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Meer
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रामनाथ 'सुमन'
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रामनाथ 'सुमन'
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹600 ₹450
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1-4 Days
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ISBN:
SKU
9789357759618
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
294
मीर –
उर्दू-काव्य से मीर को निकाल दीजिए तो जैसे गंगा को हिन्दुस्तान से निकाल दिया । मीर में अनुभूति की गहराइयाँ तड़पती हैं, वहाँ दिल का दामन आँसुओं से तर है। मीर में एक अजब-सी खुदफ़रामोशी है, एक बाँकपन, एक अकड़, एक फ़क़ीरी तथा ज़बान की वह घुलावट है, जो किसी दूसरे को नसीब नहीं हुई।
बिना डूबे मीर को पाना मुश्किल है। ‘सहल है मीर को समझना क्या, हर सुखन उसका एक मुकाम से है’। सर्वांगीण समीक्षा के साथ इस पुस्तक में मीर नज़दीक से व्यक्त हुए हैं। सुमनजी लगभग चालीस वर्षों तक उर्दू-काव्य के गहन अध्येता रहे। उनमें गहरी पकड़ थी, वह कवि के मानस में उतरते थे।
मीर के इस अध्ययन को, जो सुमनजी की पैनी दृष्टि से गुज़रकर आया है, पढ़कर आपको मीर के सम्बन्ध में उर्दू में कुछ पढ़ने को नहीं रह जाता, क्योंकि इसमें मीर पर हुए सम्पूर्ण अद्यतन श्रम का समावेश है। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण ।
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Description
मीर –
उर्दू-काव्य से मीर को निकाल दीजिए तो जैसे गंगा को हिन्दुस्तान से निकाल दिया । मीर में अनुभूति की गहराइयाँ तड़पती हैं, वहाँ दिल का दामन आँसुओं से तर है। मीर में एक अजब-सी खुदफ़रामोशी है, एक बाँकपन, एक अकड़, एक फ़क़ीरी तथा ज़बान की वह घुलावट है, जो किसी दूसरे को नसीब नहीं हुई।
बिना डूबे मीर को पाना मुश्किल है। ‘सहल है मीर को समझना क्या, हर सुखन उसका एक मुकाम से है’। सर्वांगीण समीक्षा के साथ इस पुस्तक में मीर नज़दीक से व्यक्त हुए हैं। सुमनजी लगभग चालीस वर्षों तक उर्दू-काव्य के गहन अध्येता रहे। उनमें गहरी पकड़ थी, वह कवि के मानस में उतरते थे।
मीर के इस अध्ययन को, जो सुमनजी की पैनी दृष्टि से गुज़रकर आया है, पढ़कर आपको मीर के सम्बन्ध में उर्दू में कुछ पढ़ने को नहीं रह जाता, क्योंकि इसमें मीर पर हुए सम्पूर्ण अद्यतन श्रम का समावेश है। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण ।
About Author
रामनाथ 'सुमन' -
भाषाएँ : हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, बांग्ला, गुजराती और प्राचीन फ्रेंच ।
प्रमुख रचनाएँ : अंग्रेज़ी : फोर्सेज़ ऐंड पर्सनेलिटीज़ इन ब्रिटिश पॉलिटिक्स, ब्लीडिंग ढूंड।
अनुवाद : विनाश या इलाज, जब अंग्रेज़ आये, बच्चों का विवेक, विषवृक्ष, घरजमाई, रहस्यमयी, दामाद ।
हिन्दी-समीक्षा : कवि प्रसाद की काव्य-साधना, माइकेल मधुसूदन दत्त, दागे जिगर, कविरत्न मीर।
कविता : विपंची।
निबन्ध : जीवनयज्ञ, वेदी के फूल, कठघरे से पुकारती वाणी।
राजनीति : गांधीवाद की रूपरेखा, युगाधार गांधी।
संस्मरण एवं रेखाचित्र : हमारे नेता, स्व. राष्ट्र-निर्माता आदि ।
सम्पादन : 'नवराजस्थान' तथा 'सम्मेलन पत्रिका' । अनेक पुस्तकों के विविध भारतीय भाषाओं में अनुवाद ।
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