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मातृभाषा में | MATRIBHASHA MEIN
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मातृभाषा में कवि नवल शुक्ल का तीसरा कविता संग्रह है। प्रतिबद्धता और प्रगतिशील चेतना के बावजूद इनकी कविताओं में वाचालता या तीखापन नहीं है। मातृभाषा में की कविताएँ अपनी संरचना के भीतर एक यात्रा तय करती हैं। यह यात्रा कथन से विचार, विचार से जीवन और बोध तक की यात्रा है। संभवतः इसी कारण यह यात्रा अक्सर एक सामान्य कथन से प्रारम्भ होकर संवाद, आह्वान, वर्णन, विवरण के सहारे गहराई पाती है। ऊपर से दिखती सरलता इस यात्रा के कारण गहरी और बहुस्तरीय ही नहीं बनती, संश्लिष्ट और सांद्र भी बनती है।
मातृभाषा में कवि नवल शुक्ल का तीसरा कविता संग्रह है। प्रतिबद्धता और प्रगतिशील चेतना के बावजूद इनकी कविताओं में वाचालता या तीखापन नहीं है। मातृभाषा में की कविताएँ अपनी संरचना के भीतर एक यात्रा तय करती हैं। यह यात्रा कथन से विचार, विचार से जीवन और बोध तक की यात्रा है। संभवतः इसी कारण यह यात्रा अक्सर एक सामान्य कथन से प्रारम्भ होकर संवाद, आह्वान, वर्णन, विवरण के सहारे गहराई पाती है। ऊपर से दिखती सरलता इस यात्रा के कारण गहरी और बहुस्तरीय ही नहीं बनती, संश्लिष्ट और सांद्र भी बनती है।
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