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Reporter On The Ground (PB)
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ग्राउंड रिपोर्टिंग पत्रकारिता की बुनियाद है। साफ़-सुथरी और तथ्यपरक रिपोर्ट के बिना ऐसी पत्रकारिता सम्भव नहीं है जिसे लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहा जाता रहा है। रिपोर्टिंग जितना अनुशासन की माँग करती है उतना ही अभ्यास की; यह जितना तैयारी की माँग करती है उतना ही तकनीक की। इसके लिए सजगता जितनी ज़रूरी है, सचाई भी उतना ही ज़रूरी है। वास्तव में, करियर के अन्य बहुतेरे माध्यमों की तरह रिपोर्टिंग भी जितनी कला है उतना ही विज्ञान भी है। इसकी अपनी बारीकियाँ हैं, अपना ग्रामर है जिनसे वाक़िफ़ हुए बिना पत्रकारिता के मैदान में उतरना लाइफ़ जैकेट पहने बिना किसी तूफ़ानी नदी के प्रवाह में कूदने जैसा हो जाता है। लेकिन पत्रकारिता का कोई छात्र यह बारीकी, यह ग्रामर कहाँ से जाने? इसी सवाल से जाने-माने रिपोर्टर परिमल कुमार के रू-ब-रू होने का नतीजा है यह किताब। ‘रिपोर्टर ऑन द ग्राउंड’ में सैद्धान्तिक के मुक़ाबले रिपोर्टिंग के व्यावहारिक पहलुओं पर ज़ोर दिया गया है। बेशक इसमें सैद्धान्तिक पहलू छोड़े नहीं गए हैं लेकिन परिमल ने रिपोर्टिंग के अपने लम्बे अनुभवों को आधार बनाकर ऐसा सिलसिलेवार पाठ तैयार किया है जिसे रिपोर्टिंग का ‘प्रैक्टिकल गाइड’ कहा जा सकता है।
ग्राउंड रिपोर्टिंग पत्रकारिता की बुनियाद है। साफ़-सुथरी और तथ्यपरक रिपोर्ट के बिना ऐसी पत्रकारिता सम्भव नहीं है जिसे लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहा जाता रहा है। रिपोर्टिंग जितना अनुशासन की माँग करती है उतना ही अभ्यास की; यह जितना तैयारी की माँग करती है उतना ही तकनीक की। इसके लिए सजगता जितनी ज़रूरी है, सचाई भी उतना ही ज़रूरी है। वास्तव में, करियर के अन्य बहुतेरे माध्यमों की तरह रिपोर्टिंग भी जितनी कला है उतना ही विज्ञान भी है। इसकी अपनी बारीकियाँ हैं, अपना ग्रामर है जिनसे वाक़िफ़ हुए बिना पत्रकारिता के मैदान में उतरना लाइफ़ जैकेट पहने बिना किसी तूफ़ानी नदी के प्रवाह में कूदने जैसा हो जाता है। लेकिन पत्रकारिता का कोई छात्र यह बारीकी, यह ग्रामर कहाँ से जाने? इसी सवाल से जाने-माने रिपोर्टर परिमल कुमार के रू-ब-रू होने का नतीजा है यह किताब। ‘रिपोर्टर ऑन द ग्राउंड’ में सैद्धान्तिक के मुक़ाबले रिपोर्टिंग के व्यावहारिक पहलुओं पर ज़ोर दिया गया है। बेशक इसमें सैद्धान्तिक पहलू छोड़े नहीं गए हैं लेकिन परिमल ने रिपोर्टिंग के अपने लम्बे अनुभवों को आधार बनाकर ऐसा सिलसिलेवार पाठ तैयार किया है जिसे रिपोर्टिंग का ‘प्रैक्टिकल गाइड’ कहा जा सकता है।
About Author
परिमल कुमार
परिमल कुमार का जन्म 25 दिसम्बर,1981 को बिहार के समस्तीपुर में हुआ। दरभंगा से पढ़ाई की। फिर दिल्ली के आईआईएमसी से 2005-06 में हिन्दी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया। गुरु जाम्मेश्वर विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। पत्रकारिता में उनका 17 साल का अनुभव है। शुरुआती डेढ़ साल ‘दैनिक भास्कर’ (श्रीगंगानगर), ‘राष्ट्रीय सहारा’ (नोएडा) और ‘अमर उजाला’ (नोएडा) में डेस्क पर काम किया।
दिसम्बर, 2007 से एनडीटीवी इंडिया के साथ बतौर रिपोर्टर करियर की शुरुआत की। फ़िलहाल सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट के पद पर हैं। चार न्यूज़ टेलीविज़न अवार्ड (NT Awards) के तहत ‘यंग टीवी जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर’, दो बार ‘टीवी न्यूज़ ऑफ़ द ईयर’ और एक बार ‘बेस्ट इन्वेस्टिगेटिव न्यूज़ रिपोर्ट’, ‘IIMCAA Awards Journalist of the Year’ (Broadcasting), ‘40 under 40 अवार्ड’, ‘Excellence in Journalism Award from Global Festival of Journalism’ के अलावा और भी कई सम्मानों से सम्मानित किए गए हैं। आईआईएमसी, इग्नू, बीएचयू जैसे संस्थानों में गेस्ट फ़ैकल्टी के रूप में पढ़ाया भी है। ये किताब अपने व्यावहारिक अनुभव के आधार पर उन नए साथियों के लिए लिखी है जो पत्रकारिता में क़दम रख रहे हैं।
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