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Trishanku Swarg (PB)
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त्रिशंकु स्वर्ग ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मलयालम भाषा के शीर्षस्थ कवि अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी की चुनिन्दा कविताओं का संकलन है। उनकी कविताओं में परम्परा और आधुनिकता का अपूर्व मेल दिखाई पड़ता है। वेदों के गहन अध्ययन से परम्परा के उदात्त तत्वों को उन्होंने अपनी कविता में उतारा, तो सात दशक पहले प्रकाशित उनके खंड काव्य ‘इरूपदाम नूट्टांडिंडे इतिहासम्’ (बीसवीं शताब्दी का इतिहास) से मलयालम कविता में आधुनिकता का प्रवेश हुआ। परम्परा की निरन्तरता में विश्वास रखने वाले इस महाकवि के लिए मनुष्यता की पक्षधरता और मानवीय वेदना का परित्राण हमेशा सर्वोपरि रहा, जिसका प्रमाण इस चयनिका की कविताओं में मिलता है।
त्रिशंकु स्वर्ग ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मलयालम भाषा के शीर्षस्थ कवि अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी की चुनिन्दा कविताओं का संकलन है। उनकी कविताओं में परम्परा और आधुनिकता का अपूर्व मेल दिखाई पड़ता है। वेदों के गहन अध्ययन से परम्परा के उदात्त तत्वों को उन्होंने अपनी कविता में उतारा, तो सात दशक पहले प्रकाशित उनके खंड काव्य ‘इरूपदाम नूट्टांडिंडे इतिहासम्’ (बीसवीं शताब्दी का इतिहास) से मलयालम कविता में आधुनिकता का प्रवेश हुआ। परम्परा की निरन्तरता में विश्वास रखने वाले इस महाकवि के लिए मनुष्यता की पक्षधरता और मानवीय वेदना का परित्राण हमेशा सर्वोपरि रहा, जिसका प्रमाण इस चयनिका की कविताओं में मिलता है।
About Author
अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी
मलयालम भाषा के शीर्षस्थ कवि।
जन्म 18 मार्च, 1926 को केरल के पालक्काड जिले के कुमरनल्लूर गाँव में हुअा। प्रारम्भिक शिक्षा पिता और कुछ गुरुओं से पाई; संस्कृत, तमिल, अंग्रेजी आदि भाषाओं और गणित व ज्योतिष का अध्ययन किया। लेकिन औपचारिक शिक्षा हाईस्कूल तक ही हो पाई।
अाकाशवाणी के कालीकट और त्रिश्शूर केन्द्रों पर अर्से तक कार्य किया। केरल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष रहे। अन्य कई संस्थाओं में भी अध्यक्षीय पदों पर रहे।
प्रमुख कृतियाँ : वीरवादम्, मन:साक्षीयुडे पुक्कल, इडिञ्ञपोलिञ्ञा लोकम, वेण्णक्कल्लिंडे कथा व स्पर्शमणिकल (कविता-संग्रह) तथा इरुपदाम नूट्टांडिंडे इतिहास व बलिदर्शनम (खंडकाव्य)। कविता, कहानी, नाटक, निबंध, संस्मरण, साक्षात्कार और अनुवाद की लगभग पचास पुस्तकें प्रकाशित।
केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (1972, 1998), साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1973), मध्य प्रदेश सरकार का कबीर सम्मान (2006), केरल सरकार का एषुतच्छन सम्मान (2008) और ज्ञानपीठ पुरस्कार (2019) सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। पद्मश्री (2017) से भी नवाजे गए।
15 अक्टूबर, 2020 को निधन।
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