SalePaperback
SITA: WARRIOR OF MITHILA ₹399 ₹339
Save: 15%
THE MONK WHO SOLD HIS FERRARI { H } ₹250 ₹200
Save: 20%
Sita: Illustrated Ramayana-Hin
Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
PATTANAIK, DEVDUTT
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹399 ₹279
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
374
रथ नगर से बहुत दूर, वन के मध्य जा कर ठहर गया| दमकती हुई सीता, वृक्षों की ओर जाने को तत्पर हुईं| सारथी लक्ष्मण अपने स्थान पर स्थिर बैठे रहे| सीता को लगा कि वे कुछ कहना चाहते हैं, ओर वे वहीँ ठिठक गईं| लक्ष्मण ने अंततः अपनी बात कही, आँखें धरती में गड़ी थीं, ‘आपके पति, मेरे ज्येष्ठ भ्राता, अयोध्या नरेश राम, आपको बताना चाहते हैं कि नगर में चारों ओर अफ़वाहें प्रसारित हो रही हैं| आपकी प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगा है| नियम स्पष्ट है : एक राजा की पत्नी को हर प्रकार के संशय से ऊपर होना चाहिए| यही कारण है कि रघुकुल के वंशज ने आपको आदेश दिया है कि आप उनसे, उनके महल व् उनकी नगरी से दूर रहें| आप स्वेच्छा से कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं| परंतु आप किसी के सम्मुख यह प्रकट नहीं कर सकती कि आप कभी श्री राम की रानी थीं|’
सीता ने लक्ष्मण के काँपते नथुनों को देखा| वे उनकी ग्लानि व् रोष को अनुभव कर रही थीं| वे उनके निकट जा कर उन्हें सांत्वना देना चाहती थीं, किन्तु उन्होंने किसी तरह स्वयं को संभाला|
‘आपको लगता है कि राम ने अपनी सीता को त्याग दिया है, है न?
सीता ने कोमलता से पूछा|
परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया| वे ऐसा कर हे नहीं सकते|
वे भगवान हैं – वे कभी किसी का त्याग नहीं करते|
और मैं भगवती हूँ – कोई मेरा त्याग लार नहीं सकता|’
उलझन से घिरे लक्ष्मण अयोध्या की ओर प्रस्थान कर गए| सीता वन में मुस्कुराई ओर उन्होंने अपने केश बन्धमुक्त कर दिए|
Be the first to review “Sita: Illustrated
Ramayana-Hin” Cancel reply
Description
रथ नगर से बहुत दूर, वन के मध्य जा कर ठहर गया| दमकती हुई सीता, वृक्षों की ओर जाने को तत्पर हुईं| सारथी लक्ष्मण अपने स्थान पर स्थिर बैठे रहे| सीता को लगा कि वे कुछ कहना चाहते हैं, ओर वे वहीँ ठिठक गईं| लक्ष्मण ने अंततः अपनी बात कही, आँखें धरती में गड़ी थीं, ‘आपके पति, मेरे ज्येष्ठ भ्राता, अयोध्या नरेश राम, आपको बताना चाहते हैं कि नगर में चारों ओर अफ़वाहें प्रसारित हो रही हैं| आपकी प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगा है| नियम स्पष्ट है : एक राजा की पत्नी को हर प्रकार के संशय से ऊपर होना चाहिए| यही कारण है कि रघुकुल के वंशज ने आपको आदेश दिया है कि आप उनसे, उनके महल व् उनकी नगरी से दूर रहें| आप स्वेच्छा से कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं| परंतु आप किसी के सम्मुख यह प्रकट नहीं कर सकती कि आप कभी श्री राम की रानी थीं|’
सीता ने लक्ष्मण के काँपते नथुनों को देखा| वे उनकी ग्लानि व् रोष को अनुभव कर रही थीं| वे उनके निकट जा कर उन्हें सांत्वना देना चाहती थीं, किन्तु उन्होंने किसी तरह स्वयं को संभाला|
‘आपको लगता है कि राम ने अपनी सीता को त्याग दिया है, है न?
सीता ने कोमलता से पूछा|
परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया| वे ऐसा कर हे नहीं सकते|
वे भगवान हैं – वे कभी किसी का त्याग नहीं करते|
और मैं भगवती हूँ – कोई मेरा त्याग लार नहीं सकता|’
उलझन से घिरे लक्ष्मण अयोध्या की ओर प्रस्थान कर गए| सीता वन में मुस्कुराई ओर उन्होंने अपने केश बन्धमुक्त कर दिए|
Shipping & Delivery
About Author
देवदत्त पटनायक की शिक्षा एक मेडिकल डॉक्टर के रूप में हुई| वे पेशे से एक लीडरशिप कंसलटेंट तथा अपने शौक ओर जुनून के चलते पौराणिक कथाओं के जानकार हैं| उन्होंने पवित्र गाथाओं, प्रतीकों व् अनुष्ठानों तथा आधुनिक समय में उनकी प्रासंगिकता पर विस्तृत लेखन करते हुए व्याख्यान भी दिए हैं| 'देवलोक देवदत्त पटनायक के संग,' 'मिथक' ओर 'जय' उनकी उल्लेखनीय पुस्तकों में से हैं| देवदत्त की गैर-पारंपरिक सोच व् अदभुद शैली, उनके व्याख्यानों, पुस्तकों व् लेखों में स्पष्ट रूप से झलकती है
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Sita: Illustrated
Ramayana-Hin” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
ADVERTISING AND INTEGRATED MARKETING COMMUNICATION, 1ED
Save: 20%
Degarmo’s Materials And Processes In Manufacturing
Save: 20%
Reviews
There are no reviews yet.