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Meera Ka Jeevan (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
ARVIND SINGH TEJPAL
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
ARVIND SINGH TEJPAL
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹280
Save: 20%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789352210275
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
मीराँ के जीवन में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए यह पुस्तक न केवल मीराँ की एक प्रामाणिक जीवनी है वरन् यह जीवनी इतिहास-दृष्टि से परिपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण शोध निष्कर्षों का समन्वित परिणाम है।
यह पुस्तक बताती है कि मीराँ के लिए कृष्ण भक्ति एक साधन थी न कि साध्य। कृष्ण भक्ति का सहारा लेकर मीराँ ने मध्यकालीन सामन्ती समाज में व्याप्त सती-प्रथा जैसी तमाम सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया एवं स्त्री-स्वतंत्रता के पक्ष में विद्रोह का स्वर बुलन्द किया।
यह पुस्तक ब्राह्मण कथाकारों एवं परवर्ती आलोचकों द्वारा निर्मित मीराँ की उस पारम्परिक छवि को तोड़ती है जो उसे केवल प्रेम-दीवानी कवयित्री की परिधि में सीमित कर देना चाहते थे। निश्चय ही, मीराँ को समग्र रूप से समझने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।
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Description
मीराँ के जीवन में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए यह पुस्तक न केवल मीराँ की एक प्रामाणिक जीवनी है वरन् यह जीवनी इतिहास-दृष्टि से परिपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण शोध निष्कर्षों का समन्वित परिणाम है।
यह पुस्तक बताती है कि मीराँ के लिए कृष्ण भक्ति एक साधन थी न कि साध्य। कृष्ण भक्ति का सहारा लेकर मीराँ ने मध्यकालीन सामन्ती समाज में व्याप्त सती-प्रथा जैसी तमाम सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया एवं स्त्री-स्वतंत्रता के पक्ष में विद्रोह का स्वर बुलन्द किया।
यह पुस्तक ब्राह्मण कथाकारों एवं परवर्ती आलोचकों द्वारा निर्मित मीराँ की उस पारम्परिक छवि को तोड़ती है जो उसे केवल प्रेम-दीवानी कवयित्री की परिधि में सीमित कर देना चाहते थे। निश्चय ही, मीराँ को समग्र रूप से समझने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।
About Author
अरविन्द सिंह तेजावत
मीराँ के चर्चित शोधार्थी अरविन्द सिंह तेजावत का जन्म 26 जुलाई, 1978 को राजस्थान के एक परम्परावादी राजपूत राव परिवार में हुआ। विद्यालयी एवं विश्वविद्यालयी शिक्षा उदयपुर नगर से ग्रहण करने के पश्चात् जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.फिल्. एवं पीएच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
लेखकीय जीवन का आरम्भ एक सम्पादक-पत्रकार के रूप में करने के पश्चात् वर्तमान में वे हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत हैं। तेजावत राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के संस्थापक सदस्य हैं जहाँ उन्होंने दो वर्ष तक सहायक आचार्य के रूप में अध्यापन किया। इससे पूर्व वे दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों एवं दिल्ली के कुछ अनुसन्धान संस्थानों में कार्यरत थे।
तेजावत पिछले एक दशक से मीराँबाई एवं मध्यकालीन साहित्य, समाज एवं संस्कृति से जुड़े विषयों पर शोधरत हैं। उन्हें गम्भीर शोधार्थी, सजग लेखक एवं समर्पित अध्यापक माना जाता है। अब तक वे देश एवं विदेश में मीराँ, मध्यकालीन साहित्य एवं संस्कृति से सम्बन्धित अनेक व्याख्यान दे चुके हैं। साहित्यिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों पर तेजावत समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं के नियमित लेखक हैं।
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