Mahanayak
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महानायक –
यह उपन्यास एक ‘महान् कलाकृति’ है, मात्र इतना कह देने से इसका उचित मूल्यांकन नहीं होता। मैं निस्सन्देह रूप से कहना चाहता हूँ कि इस शताब्दी की यह सर्वश्रेष्ठ कृति है। – वसन्त कानेटकर
सुभाषचन्द्र बोस के जीवन और कर्म पर केन्द्रित ‘महानायक’ एक श्रेष्ठ भारतीय उपन्यास है। इसमें विश्वास पाटील ने भारत के एक ऐसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व को नायक के रूप में चुना है जो किसी भी महाकाव्य का महानायक बन सकता है।
सुभाष बाबू उन महामानवों में से एक थे जिन्हें तीव्र बुद्धि, भावनात्मक ऊर्जा, प्रखर चिन्तनक्षमता जन्म से प्राप्त थी और अपनी पराधीन भारतमाता को स्वतन्त्र करने के भव्य स्वप्न से जिनके व्यक्तित्व का अणु-अणु उत्तेजित रहता था। उन्होंने पश्चिमी ज्ञान और विद्या को आत्मसात् किया था, साथ ही भारत की ऊर्जस्वी आध्यात्मिक परम्परा, जो रामकृष्ण परमहंस और विवेकानन्द से छनकर आयी थी, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मूल स्रोत थी। सुभाष का ऐसा व्यक्तित्व था जिसकी ज़बर्दस्त कशिश ने हिटलर से लेकर जापान के प्रधानमन्त्री तोजो तक को प्रभावित किया था और जिसके भय ने चर्चिल जैसे नेताओं की नींद हराम कर दी थी….
सुभाषचन्द्र के जादुई व्यक्तित्व के लगभग सभी पहलुओं को, जो अब तक बिखरे हुए रूप में थे, विश्वास पाटील ने इस उपन्यास में एकत्र कर रसात्मक भूमि पर ले आने का महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कार्य किया है। उन्होंने सुभाषचन्द्र बोस के राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कृतित्व को पहली बार देश के सामने प्रस्तुत करने के साथ ही भारतीय स्वातन्त्र्य-समर के कुछ उपेक्षित सशस्त्र क्रान्तिकारियों की भी महनीय भूमिका पर प्रकाश डाला है। इस उपन्यास में महानायक सुभाषचन्द्र बोस एक प्रखर नेता और बुद्धिजीवी के रूप में तो हैं ही; एक संवेदनशील प्रेमी, पति और पिता के रूप में पूरी प्रामाणिकता के साथ जीवन्त रूप से उपस्थित हैं।
महानायक –
यह उपन्यास एक ‘महान् कलाकृति’ है, मात्र इतना कह देने से इसका उचित मूल्यांकन नहीं होता। मैं निस्सन्देह रूप से कहना चाहता हूँ कि इस शताब्दी की यह सर्वश्रेष्ठ कृति है। – वसन्त कानेटकर
सुभाषचन्द्र बोस के जीवन और कर्म पर केन्द्रित ‘महानायक’ एक श्रेष्ठ भारतीय उपन्यास है। इसमें विश्वास पाटील ने भारत के एक ऐसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व को नायक के रूप में चुना है जो किसी भी महाकाव्य का महानायक बन सकता है।
सुभाष बाबू उन महामानवों में से एक थे जिन्हें तीव्र बुद्धि, भावनात्मक ऊर्जा, प्रखर चिन्तनक्षमता जन्म से प्राप्त थी और अपनी पराधीन भारतमाता को स्वतन्त्र करने के भव्य स्वप्न से जिनके व्यक्तित्व का अणु-अणु उत्तेजित रहता था। उन्होंने पश्चिमी ज्ञान और विद्या को आत्मसात् किया था, साथ ही भारत की ऊर्जस्वी आध्यात्मिक परम्परा, जो रामकृष्ण परमहंस और विवेकानन्द से छनकर आयी थी, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मूल स्रोत थी। सुभाष का ऐसा व्यक्तित्व था जिसकी ज़बर्दस्त कशिश ने हिटलर से लेकर जापान के प्रधानमन्त्री तोजो तक को प्रभावित किया था और जिसके भय ने चर्चिल जैसे नेताओं की नींद हराम कर दी थी….
सुभाषचन्द्र के जादुई व्यक्तित्व के लगभग सभी पहलुओं को, जो अब तक बिखरे हुए रूप में थे, विश्वास पाटील ने इस उपन्यास में एकत्र कर रसात्मक भूमि पर ले आने का महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कार्य किया है। उन्होंने सुभाषचन्द्र बोस के राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कृतित्व को पहली बार देश के सामने प्रस्तुत करने के साथ ही भारतीय स्वातन्त्र्य-समर के कुछ उपेक्षित सशस्त्र क्रान्तिकारियों की भी महनीय भूमिका पर प्रकाश डाला है। इस उपन्यास में महानायक सुभाषचन्द्र बोस एक प्रखर नेता और बुद्धिजीवी के रूप में तो हैं ही; एक संवेदनशील प्रेमी, पति और पिता के रूप में पूरी प्रामाणिकता के साथ जीवन्त रूप से उपस्थित हैं।
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