Main Aur Wah-(PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Asha Prabhat
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Asha Prabhat
Language:
Hindi
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Hardback

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आशा प्रभात का यह उपन्यास एक औरत का ख़ुद को पहचानने और अपनी ख़ुदी को बरकरार रखने की अद्भुत संघर्ष-गाथा है।
इसमें बाहरी और अंदरूनी स्तर पर घटनाएँ कुछ इस कदर शाइस्तगी से घटती हैं कि पाठक चौंकता है और ठहरकर सोचने पर विवश हो जाता है। इस उपन्यास में सदियों से प्रतीक्षारत इस सवाल का उत्तर तलाशने की एक पुरज़ोर कोशिश की गई है कि पति, पत्नी और वह के प्रेम त्रिकोण वाले सम्बन्धों में सबसे कमज़ोर स्थिति किसकी होती है?
अपने स्वत्व की तलाश में जुटी स्त्रियों के भटकाव की परिणति से अवगत कराता यह उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की बारीकी से पड़ताल करता है। लेखिका ने औरत से व्यक्ति बन जाने की जद्दोजहद को बहुत ही सहज भाषा में अभिव्यक्त करने का उपक्रम किया है। कथा-प्रवाह और पठनीयता की दृष्टि से भी यह एक उल्लेखनीय कृति है।

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Description

आशा प्रभात का यह उपन्यास एक औरत का ख़ुद को पहचानने और अपनी ख़ुदी को बरकरार रखने की अद्भुत संघर्ष-गाथा है।
इसमें बाहरी और अंदरूनी स्तर पर घटनाएँ कुछ इस कदर शाइस्तगी से घटती हैं कि पाठक चौंकता है और ठहरकर सोचने पर विवश हो जाता है। इस उपन्यास में सदियों से प्रतीक्षारत इस सवाल का उत्तर तलाशने की एक पुरज़ोर कोशिश की गई है कि पति, पत्नी और वह के प्रेम त्रिकोण वाले सम्बन्धों में सबसे कमज़ोर स्थिति किसकी होती है?
अपने स्वत्व की तलाश में जुटी स्त्रियों के भटकाव की परिणति से अवगत कराता यह उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की बारीकी से पड़ताल करता है। लेखिका ने औरत से व्यक्ति बन जाने की जद्दोजहद को बहुत ही सहज भाषा में अभिव्यक्त करने का उपक्रम किया है। कथा-प्रवाह और पठनीयता की दृष्टि से भी यह एक उल्लेखनीय कृति है।

About Author

आशा प्रभात

वरिष्ठ कथाकार आशा प्रभात का जन्म 21 जुलाई, 1958 को हुआ। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास आदि सभी विधाओं में समान अधिकार से लिखा है। हिन्दी और उर्दू में अब तक उनकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें पाँच उपन्यास—धुन्ध में उगा पेड़, जाने कितने मोड़, मैं और वह, गिरदाब, मैं जनकनन्दिनी; चार कहानी-संग्रह और दो काव्य-संग्रह हैं। उन्होंने दो चर्चित किताबों—साहिर समग्र और जब धरती नग़्मे गाएगी—का संकलन व सम्पादन किया है। हिन्दी से उर्दू और उर्दू से हिन्दी में अनूदित उनकी पाँच पुस्तकें प्रकाशित हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद व प्रकाशन लगभग सभी भारतीय भाषाओं में हुए हैं। देश-विदेश की हिन्दी-उर्दू पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन और आकाशवाणी व दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण होता रहा है। 

उन्हें ‘काव्य संगम पुरस्कार’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’, राष्ट्रभाषा परिषद् पटना द्वारा ‘साहित्य सेवा सम्मान’, ‘दिनकर सम्मान’, ‘साहित्य महोपाध्याय सम्मान’, बिहार उर्दू अकादमी पटना द्वारा ‘सुहैल अज़ीमाबादी अवार्ड’ व ‘खसूसी अवार्ड’, ए.बी.आई. द्वारा ‘वुमन ऑफ दी इयर अवार्ड’ (1998), दैनिक जागरण द्वारा ‘शताब्दी सम्मान’, प्रभात खबर द्वारा ‘अपराजिता सम्मान’, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना द्वारा ‘शताब्दी सम्मान’ तथा कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं। 

फ़िलहाल स्वतंत्र लेखन और पत्रकारिता में सक्रिय।

ई-मेल : ashaprabhat77@gmail.com

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