SHARNGADHARA PADDHATI ( 2VOLS)
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तेरहवीं शताब्दी में प्रस्तावित यह ग्रन्थ १६३ परिच्छेदों में फैला हुआ है। प्रत्येक परिच्छेद में एक विषय को प्रधानता दी गयी है। इस प्रकार यह संस्कृत साहित्य का उत्कृष्ट प्रतिनिधि है और प्रत्येक श्लोक अपने आप में पूर्ण है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, अनुभव और साहित्यिक मूल्यों का त्रिवेणी संगम है; जो गुरुशिष्यपरम्परा से हमें उपलब्ध हुआ है। इस संकलन में ‘गान्धर्ववेद’ ‘धनुर्वेद’ ‘वृक्षायुर्वेद’, ‘गरलशास्त्र’, ‘शकुन’ ‘नवरसों की प्रस्तुति’ ‘अन्योक्तियाँ’ ‘नीति राजनीति’ ‘भक्ति’ हठयोग, ध्यानयोग, लययोग, ‘राजयोग’ के साथ जीवनोपयोगी विभिन्न विषयों का समावेश है, और साथ में संस्कृत के महान कवि, कवयित्री आदि की श्रेष्ठ रचनाएँ जैसे- महाकाव्य, मुक्तक, गद्य, पद्य, नाटकों के काव्यरसामृत चखने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध है।
तेरहवीं शताब्दी में प्रस्तावित यह ग्रन्थ १६३ परिच्छेदों में फैला हुआ है। प्रत्येक परिच्छेद में एक विषय को प्रधानता दी गयी है। इस प्रकार यह संस्कृत साहित्य का उत्कृष्ट प्रतिनिधि है और प्रत्येक श्लोक अपने आप में पूर्ण है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, अनुभव और साहित्यिक मूल्यों का त्रिवेणी संगम है; जो गुरुशिष्यपरम्परा से हमें उपलब्ध हुआ है। इस संकलन में ‘गान्धर्ववेद’ ‘धनुर्वेद’ ‘वृक्षायुर्वेद’, ‘गरलशास्त्र’, ‘शकुन’ ‘नवरसों की प्रस्तुति’ ‘अन्योक्तियाँ’ ‘नीति राजनीति’ ‘भक्ति’ हठयोग, ध्यानयोग, लययोग, ‘राजयोग’ के साथ जीवनोपयोगी विभिन्न विषयों का समावेश है, और साथ में संस्कृत के महान कवि, कवयित्री आदि की श्रेष्ठ रचनाएँ जैसे- महाकाव्य, मुक्तक, गद्य, पद्य, नाटकों के काव्यरसामृत चखने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध है।
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