SHARNGADHARA PADDHATI ( 2VOLS)

Publisher:
Motilal Banarsidass Publishers
| Author:
SRI JAGAT NATH SHASTRI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Motilal Banarsidass Publishers
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SRI JAGAT NATH SHASTRI
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Hindi
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Hardback

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तेरहवीं शताब्दी में प्रस्तावित यह ग्रन्थ १६३ परिच्छेदों में फैला हुआ है। प्रत्येक परिच्छेद में एक विषय को प्रधानता दी गयी है। इस प्रकार यह संस्कृत साहित्य का उत्कृष्ट प्रतिनिधि है और प्रत्येक श्लोक अपने आप में पूर्ण है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, अनुभव और साहित्यिक मूल्यों का त्रिवेणी संगम है; जो गुरुशिष्यपरम्परा से हमें उपलब्ध हुआ है। इस संकलन में ‘गान्धर्ववेद’ ‘धनुर्वेद’ ‘वृक्षायुर्वेद’, ‘गरलशास्त्र’, ‘शकुन’ ‘नवरसों की प्रस्तुति’ ‘अन्योक्तियाँ’ ‘नीति राजनीति’ ‘भक्ति’ हठयोग, ध्यानयोग, लययोग, ‘राजयोग’ के साथ जीवनोपयोगी विभिन्न विषयों का समावेश है, और साथ में संस्कृत के महान कवि, कवयित्री आदि की श्रेष्ठ रचनाएँ जैसे- महाकाव्य, मुक्तक, गद्य, पद्य, नाटकों के काव्यरसामृत चखने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध है।

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Description

तेरहवीं शताब्दी में प्रस्तावित यह ग्रन्थ १६३ परिच्छेदों में फैला हुआ है। प्रत्येक परिच्छेद में एक विषय को प्रधानता दी गयी है। इस प्रकार यह संस्कृत साहित्य का उत्कृष्ट प्रतिनिधि है और प्रत्येक श्लोक अपने आप में पूर्ण है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, अनुभव और साहित्यिक मूल्यों का त्रिवेणी संगम है; जो गुरुशिष्यपरम्परा से हमें उपलब्ध हुआ है। इस संकलन में ‘गान्धर्ववेद’ ‘धनुर्वेद’ ‘वृक्षायुर्वेद’, ‘गरलशास्त्र’, ‘शकुन’ ‘नवरसों की प्रस्तुति’ ‘अन्योक्तियाँ’ ‘नीति राजनीति’ ‘भक्ति’ हठयोग, ध्यानयोग, लययोग, ‘राजयोग’ के साथ जीवनोपयोगी विभिन्न विषयों का समावेश है, और साथ में संस्कृत के महान कवि, कवयित्री आदि की श्रेष्ठ रचनाएँ जैसे- महाकाव्य, मुक्तक, गद्य, पद्य, नाटकों के काव्यरसामृत चखने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध है।

About Author

दिल्ली प्रशासन के शिक्षा निदेशालय से ३२ वर्षीय अध्यापन कार्य की सेवा निवृत्ति से पूर्व, तत्कालीन राज्य शिक्षा संस्थान; अधुनातन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (S.C.E.R.T.), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् (N.C.E.R.T.), राष्ट्रीय विद्यालय (National Open School) तथा संस्कृत अकादमी के विभिन्न स्तर के कार्य गोष्ठी प्रशिक्षण कायद्रों कार्य करते हुए पाठ निर्माण में कथा बालोपयोगी नाटक काव्य आदि सृजनात्मक कार्य सम्पादन का उत्तम अभ्यास करने का अवसर मिला। जिससे दोनों व्याख्याओं को लिखत लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन मिला।

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