Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar) (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
Vimal De
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Lokbharti
Author:
Vimal De
Language:
Hindi
Format:
Paperback

276

Save: 15%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 0.408 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788180315121 Category
Category:
Page Extent:

सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्‍द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्‍पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्‍द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्‍होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। ‘महातीर्थ के अन्तिम यात्री’ में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्‍तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar) (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्‍द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्‍पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्‍द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्‍होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। ‘महातीर्थ के अन्तिम यात्री’ में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्‍तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।

About Author

बिमल मित्र

बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक।

जन्म : 18 मार्च, 1912 को कोलकाता में।

शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए.।

अनेक कहानियों और लगभग 70 उपन्यासों के रचयिता बिमल मित्र बांग्लाभाषी समाज के अलावा हिन्दी व तमिल समाज में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं।

प्रमुख कृतियाँ : ‘अन्यरूप’, ‘साहब बीबी गुलाम’, ‘मैं’, ‘राजाबदल’, ‘परस्त्री’, ‘इकाई दहाई सैकड़ा’, ‘खरीदी कौड़ियों के मोल’, ‘मुजरिम हाजिर’, ‘पति परम गुरु’, ‘बेगम मेरी विश्वास’, ‘चलो कलकत्ता’ (उपन्यास); ‘पुतुल दीदी’, ‘रानी साहिबा’ (कहानी-संग्रह); ‘कन्यापक्ष’ (रेखाचित्र)।

निधन : 2 दिसम्बर, 1991

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar) (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED