Molige Maarayya : Molige Mahadevi-(HB)
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महिलाएँ इस दुनिया में सदैव ही उपेक्षित रही हैं। उनको सामाजिक भागीदारी से दूर रखा गया, अतः वे साहित्य एवं सांस्कृतिक लोक में हाशिए पर रही हैं। पर इस वचन साहित्य के सन्दर्भ में महिला अपने व्यक्तित्व विकास की बुलंदी पर पहुँच चुकी थी, ऐसा लगता है।
घास-फूस, झाड़ निकाले बिना खेत स्वच्छ न होता/अशुद्धि और मल को स्वच्छ किए बिना मन शुद्ध न होता/जीव का मूल जाने बिना तन शुद्ध न होता/काय जीव का सम्बन्ध जाने बिना ज्ञानलेपी नहीं होता/इस प्रकार जो भाव भ्रमित हैं उन्हें क्यों ज्ञान प्राप्ति/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥ भक्त भगवान का सम्बन्ध, जल कमल की रीति के समान/भक्त भगवान सम्बन्ध, क्षीर-नीर की रीति के समान/तुम्हारे और मेरे लिए अलग-अलग ठाँव है क्या/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥
—मोळिगे मारय्या
महिलाएँ इस दुनिया में सदैव ही उपेक्षित रही हैं। उनको सामाजिक भागीदारी से दूर रखा गया, अतः वे साहित्य एवं सांस्कृतिक लोक में हाशिए पर रही हैं। पर इस वचन साहित्य के सन्दर्भ में महिला अपने व्यक्तित्व विकास की बुलंदी पर पहुँच चुकी थी, ऐसा लगता है।
घास-फूस, झाड़ निकाले बिना खेत स्वच्छ न होता/अशुद्धि और मल को स्वच्छ किए बिना मन शुद्ध न होता/जीव का मूल जाने बिना तन शुद्ध न होता/काय जीव का सम्बन्ध जाने बिना ज्ञानलेपी नहीं होता/इस प्रकार जो भाव भ्रमित हैं उन्हें क्यों ज्ञान प्राप्ति/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥ भक्त भगवान का सम्बन्ध, जल कमल की रीति के समान/भक्त भगवान सम्बन्ध, क्षीर-नीर की रीति के समान/तुम्हारे और मेरे लिए अलग-अलग ठाँव है क्या/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥
—मोळिगे मारय्या
About Author
प्रो. काशीनाथ अंबलगे
आपका जन्म 10 जुलाई, 1947 को मुचलम, बसवकल्याण तालुका, ज़िला बीदर, कर्नाटक में हुआ।
आपने एम.ए. हिन्दी और कन्नड़ से किया और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वर्षों गुलबर्गा विश्वविद्यालय में अध्यापन। फ़िलहाल सेवानिवृत्त।
आपकी कन्नड़ और हिन्दी में कविता, विमर्श, कन्नड़ वचन साहित्य आदि से सम्बन्धित दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित। पंजाबी, गुजराती, बांग्ला (हिन्दी द्वारा) और हिन्दी की कई पुस्तकों का कन्नड़ में अनुवाद।
आप ‘महात्मा गांधी हिन्दी पुरस्कार’, ‘कमला गोयनका अनुवाद पुरस्कार’, ‘अम्म पुस्तक पुरस्कार’, ‘गौरव पुरस्कार’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।
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