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Nehru Banam Subhash

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rudrangshu Mukherjee
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

300

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ISBN:
Page Extent:
240

सुभाष को क था कि वे और जवाहरलाल साथ मिलकर इतिहास बना सकते हैं, मगर जवाहरलाल अपना भविष्य गांधी के बगैर नहीं देख पा रहे थे। यही इन दोनों के संबंधों के द्वंद्व का सीमा-बिंदु था। एक व्यक्ति, जिसके लिए भारत की आजादी से अधिक और कुछ मायने नहीं रखता था और दूसरा, जिसने अपने देश की आजादी को अपने हृदय में सँजोए रखा, मगर इसके लिए अपने पराक्रमपूर्ण प्रयास को अन्य चीजों से भी संबंधित रखा और कभी-कभी तो द्वंद्व-युक्त निष्ठा से भी। सुभाष और जवाहरलाल की मित्रता में लक्ष्यों की प्रतिद्वंद्विता की इस दरार ने एक तनाव उत्पन्न कर दिया और उनके जीवन का कभी भी मिलन न हो सका|.

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Description

सुभाष को क था कि वे और जवाहरलाल साथ मिलकर इतिहास बना सकते हैं, मगर जवाहरलाल अपना भविष्य गांधी के बगैर नहीं देख पा रहे थे। यही इन दोनों के संबंधों के द्वंद्व का सीमा-बिंदु था। एक व्यक्ति, जिसके लिए भारत की आजादी से अधिक और कुछ मायने नहीं रखता था और दूसरा, जिसने अपने देश की आजादी को अपने हृदय में सँजोए रखा, मगर इसके लिए अपने पराक्रमपूर्ण प्रयास को अन्य चीजों से भी संबंधित रखा और कभी-कभी तो द्वंद्व-युक्त निष्ठा से भी। सुभाष और जवाहरलाल की मित्रता में लक्ष्यों की प्रतिद्वंद्विता की इस दरार ने एक तनाव उत्पन्न कर दिया और उनके जीवन का कभी भी मिलन न हो सका|.

About Author

रुद्रांक्षु मुखर्जी अशोका विश्वविद्यालय के कुलपति एवं इतिहास के प्रोफेसर हैं। पूर्व में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया है तथा प्रिंस्टन विश्वविद्यालय, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया और सांताक्रुज विश्वविद्यालय में भी अध्यापन के लिए जाते रहे हैं। रुद्रांक्षु मुखर्जी ‘द टेलीग्राफ’ के संपादकीय पृष्ठों के संपादक भी रहे तथा इसके परामर्शदाता की भूमिका में अभी भी हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं और बहुत सी पुस्तकों का संपादन भी किया है, जिनमें ‘अवध इन रिवोल्ट’, ‘1857-58: ए स्टडी ऑफ पॉपुलर रेसिस्टेंस’ और ‘स्पेक्टर ऑफ वायलेंस: द 1857 कानपुर मैसक्रेस’ तथा ‘द पैंग्विन गांधी रीडर’ प्रमुख हैं|.
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