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Shaheen Bagh : Loktantra Ki Nai Karavat (PB)
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‘शाहीन बाग़ : लोकतंत्र की नई करवट’ उस अनूठे आन्दोलन का दस्तावेज़ है जो राजधानी दिल्ली के गुमनाम-से इलाक़े से शुरू हुआ और देखते-देखते एक राष्ट्रव्यापी परिघटना बन गया। यह किताब औरतों, ख़ासकर मुस्लिम औरतों की अगुआई में चले शाहीन बाग़ आन्दोलन का न सिर्फ़ आँखों देखा वृत्तान्त पेश करती है, बल्कि सप्रमाण उन पक्षों को उद्घाटित करती है जिनकी बदौलत शाहीन बाग़ ने बँधी-बँधाई राजनीतिक-सामाजिक सोच को झकझोरा, लोकतंत्र और संविधान की शक्ति का नए सिरे से अहसास कराया और उनके प्रति लोगों के भरोसे को और मज़बूत किया।
‘शाहीन बाग़ : लोकतंत्र की नई करवट’ उस अनूठे आन्दोलन का दस्तावेज़ है जो राजधानी दिल्ली के गुमनाम-से इलाक़े से शुरू हुआ और देखते-देखते एक राष्ट्रव्यापी परिघटना बन गया। यह किताब औरतों, ख़ासकर मुस्लिम औरतों की अगुआई में चले शाहीन बाग़ आन्दोलन का न सिर्फ़ आँखों देखा वृत्तान्त पेश करती है, बल्कि सप्रमाण उन पक्षों को उद्घाटित करती है जिनकी बदौलत शाहीन बाग़ ने बँधी-बँधाई राजनीतिक-सामाजिक सोच को झकझोरा, लोकतंत्र और संविधान की शक्ति का नए सिरे से अहसास कराया और उनके प्रति लोगों के भरोसे को और मज़बूत किया।
About Author
भाषा सिंह
पत्रकार, लेखक, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्ममेकर व संस्कृतिकर्मी भाषा सिंह का जन्म 20 जून, 1971 को दिल्ली में हुआ। पढ़ाई-लिखाई लखनऊ में हुई। देशभर में सिर पर मैला ढोने की प्रथा की पड़ताल करती पहली किताब 'अदृश्य भारत' 2012 में पेंगुइन से छपी जो अंग्रेज़ी, तमिल, तेलुगु व मलयालम में भी अनूदित हो चुकी है। सिर पर मैला ढोने की प्रथा और उससे प्रभावित समुदाय पर काम के लिए ‘प्रभा दत्त संस्कृति फ़ेलोशिप’, ‘पेनोस फ़ेलोशिप’ और ‘पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया फ़ेलोशिप’; प्रिंट में सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का ‘रामनाथ गोयनका पुरस्कार’; उत्तर भारत में कृषि संकट व किसानों की आत्महत्या पर काम के लिए ‘नेशनल फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया फ़ेलोशिप’।
क़रीब 25 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय।
सम्पर्क : bhasha.k@gmail.com
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