Maine Nata Toda

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सुषम बेदी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सुषम बेदी
Language:
Hindi
Format:
Hardback

413

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126318568 Category
Category:
Page Extent:
244

मैंने नाता तोड़ा –

‘मेरी आँखों के आगे एक बहुत महीन धागों का बुना जाल सा बिछ गया-एक-एक करके कितने ही चेहरे उस जाल में उलझते गुलझते जाते । गुस्से से लाल माँ की सूरत, गर्हणा से सिकुड़ा पिता जी का तेवर! दीदी की भर्त्सना । अजय का सहानुभूतिमय जिज्ञासु पर ख़ामोश चेहरा । क्या मैं कभी किसी को माफ नहीं कर सकी! और एकबारगी ही मैंने अपने आप से कहा- अब मैंने यह नाता तोड़ा ।’… यह मैंने नाता तोड़ा उपन्यास की नायिका रितु का आत्मस्वीकार है। एक भरे पूरे घर में रहनेवाली रितु के साथ किशोरावस्था में हुई ‘दुर्घटना’ ने उसके पूरे अस्तित्व को जैसे भंग कर दिया। वर्जनाओं, चुप्पियों और संकेतों की जटिल दुनिया में बड़ी होते-होते रितु जाने कैसे-कैसे कच्चे-पक्के धागों में उलझती गयी। भारत से अमरीका जाने के बाद भी रितु की ये उलझनें कम नहीं हुईं। अपने प्रेमी पति के साथ अभिशप्त अतीत से आंशिक मुक्ति का वर्णन अत्यन्त मार्मिक है। सुषम बेदी का यह उपन्यास नारी मन की उखाड़पछाड़ का प्रभावी चित्रण है। रिश्तों और परिस्थितियों के बवंडर में कभी सूखे पत्ते सा उड़ता जीवन और कभी अपनी जड़ों से जुड़ता जीवन-जीवन के दोनों पक्षों का सटीक वर्णन सुषम बेदी ने किया है।

मैंने नाता तोड़ा वस्तुतः नातों-रिश्तों को यथार्थ के प्रकाश में देखने का उपक्रम है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Maine Nata Toda”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

मैंने नाता तोड़ा –

‘मेरी आँखों के आगे एक बहुत महीन धागों का बुना जाल सा बिछ गया-एक-एक करके कितने ही चेहरे उस जाल में उलझते गुलझते जाते । गुस्से से लाल माँ की सूरत, गर्हणा से सिकुड़ा पिता जी का तेवर! दीदी की भर्त्सना । अजय का सहानुभूतिमय जिज्ञासु पर ख़ामोश चेहरा । क्या मैं कभी किसी को माफ नहीं कर सकी! और एकबारगी ही मैंने अपने आप से कहा- अब मैंने यह नाता तोड़ा ।’… यह मैंने नाता तोड़ा उपन्यास की नायिका रितु का आत्मस्वीकार है। एक भरे पूरे घर में रहनेवाली रितु के साथ किशोरावस्था में हुई ‘दुर्घटना’ ने उसके पूरे अस्तित्व को जैसे भंग कर दिया। वर्जनाओं, चुप्पियों और संकेतों की जटिल दुनिया में बड़ी होते-होते रितु जाने कैसे-कैसे कच्चे-पक्के धागों में उलझती गयी। भारत से अमरीका जाने के बाद भी रितु की ये उलझनें कम नहीं हुईं। अपने प्रेमी पति के साथ अभिशप्त अतीत से आंशिक मुक्ति का वर्णन अत्यन्त मार्मिक है। सुषम बेदी का यह उपन्यास नारी मन की उखाड़पछाड़ का प्रभावी चित्रण है। रिश्तों और परिस्थितियों के बवंडर में कभी सूखे पत्ते सा उड़ता जीवन और कभी अपनी जड़ों से जुड़ता जीवन-जीवन के दोनों पक्षों का सटीक वर्णन सुषम बेदी ने किया है।

मैंने नाता तोड़ा वस्तुतः नातों-रिश्तों को यथार्थ के प्रकाश में देखने का उपक्रम है।

About Author

सुषम बेदी - जन्म : 1 जुलाई, 1945 फ़ीरोज़पुर, पंजाब । शिक्षा : पी.एचडी. (पंजाब विश्वविद्यालय) । प्रमुख कृतियाँ : पोर्ट्रेट ऑफ़ मीरा, मोर्चे, शब्दों की खिड़कियाँ, नवभूमि की कथा, क़तरा दर क़तरा, गाथा अमरबेल की, चिड़िया और चील, लौटना, सड़क की लय, हवन आदि। कई भाषाओं में रचनाएँ अनूदित एवं प्रकाशित । देश-विदेश में अनेक समकालीन मुद्दों पर आलेख प्रकाशित । सम्मान : वर्ष 2006 में साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए तथा वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हिन्दी भाषा और साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कृत । सुषमा बदी हिन्दी-उर्दू लैंग्वेज़ प्रोग्राम ऐट द डिपार्टमेंट ऑफ़ मिडिल ईस्ट एंड एशियन लैंग्वेज़ेज़ एंड कल्वर्स, कोलम्बिया यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क में निदेशक भी रहीं। देहावसान : 20 मार्च, 2020 |

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Maine Nata Toda”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED