Mohali Se Melbourne 129

Save: 1%

Back to products
Moner Manush 149

Save: 1%

Mohan Rakesh Sanchayan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रवीन्द्र कालिया, कुणाल सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रवीन्द्र कालिया, कुणाल सिंह
Language:
Hindi
Format:
Hardback

450

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126340750 Category
Category:
Page Extent:
710

मोहन राकेश संचयन –
मोहन राकेश नयी कहानी के दौर के प्रतिष्ठित कथाकार, उपन्यासकार, चिन्तक और नाटककार हैं। राकेश की उस पूरे दौर के विचार और संवेदना परिदृश्य के निर्माण में अहम भूमिका थी। राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, ध्वनि नाटक, बीज नाटक और रंगमंच—इन सभी क्षेत्रों में मोहन राकेश का नाम सर्वोपरि है। कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार—तीनों रूपों में वे सृजन के नये प्रस्थान निर्मित करते हैं।
इस संचयन में हमने मोहन राकेश के दो उपन्यासों ‘अँधेरे बन्द कमरे’ और ‘न आने वाला कल’ का संक्षिप्त पाठ प्रस्तुत किया है। ‘अँधेरे बन्द कमरे’ हिन्दी के उन गिने-चुने उपन्यासों में है जो नागर जीवन की त्रासदियों को प्रस्तुत करता है। ‘न आने वाला कल’ तेज़ी से बदलते आधुनिक जीवन तथा व्यक्ति और उनकी प्रतिक्रियाओं पर बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है। राकेश ने भले ही कई कालजयी कहानियों तथा उपन्यासों का सृजन किया हो, लेकिन वे मूलतः एक नाटककार ही थे। ‘आषाढ़ का एक दिन’ उनका सर्वाधिक चर्चित नाटक रहा है। इस संचयन में इसे अविकल रूप से शामिल किया जा रहा है। साथ ही साथ ‘अण्डे के छिलके’ तथा अन्य कतिपय एकांकियों को भी इस संचयन में स्थान दिया गया है।
हमने कोशिश की है कि तब के दौर में राकेश ने यत्र-तत्र जो विचार प्रकट किये, यहाँ उनकी भी शमूलियत हो। इस क्रम में हमने राकेश के ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण कुछ निबन्धों का भी संचयन किया है। इस संचयन की एक उपलब्धि के तौर पर मोहन राकेश की डायरी के कुछ पन्नों को लिया जा सकता है। आशा है हिन्दी साहित्य और मोहन राकेश के पाठक इन रचनाओं के चयन को पसन्द करेंगे।— रवीन्द्र कालिया

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mohan Rakesh Sanchayan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

मोहन राकेश संचयन –
मोहन राकेश नयी कहानी के दौर के प्रतिष्ठित कथाकार, उपन्यासकार, चिन्तक और नाटककार हैं। राकेश की उस पूरे दौर के विचार और संवेदना परिदृश्य के निर्माण में अहम भूमिका थी। राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, ध्वनि नाटक, बीज नाटक और रंगमंच—इन सभी क्षेत्रों में मोहन राकेश का नाम सर्वोपरि है। कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार—तीनों रूपों में वे सृजन के नये प्रस्थान निर्मित करते हैं।
इस संचयन में हमने मोहन राकेश के दो उपन्यासों ‘अँधेरे बन्द कमरे’ और ‘न आने वाला कल’ का संक्षिप्त पाठ प्रस्तुत किया है। ‘अँधेरे बन्द कमरे’ हिन्दी के उन गिने-चुने उपन्यासों में है जो नागर जीवन की त्रासदियों को प्रस्तुत करता है। ‘न आने वाला कल’ तेज़ी से बदलते आधुनिक जीवन तथा व्यक्ति और उनकी प्रतिक्रियाओं पर बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है। राकेश ने भले ही कई कालजयी कहानियों तथा उपन्यासों का सृजन किया हो, लेकिन वे मूलतः एक नाटककार ही थे। ‘आषाढ़ का एक दिन’ उनका सर्वाधिक चर्चित नाटक रहा है। इस संचयन में इसे अविकल रूप से शामिल किया जा रहा है। साथ ही साथ ‘अण्डे के छिलके’ तथा अन्य कतिपय एकांकियों को भी इस संचयन में स्थान दिया गया है।
हमने कोशिश की है कि तब के दौर में राकेश ने यत्र-तत्र जो विचार प्रकट किये, यहाँ उनकी भी शमूलियत हो। इस क्रम में हमने राकेश के ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण कुछ निबन्धों का भी संचयन किया है। इस संचयन की एक उपलब्धि के तौर पर मोहन राकेश की डायरी के कुछ पन्नों को लिया जा सकता है। आशा है हिन्दी साहित्य और मोहन राकेश के पाठक इन रचनाओं के चयन को पसन्द करेंगे।— रवीन्द्र कालिया

About Author

मोहन राकेश - जन्म: 8 जनवरी, 1925; जण्डीवाली गली, अमृतसर (पंजाब)। शिक्षा: संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी.ए.। संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्धर और दिल्ली में अध्यापन व सम्पादन करते हुए अन्ततः स्वतन्त्र लेखन। प्रकाशित कृतियाँ : 'इन्सान के खण्डहर', 'नये बादल', 'जानवर और जानवर', 'एक और ज़िन्दगी', 'फ़ौलाद का आकाश', 'एक घटना' (कहानी-संग्रह); 'अँधेरे बन्द कमरे', 'न आने वाला कल', 'अन्तराल' (उपन्यास); 'आख़िरी चट्टान तक' (यात्रावृत्त); 'आषाढ़ का एक दिन', 'लहरों के राजहंस', 'आधे-अधूरे', 'पैर तले की ज़मीन', 'अण्डे के छिलके', 'रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक' (नाटक); 'परिवेश', 'बक़लम ख़ुद', 'साहित्यिक औ सांस्कृतिक दृष्टि' (लेख व निबन्ध); 'राकेश और परिवेश पत्रों में', 'एकत्र' (पत्र); 'मृच्छकटिक', 'शाकुन्तल' (अनुवाद)। 'अँधेरे बन्द कमरे' का अंग्रेज़ी और रूसी भाषा में अनुवाद। 'आषाढ़ का एक दिन' नामक नाट्य-रचना के लिए और 'आधे-अधूरे' के रचनाकार के नाते संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत-सम्मानित। निधन: 3 दिसम्बर, 1972 (दिल्ली)।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mohan Rakesh Sanchayan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED