SalePaperback
“राऊ स्वामी मराठी कथाकार नागनाथ इनामदार के लोकप्रिय ऐतिहासिक उपन्यास का अनुवाद है-राऊ स्वामी। यह मदन कुँवरि मस्तानी और श्रीमन्त बाजीराव पेशवा की रोचक प्रेम-कहानी है। श्रीमन्त बाजीराव छत्रपति शिवाजी के पौत्र एवं सातारा (महाराष्ट्र) के अधिपति शाहू महाराज के शासन काल में 1720 ई. में पुणे के पेशवा पद पर नियुक्त हुए थे। बाजीराव का सम्पूर्ण जीवन ही लोमहर्षक घटनाओं से भरा पड़ा है। अपने उद्यम से उन्होंने पुर्तगीज़ों, हशियों, मुग़लों और अँग्रेज़ों का न केवल जमकर विरोध किया, उनके साथ हुई लड़ाइयों में जीत हासिल कर मराठा शासन को बुलन्दगी पर पहुँचाया। इसी दौरान अपनी चरम युवावस्था में, इस वीर पुरुष के जीवन में एक ऐसी स्त्री ने प्रवेश किया जो एक भिन्न वातावरण में पली-बढ़ी थी। मदन कुँवरि मस्तानी एक अल्हड़ और परम रूपवती थी। बाजीराव और मस्तानी के प्रणय-सम्बन्धों को लेकर राजपरिवार में बढ़ती हुई कलह और राजपुरोधाओं के असहिष्णु व्यवहार के कारण ऐसा दावानल भड़का, जिसने दोनों प्रेमियों को अपनी लपटों में घेर लिया और देखते ही देखते उनकी बलि ले ली। बाजीराव की इस प्रेम-कथा को रोचक एवं सन्तुलित बनाने के लिए कथाकार ने कुछेक घटनाओं में अपेक्षित परिवर्तन भी किया है । डॉ. ओम शिवराज ने जिस संलग्नता से इस कृति का अनुवाद किया है, उससे इसकी पठनीयता और बढ़ गयी है। उन्होंने कई प्रसिद्ध मराठी कृतियों के अनुवाद किये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित इनामदार के दो अन्य विख्यात उपन्यासों-शाहंशाह और प्रतिघात का अनुवाद भी उन्हीं की क़लम से हुआ है।”
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “Rau Swami (PB)” Cancel reply
Description
“राऊ स्वामी मराठी कथाकार नागनाथ इनामदार के लोकप्रिय ऐतिहासिक उपन्यास का अनुवाद है-राऊ स्वामी। यह मदन कुँवरि मस्तानी और श्रीमन्त बाजीराव पेशवा की रोचक प्रेम-कहानी है। श्रीमन्त बाजीराव छत्रपति शिवाजी के पौत्र एवं सातारा (महाराष्ट्र) के अधिपति शाहू महाराज के शासन काल में 1720 ई. में पुणे के पेशवा पद पर नियुक्त हुए थे। बाजीराव का सम्पूर्ण जीवन ही लोमहर्षक घटनाओं से भरा पड़ा है। अपने उद्यम से उन्होंने पुर्तगीज़ों, हशियों, मुग़लों और अँग्रेज़ों का न केवल जमकर विरोध किया, उनके साथ हुई लड़ाइयों में जीत हासिल कर मराठा शासन को बुलन्दगी पर पहुँचाया। इसी दौरान अपनी चरम युवावस्था में, इस वीर पुरुष के जीवन में एक ऐसी स्त्री ने प्रवेश किया जो एक भिन्न वातावरण में पली-बढ़ी थी। मदन कुँवरि मस्तानी एक अल्हड़ और परम रूपवती थी। बाजीराव और मस्तानी के प्रणय-सम्बन्धों को लेकर राजपरिवार में बढ़ती हुई कलह और राजपुरोधाओं के असहिष्णु व्यवहार के कारण ऐसा दावानल भड़का, जिसने दोनों प्रेमियों को अपनी लपटों में घेर लिया और देखते ही देखते उनकी बलि ले ली। बाजीराव की इस प्रेम-कथा को रोचक एवं सन्तुलित बनाने के लिए कथाकार ने कुछेक घटनाओं में अपेक्षित परिवर्तन भी किया है । डॉ. ओम शिवराज ने जिस संलग्नता से इस कृति का अनुवाद किया है, उससे इसकी पठनीयता और बढ़ गयी है। उन्होंने कई प्रसिद्ध मराठी कृतियों के अनुवाद किये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित इनामदार के दो अन्य विख्यात उपन्यासों-शाहंशाह और प्रतिघात का अनुवाद भी उन्हीं की क़लम से हुआ है।”
About Author
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “Rau Swami (PB)” Cancel reply
YOU MAY ALSO LIKE…
Dhan-Sampatti Ka Manovigyan (The Psychology of Money)
Save: 20%
Prachin Ewam Purva Madhyakalin Bharat Ka Etihas
Save: 15%
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.