Shobhayatra

Publisher:
RajKamal
| Author:
Bhishm Sahni
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
RajKamal
Author:
Bhishm Sahni
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9788126729258 Categories , , Tag
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120

सीधी सरल शब्दावली और सहज बिम्बों सामाकि यथार्थ की जटिल विडम्बनाओं को अभिव्यक्त करनेवाली भीष्म साहनी की कहानियाँ आज क्लासिक रचनाओं की श्रेणी में आती हैं। 1981 में पहली बार प्रकाशित उनका यह कहानी-संग्रह अपनी मूल्यपरक अर्थवत्ता और वैचारिक निष्ठा के चलते विशेष तौर पर सराहा गया था। शोभायात्रा की इन कहानियों में ‘फैसला’ के जज शुक्लाजी हों या ‘रामचन्दानी’ के रिटायर्ड अफसर रामचन्दानी—सही आदमी इस व्यवस्था में बराबर अव्यावहारिक और उपहास का विषय है। ‘निमित्त’ में यदि भाग्य और भगवान को ही कारण माननेवाले ‘निमित्त मात्रों’ की क्रूरता और चालाकी का कलात्मक खुलासा हुआ है तो ‘शोभायात्रा’ सत्ता के ‘अहिंसा परमो धर्म’—रूपी ढोंग को उघाड़ती है। दूसरी ओर ‘खिलौने’ जैसी कहानी है, जिसमें बच्चे और खिलौने के माध्यम से आधुनिक जीवन की भयावह कैरियेरिस्ट संवेदनहीनता का मार्मिक चित्रण हुआ है। वस्तुगत यथार्थ और उसका दृष्टि सम्पन्न चित्रण, यही इस संग्रह की कहानियों की विशेषता है जिसके कारण इन्हें दशकों से एक ही लगाव के साथ पढ़ा जाता रहा है।

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सीधी सरल शब्दावली और सहज बिम्बों सामाकि यथार्थ की जटिल विडम्बनाओं को अभिव्यक्त करनेवाली भीष्म साहनी की कहानियाँ आज क्लासिक रचनाओं की श्रेणी में आती हैं। 1981 में पहली बार प्रकाशित उनका यह कहानी-संग्रह अपनी मूल्यपरक अर्थवत्ता और वैचारिक निष्ठा के चलते विशेष तौर पर सराहा गया था। शोभायात्रा की इन कहानियों में ‘फैसला’ के जज शुक्लाजी हों या ‘रामचन्दानी’ के रिटायर्ड अफसर रामचन्दानी—सही आदमी इस व्यवस्था में बराबर अव्यावहारिक और उपहास का विषय है। ‘निमित्त’ में यदि भाग्य और भगवान को ही कारण माननेवाले ‘निमित्त मात्रों’ की क्रूरता और चालाकी का कलात्मक खुलासा हुआ है तो ‘शोभायात्रा’ सत्ता के ‘अहिंसा परमो धर्म’—रूपी ढोंग को उघाड़ती है। दूसरी ओर ‘खिलौने’ जैसी कहानी है, जिसमें बच्चे और खिलौने के माध्यम से आधुनिक जीवन की भयावह कैरियेरिस्ट संवेदनहीनता का मार्मिक चित्रण हुआ है। वस्तुगत यथार्थ और उसका दृष्टि सम्पन्न चित्रण, यही इस संग्रह की कहानियों की विशेषता है जिसके कारण इन्हें दशकों से एक ही लगाव के साथ पढ़ा जाता रहा है।

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