Sharat Chandra Chattopadhyay (Set of 4 Books): Majhli Didi | Vipradas | Datta | Path Ke Davedar
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1. मझली दीदी :- शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल साहित्य जगत के एक सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकतर रचनाओं को हिंदी में व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है। उनका जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का शरत्चंद्र के जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। उनकी लिखावट में संजीदगी झलकती है।
2. विप्रदास :- शरत्चन्द्र द्वारा रचित ‘विप्रदास’एक लोकप्रिय उपन्यास है।
3. दत्ता :- शरत्चंद्र द्वारा रचित ‘दत्ता’उपन्यास विजया की कहानी को दर्शाता है जिसके पिता ने उसका विवाह अपने बचपन के मित्रा जगदीश के बेटे नरेंद्र से तय किया था। विजया का अपने पिता की मृत्यु के बाद वापस गांव आकर सारा कार्यभार संभालने से लेकर रासबिहारी की धूर्तता एवं नरेंद्र से मतभेद उत्पन्न करने तक का सफर इसे अत्यंत मर्मस्पर्शी बनाता है। ‘दत्ता’शरत्चंद्र के लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है जो हर पीढ़ी के पाठकों को संवेदनशील रूप से मानवीय भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को बखूबी चित्रित कराता है।
4. पथ के दावेदार :- प्रस्तुत उपन्यास ‘पथ के दावेदार’ अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची की कहानी है। जिसमें अपूर्व का सामना विदेश यात्रा के दौरान भूमिगत संगठन से होता है जिसका नेता सब्यसाची है एवं उनका लक्ष्य भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराना है। अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची का अस्पृश्यता, रूढ़िवाद और स्वतंत्रता की अव्यवस्थता के लिए संघर्ष इस उपन्यास को और भी मर्मस्पर्शी बनाता है।
1. मझली दीदी :- शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल साहित्य जगत के एक सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकतर रचनाओं को हिंदी में व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है। उनका जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का शरत्चंद्र के जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। उनकी लिखावट में संजीदगी झलकती है।
2. विप्रदास :- शरत्चन्द्र द्वारा रचित ‘विप्रदास’एक लोकप्रिय उपन्यास है।
3. दत्ता :- शरत्चंद्र द्वारा रचित ‘दत्ता’उपन्यास विजया की कहानी को दर्शाता है जिसके पिता ने उसका विवाह अपने बचपन के मित्रा जगदीश के बेटे नरेंद्र से तय किया था। विजया का अपने पिता की मृत्यु के बाद वापस गांव आकर सारा कार्यभार संभालने से लेकर रासबिहारी की धूर्तता एवं नरेंद्र से मतभेद उत्पन्न करने तक का सफर इसे अत्यंत मर्मस्पर्शी बनाता है। ‘दत्ता’शरत्चंद्र के लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है जो हर पीढ़ी के पाठकों को संवेदनशील रूप से मानवीय भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को बखूबी चित्रित कराता है।
4. पथ के दावेदार :- प्रस्तुत उपन्यास ‘पथ के दावेदार’ अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची की कहानी है। जिसमें अपूर्व का सामना विदेश यात्रा के दौरान भूमिगत संगठन से होता है जिसका नेता सब्यसाची है एवं उनका लक्ष्य भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराना है। अपूर्व, भारती एवं सब्यसाची का अस्पृश्यता, रूढ़िवाद और स्वतंत्रता की अव्यवस्थता के लिए संघर्ष इस उपन्यास को और भी मर्मस्पर्शी बनाता है।
About Author
उनका बचपन और युवावस्था बेहद गरीबी में बीती क्योंकि उनके पिता मोतीलाल चट्टोपाध्याय एक आलसी और सपने देखने वाले व्यक्ति थे और अपने पांच बच्चों को बहुत कम सुरक्षा देते थे। शरतचंद्र ने बहुत कम औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उन्हें अपने पिता से कुछ मूल्यवान चीजें विरासत में मिलीं - उनकी कल्पनाशीलता और साहित्य के प्रति प्रेम।
उन्होंने किशोरावस्था में ही लिखना शुरू कर दिया था और तब लिखी गई उनकी दो कहानियाँ बची हैं- 'कोरेल' और 'काशीनाथ'। शरतचंद्र उस समय परिपक्व हुए जब सामाजिक चेतना के जागरण के साथ-साथ राष्ट्रीय आंदोलन भी गति पकड़ रहा था।
उनके अधिकांश लेखन में समाज की परिणामी अशांति की छाप दिखती है। एक विपुल लेखक, उन्होंने उपन्यास को इसे चित्रित करने के लिए एक उपयुक्त माध्यम पाया और, उनके हाथों में, यह सामाजिक और राजनीतिक सुधार का एक शक्तिशाली हथियार बन गया।
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