Nagrikta Ka Stri Paksh

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
अनुपम रॉय
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
अनुपम रॉय
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789387648296 Category
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298

ऐतिहासिक रूप से नागरिकता की निर्मिति बहिष्करणों की एक श्रृंखला से हुई, जिसमें लोगों के एक बड़े तबके को नागरिकता के लिए अयोग्य माना गया। विभिन्न ऐतिहासिक दौरों में नागरिक बनने’ के रूप में समान सदस्यता का क्रमिक विस्तार हुआ, जिससे नये लोग और समूह नागरिकता के दायरे में सम्मिलित हुए। हालाँकि समानता का वायदा जाति के पदसोपानों, जेण्डर के विभेदों और धार्मिक विभाजनों की बहिष्करणीय रूपरेखा पर एक तरह से परदा डाल देता है। किन्तु हक़ीक़त यह है कि इन्हीं पदसोपानों, विभेदों और विभाजनो के आधार पर नागरिकता का वास्तविक अनुभव सामने आता है।

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Description

ऐतिहासिक रूप से नागरिकता की निर्मिति बहिष्करणों की एक श्रृंखला से हुई, जिसमें लोगों के एक बड़े तबके को नागरिकता के लिए अयोग्य माना गया। विभिन्न ऐतिहासिक दौरों में नागरिक बनने’ के रूप में समान सदस्यता का क्रमिक विस्तार हुआ, जिससे नये लोग और समूह नागरिकता के दायरे में सम्मिलित हुए। हालाँकि समानता का वायदा जाति के पदसोपानों, जेण्डर के विभेदों और धार्मिक विभाजनों की बहिष्करणीय रूपरेखा पर एक तरह से परदा डाल देता है। किन्तु हक़ीक़त यह है कि इन्हीं पदसोपानों, विभेदों और विभाजनो के आधार पर नागरिकता का वास्तविक अनुभव सामने आता है।

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