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Patta Mahadevi Shantala (Volume-4)
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Perfect Frame
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सर्वेश
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सर्वेश
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹200 ₹199
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ISBN:
SKU
9789326354967
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
100
परफेक्ट फ्रेम (महिला फ़ोटोग्राफ़रों की दुनिया) –
सर्वेश के निजी और प्रोफ़ेशनल जीवन के लम्बे और सफल संघर्ष को मैंने बहुत लम्बे समय से देखा और जाना है। हिन्दी पत्रकारिता से जुड़ी बहुत कम महिलाओं ने उसकी जैसी जिजीविषा और निष्ठा से मर्दानगी उपस्थिति और सोच से भरी पत्रकारिता, उसकी भी (बेहद तकनीकी जटिलताओं और सततघुमक्कड़ी की अतिरिक्त चुनौतियों से भरी) फ़ोटो पत्रकारिता शाखा में इतने समय तक इतना हटकर अच्छा काम किया है। उसके अनथक उत्साह, नारी दुर्लभ साहस और रचनात्मकता के लिये मेरे मन में गहरा आदर है।
आज जिसे हम आधुनिक नारीवादी सोच मानते हैं, उसके इतिहास के समग्र दर्शन हमको सर्वेश सरीखी हाड़-मांस की ज़मीनी पेशेवर महिलाओं के निजी साक्ष्यों के बिना नहीं हो सकते और न ही हम एक विरल आजीविका चुनकर सफल होने वाली महिलाओं की उन कहानियों के बिना हम लोग अपने राजसमाज के भीतरी गलियारों और पत्रकारिता में औरतों ने किस तरह पैठ बनायी इस बाबत कई अनकही सचाइयों से वाक़िफ़ हो पायेंगे जो सर्वेश ने इस किताब में संकलित की हैं। आधुनिक राजसमाज तथा मीडिया में तेज़ी से आ रहे तकनीकी बदलावों से पेशेवर पत्रकारों के जीवन और आजीविका पर मँडराते नये ख़तरों का कोई सटीक राष्ट्रीय आकलन भी हम तभी पेश कर सकते हैं जब उसके हर विभाग हर शाखा में कार्यरत महिलाओं के अनमोल अनुभवों को भी ग़ौर से देखें समझें। किस तरह आम महिला की रचनात्मक क्षमता हर क्षेत्र में बुनियादी तौर से सन्दिग्ध मान ली जाती है और इस ग़लत-सलत धारणा को निरस्त करा पाने में महिलाओं को कितनी ऊर्जा और समय बरबाद होते हैं। फिर जगह बन भी गयी तो यदि वह कार्यक्षेत्र नयी चुनौतियों से जूझता है तो उसका असर कैसे पेशेवर महिला और पुरुष कर्मियों पर अलग-अलग तरह से पड़ता है? किस तरह हर कहीं छँटनी शुरू होने पर सबसे पहली शिकार महिलाएँ बनती हैं और इसकी बुनियाद में किस तरह की मानसिकता होती है?
मेरा मानना है कि राज समाज के सारे तन्त्र की बाबत हमारी समझ और संवेदना का दायरा कुछ और बढ़ाने में यह किताब समाज शास्त्रियों, पत्रकारों और पेशेवर कामकाजी महिलाओं के अलावा सभी संवेदनशील न्यायप्रिय पाठकों के लिये भी निश्चय ही बहुत उपादेय होगी।—मृणाल पाण्डे
अन्तिम आवरण पृष्ठ –
अद्भुत आँख—कैमरे से अतिरिक्त! —कृष्णा सोबती
मैंने पहले भी सर्वेश के फ़ोटो-चित्र देखे और सराहे हैं। इनमें कुछ चित्र तो अनोखे और अविस्मरणीय हैं। जीवन और फ़ोटो पत्रकारिता के नमूने, मुबारक! —कमलेश्वर
सर्वेश एक विलक्षण महिला फ़ोटोग्राफ़र हैं जो फ़ोटोग्राफ़ी के लिए कुछ भी छोड़ने को सदा तैयार रहती है। सर्वेश सच्चाई, ईमानदारी और मानवता के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। मैंने कई अवसरों पर उन्हें एक प्रतिबद्ध और मेहनती छायाकार के रूप में देखा है और प्रभावित हुआ हूँ। —असगर वजाहत
Sarvesh Ji, your photographs of women in our society concentrates on special aspects of their lives which only a woman can penetrate. I wish you the best in order to do great in terms of thems and their execution as a photographer. –Raghu Rai
It’s wonderful to see women striking out on their own and making headway. Sarvesh is one of those gusty women who has broken new ground in a made dominated world of still photographs. She has guts and determination. This collection of photoraphs of women is truly remarkable work. I was particularly impressed by the pix of the veiled women of Kashmir. This photograph is to watch. –Usha Rai
The community of women photo journalists in India has been expanding gradually and they have shown that they can compete with the best of their peers. Sarvesh is a prime example of one such photo journalist whose body of work displays both vibrancy and depth. Her photographs are a visual delight, whether they are of people or landscapes and the external environment. Excellence and quality are the hallmark of her photography. She has indeed become one of the country’s most iconic women photo-journalists. –Sushma Ramachandran
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Description
परफेक्ट फ्रेम (महिला फ़ोटोग्राफ़रों की दुनिया) –
सर्वेश के निजी और प्रोफ़ेशनल जीवन के लम्बे और सफल संघर्ष को मैंने बहुत लम्बे समय से देखा और जाना है। हिन्दी पत्रकारिता से जुड़ी बहुत कम महिलाओं ने उसकी जैसी जिजीविषा और निष्ठा से मर्दानगी उपस्थिति और सोच से भरी पत्रकारिता, उसकी भी (बेहद तकनीकी जटिलताओं और सततघुमक्कड़ी की अतिरिक्त चुनौतियों से भरी) फ़ोटो पत्रकारिता शाखा में इतने समय तक इतना हटकर अच्छा काम किया है। उसके अनथक उत्साह, नारी दुर्लभ साहस और रचनात्मकता के लिये मेरे मन में गहरा आदर है।
आज जिसे हम आधुनिक नारीवादी सोच मानते हैं, उसके इतिहास के समग्र दर्शन हमको सर्वेश सरीखी हाड़-मांस की ज़मीनी पेशेवर महिलाओं के निजी साक्ष्यों के बिना नहीं हो सकते और न ही हम एक विरल आजीविका चुनकर सफल होने वाली महिलाओं की उन कहानियों के बिना हम लोग अपने राजसमाज के भीतरी गलियारों और पत्रकारिता में औरतों ने किस तरह पैठ बनायी इस बाबत कई अनकही सचाइयों से वाक़िफ़ हो पायेंगे जो सर्वेश ने इस किताब में संकलित की हैं। आधुनिक राजसमाज तथा मीडिया में तेज़ी से आ रहे तकनीकी बदलावों से पेशेवर पत्रकारों के जीवन और आजीविका पर मँडराते नये ख़तरों का कोई सटीक राष्ट्रीय आकलन भी हम तभी पेश कर सकते हैं जब उसके हर विभाग हर शाखा में कार्यरत महिलाओं के अनमोल अनुभवों को भी ग़ौर से देखें समझें। किस तरह आम महिला की रचनात्मक क्षमता हर क्षेत्र में बुनियादी तौर से सन्दिग्ध मान ली जाती है और इस ग़लत-सलत धारणा को निरस्त करा पाने में महिलाओं को कितनी ऊर्जा और समय बरबाद होते हैं। फिर जगह बन भी गयी तो यदि वह कार्यक्षेत्र नयी चुनौतियों से जूझता है तो उसका असर कैसे पेशेवर महिला और पुरुष कर्मियों पर अलग-अलग तरह से पड़ता है? किस तरह हर कहीं छँटनी शुरू होने पर सबसे पहली शिकार महिलाएँ बनती हैं और इसकी बुनियाद में किस तरह की मानसिकता होती है?
मेरा मानना है कि राज समाज के सारे तन्त्र की बाबत हमारी समझ और संवेदना का दायरा कुछ और बढ़ाने में यह किताब समाज शास्त्रियों, पत्रकारों और पेशेवर कामकाजी महिलाओं के अलावा सभी संवेदनशील न्यायप्रिय पाठकों के लिये भी निश्चय ही बहुत उपादेय होगी।—मृणाल पाण्डे
अन्तिम आवरण पृष्ठ –
अद्भुत आँख—कैमरे से अतिरिक्त! —कृष्णा सोबती
मैंने पहले भी सर्वेश के फ़ोटो-चित्र देखे और सराहे हैं। इनमें कुछ चित्र तो अनोखे और अविस्मरणीय हैं। जीवन और फ़ोटो पत्रकारिता के नमूने, मुबारक! —कमलेश्वर
सर्वेश एक विलक्षण महिला फ़ोटोग्राफ़र हैं जो फ़ोटोग्राफ़ी के लिए कुछ भी छोड़ने को सदा तैयार रहती है। सर्वेश सच्चाई, ईमानदारी और मानवता के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। मैंने कई अवसरों पर उन्हें एक प्रतिबद्ध और मेहनती छायाकार के रूप में देखा है और प्रभावित हुआ हूँ। —असगर वजाहत
Sarvesh Ji, your photographs of women in our society concentrates on special aspects of their lives which only a woman can penetrate. I wish you the best in order to do great in terms of thems and their execution as a photographer. –Raghu Rai
It’s wonderful to see women striking out on their own and making headway. Sarvesh is one of those gusty women who has broken new ground in a made dominated world of still photographs. She has guts and determination. This collection of photoraphs of women is truly remarkable work. I was particularly impressed by the pix of the veiled women of Kashmir. This photograph is to watch. –Usha Rai
The community of women photo journalists in India has been expanding gradually and they have shown that they can compete with the best of their peers. Sarvesh is a prime example of one such photo journalist whose body of work displays both vibrancy and depth. Her photographs are a visual delight, whether they are of people or landscapes and the external environment. Excellence and quality are the hallmark of her photography. She has indeed become one of the country’s most iconic women photo-journalists. –Sushma Ramachandran
About Author
सर्वेश -
(ट्रैक्ल फ़ोटो पत्रकार व पर्वतारोही)
28 साल से फ़ोटो पत्रकारिता में सक्रिय।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध की कवरेज, उत्तरकाशी और गुजरात के भूकम्प, गुजरात और बुन्देलखण्ड के सूखे की कवरेज। कोयले की खदान से लेकर हिमालय की 17,500 हज़ार फुट से ज़्यादा ऊँचाई तक चढ़ने और स्कूटर से 9000 फुट की ऊँचाई तक जाने का अनुभव। सीतामढ़ी दंगा, कुम्भ मेला, बाढ़, लद्दाख फेस्टिवल, हिमालय कार रैली, महिला कमांडो आदि की कवरेज। देश के भीतर व्यापक भ्रमण के साथ-साथ स्पेन, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, श्रीलंका, जर्मनी आदि देशों की यात्रा। दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में वर्ष 2001 में महिलाओं पर केन्द्रित एकल फ़ोटो प्रदर्शनी तथा वर्ष 2008 में बच्चों पर केन्द्रित एकल प्रदर्शनी। फूजी फ़िल्म ग्रुप शो (सुपर 6) सहित अन्य ग्रुप फ़ोटो प्रदर्शनी।
पुरस्कार व सम्मान: सूचना व प्रसारण मन्त्रालय द्वारा आयोजित कारगिल फ़ोटो प्रतियोगिता में पुरस्कार हिन्दी अकादमी से पुरस्कृत गौड फ्रे अवार्ड सहित कई अन्य पुरस्कार व सम्मान। विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रोग्राम सोनी टीवी (विमेन एचिवर्स), स्टार टीवी (लाखों में एक), दूरदर्शन (तेजस्विनी), लोकसभा टीवी (हौसलों की उड़ान), आई बी एन-7 (ज़िन्दगी लाइव) आदि अन्य टीवी चैनलों पर वृत्तचित्र व कार्यक्रम प्रसारित।
गत चार वर्षों से कई राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर की दौड़ प्रतियोगिताओं में कई स्वर्ण और रजत पदक प्राप्त।
दैनिक 'हिन्दुस्तान' में 2008 से 2014 तक बतौर स्टाफ़ फ़ोटोग्राफ़र कार्य।
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