Pachees Saal Ki Ladki (PB)
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹199 ₹198
Save: 1%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
हिन्दी कथाकारों में ममता कालिया अपनी पैनी दृष्टि, जीवन्तता और साफगोई के लिए, अलग से पहचानी जाती हैं। उनकी रचनाओं की विशेषता है कि वे अपने लेखन में रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व बड़ी संवेदना से उभारती हैं, साथ ही जीवन की जटिलताओं के बीच जी रही हाड़-मांस की स्त्री के जीवन के उन पहलुओं पर पाठकों की दृष्टि आकर्षित करती हैं, जिन्हें लोग प्रायः नजरअन्दाज करते रहे हैं।
यों तो लड़कियों के जीवन में उम्र का सोलहवाँ साल बहुत नाजुक होता है पर पचीस साल की उम्र भी खास मायने रखती है। आधुनिक युग की देन है- लड़कियों की उम्र का पचीसवाँ साल, जिसे ममता जी ने इस संग्रह की कहानियों में रेखांकित किया है। इन कहानियों में उस उम्र की युवतियों की मानसिकता, उनके जीवन-संघर्ष, राग-विराग को कहीं चटक तो कहीं उदास रंगों में प्रस्तुत किया गया है। अलग तेवर लिये इन कहानियों को पढ़ने का आनन्द ही कुछ और है।
हिन्दी कथाकारों में ममता कालिया अपनी पैनी दृष्टि, जीवन्तता और साफगोई के लिए, अलग से पहचानी जाती हैं। उनकी रचनाओं की विशेषता है कि वे अपने लेखन में रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व बड़ी संवेदना से उभारती हैं, साथ ही जीवन की जटिलताओं के बीच जी रही हाड़-मांस की स्त्री के जीवन के उन पहलुओं पर पाठकों की दृष्टि आकर्षित करती हैं, जिन्हें लोग प्रायः नजरअन्दाज करते रहे हैं।
यों तो लड़कियों के जीवन में उम्र का सोलहवाँ साल बहुत नाजुक होता है पर पचीस साल की उम्र भी खास मायने रखती है। आधुनिक युग की देन है- लड़कियों की उम्र का पचीसवाँ साल, जिसे ममता जी ने इस संग्रह की कहानियों में रेखांकित किया है। इन कहानियों में उस उम्र की युवतियों की मानसिकता, उनके जीवन-संघर्ष, राग-विराग को कहीं चटक तो कहीं उदास रंगों में प्रस्तुत किया गया है। अलग तेवर लिये इन कहानियों को पढ़ने का आनन्द ही कुछ और है।
About Author
ममता कालिया
ममता कालिया का जन्म 2 नवम्बर, 1940 को वृन्दावन में हुआ। आपकी शिक्षा दिल्ली, मुम्बई, पुणे, नागपुर और इन्दौर शहरों में हुई। आप कहानी, नाटक, उपन्यास, निबन्ध, कविता और पत्रकारिता अर्थात् साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कथा साहित्य के परिदृश्य पर आपकी उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। आप महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक अंग्रेज़ी पत्रिका ‘HINDI’ की सम्पादक भी रह चुकी हैं।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘बेघर’, ‘नरक-दर-नरक’, ‘दौड़’, ‘दुक्खम सुक्खम’, ‘सपनों की होम डिलिवरी’, ‘कल्चर-वल्चर’ (उपन्यास); ‘छुटकारा’, ‘उसका यौवन’, ‘मुखौटा’, ‘जाँच अभी जारी है’, ‘सीट नम्बर छह’, ‘निर्मोही’, ‘प्रतिदिन’, ‘थोड़ा-सा प्रगतिशील’, ‘एक अदद औरत’, ‘बोलनेवाली औरत’, ‘पच्चीस साल की लड़की’, ‘ख़ुशक़िस्मत’, दो खंडों में अब तक की सम्पूर्ण कहानियाँ ‘ममता कालिया की कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह);
‘A Tribute to Papa and other Poems’, ‘Poems ’78’, ‘खाँटी घरेलू औरत’, ‘कितने प्रश्न करूँ’, ‘पचास कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आप न बदलेंगे’ (एकांकी-संग्रह); ‘कल परसों के बरसों’, ‘सफ़र में हमसफ़र’, ‘कितने शहरों में कितनी बार’, ‘अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’ (संस्मरण); ‘भविष्य का स्त्री-विमर्श’, ‘स्त्री-विमर्श का यथार्थ’, ‘स्त्री-विमर्श के तेवर’ (स्त्री-विमर्श); ‘महिला लेखन के सौ वर्ष’ (सम्पादन)।
आप ‘व्यास सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘यशपाल स्मृति सम्मान’, ‘महादेवी स्मृति पुरस्कार’, ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘कमलेश्वर स्मृति सम्मान’, ‘सावित्री बाई फुले स्मृति सम्मान’, ‘अमृत सम्मान’, ‘लमही सम्मान’, ‘सीता पुरस्कार’ ढींगरा फैमिली फ़ाउंडेशन, अमेरिका का ‘लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’, ‘ओ.पी. मालवीय स्मृति सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।
ई-मेल : mamtakalia011@gmail.com
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.