![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
Mrityu Katha
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹295 ₹236
Save: 20%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
मृत्यु कथा – पिछले एक दशक से आशुतोष भारद्वाज माओवादियों और भारतीय सत्ता के बीच चल रहे गृह-युद्ध व इसके शिकार हुए आदिवासियों पर लिख रहे हैं। मृत्यु-कथा इस संग्राम के योद्धा और साक्षी बने इन्सानों की गाथा है। अनेक स्वरों में खुद को कहती यह किताब दण्डकारण्य की जीवनी भी है, जो पत्रकारिता का अनुशासन, डायरी की आत्मीयता, निबन्ध की वैचारिकता और औपन्यासिक आख्यान की कला को एक साथ साधना चाहती है।
माओवादी क्रान्ति के आईने से यह किताब हिंसा और फ़रेब, पाप और पुनरुत्थान के प्रत्यय पर चिन्तन करती है – साथ ही बतलाती है कि रणभूमि का जीवन और लेखन मनुष्य को किस क़दर भस्म करता है। देश के श्रेष्ठतम लेखकों और आलोचकों द्वारा प्रशंसित यह किताब अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी है। इसके अन्तरराष्ट्रीय संस्करण जल्द प्रकाशित हो रहे हैं ।
गद्य की विभिन्न विधाओं में लिख रहे आशुतोष भारद्वाज का एक कहानी संग्रह, आलोचना की एक किताब, कई निबन्ध, अनुवाद, संस्मरण, डायरियाँ इत्यादि प्रकाशित हैं। उन्हें अपनी कहानियों के लिए कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप मिली है। उनकी किताब पितृ-वध को वर्ष 2020 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान मिला है ।
वह एकमात्र पत्रकार हैं जिन्हें पत्रकारिता का प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका सम्मान लगातार चार साल (2012-2015) मिला है । वह 2015 में रायटर्स के अन्तरराष्ट्रीय कर्ट शॉर्क सम्मान के लिए नामांकित हुए थे।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फ़ेलोशिप (2017-2019) के तहत ‘स्त्री के एकान्त’ पर लिखी उनकी किताब शीघ्र प्रकाश्य है । वर्ष 2022 में ‘प्राग-सिटी ऑफ़ लिटरेचर’ की फ़ेलोशिप पर जाने वाले वह पहले भारतीय लेखक होंगे।
मृत्यु कथा – पिछले एक दशक से आशुतोष भारद्वाज माओवादियों और भारतीय सत्ता के बीच चल रहे गृह-युद्ध व इसके शिकार हुए आदिवासियों पर लिख रहे हैं। मृत्यु-कथा इस संग्राम के योद्धा और साक्षी बने इन्सानों की गाथा है। अनेक स्वरों में खुद को कहती यह किताब दण्डकारण्य की जीवनी भी है, जो पत्रकारिता का अनुशासन, डायरी की आत्मीयता, निबन्ध की वैचारिकता और औपन्यासिक आख्यान की कला को एक साथ साधना चाहती है।
माओवादी क्रान्ति के आईने से यह किताब हिंसा और फ़रेब, पाप और पुनरुत्थान के प्रत्यय पर चिन्तन करती है – साथ ही बतलाती है कि रणभूमि का जीवन और लेखन मनुष्य को किस क़दर भस्म करता है। देश के श्रेष्ठतम लेखकों और आलोचकों द्वारा प्रशंसित यह किताब अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी है। इसके अन्तरराष्ट्रीय संस्करण जल्द प्रकाशित हो रहे हैं ।
गद्य की विभिन्न विधाओं में लिख रहे आशुतोष भारद्वाज का एक कहानी संग्रह, आलोचना की एक किताब, कई निबन्ध, अनुवाद, संस्मरण, डायरियाँ इत्यादि प्रकाशित हैं। उन्हें अपनी कहानियों के लिए कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप मिली है। उनकी किताब पितृ-वध को वर्ष 2020 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान मिला है ।
वह एकमात्र पत्रकार हैं जिन्हें पत्रकारिता का प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका सम्मान लगातार चार साल (2012-2015) मिला है । वह 2015 में रायटर्स के अन्तरराष्ट्रीय कर्ट शॉर्क सम्मान के लिए नामांकित हुए थे।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फ़ेलोशिप (2017-2019) के तहत ‘स्त्री के एकान्त’ पर लिखी उनकी किताब शीघ्र प्रकाश्य है । वर्ष 2022 में ‘प्राग-सिटी ऑफ़ लिटरेचर’ की फ़ेलोशिप पर जाने वाले वह पहले भारतीय लेखक होंगे।
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.