' के लिए म.प्र. साहित्य परिषद् का कृति पुरस्कार। कहानी-संग्रह 'बीमार आदमी का इक़रारनामा' के लिए हिन्दी अकादमी, दिल्ली का 'साहित्यिक कृति सम्मान' (98-99) I फिलहाल नयी दिल्ली में निजी कम्पनी 'नागदेव एसोशिएट्स' का संचालन।

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